
‘मैंने भगवान को देखा है। वह टेस्ट मैच में चार नंबर पर बैटिंग करता है।’ – मैथ्यू हेडेन (भूतपूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर का मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट प्रतिभा के बारे में)
हजारों दर्शकों से खचा-खच भरे स्टेडियम में अपने स्टार और फैवरेट क्रिकेट प्लेयर्स को चौके और छक्के लगाते देखकर आपने कितनी बार ही रोमांच का अनुभव किया होगा और कदाचित खुद को उस सेलेब्रिटीज के रूप में देखने के सपने भी जरुर देखा होगा। भारत जैसे देश में जहां क्रिकेट के प्रति लोगों में क्रेज के जादू के कारण क्रिकेट प्लेयर्स को भगवान का दर्जा प्राप्त हो तो किशोरों में क्रिकेटर के रूप में करियर बनाने के सपनों से भी इनकार करना सहज नहीं है।
गांव के ऊसर और बेकार पड़े खेतों से लेकर शहर के नुक्कड़ और तंग गलियों में तीन स्टंप्स, दो बैट और और एक बॉल के साथ अपने चंद लंगोटिया यारों के साथ आज क्रिकेट खेलने का दृश्य आम हो चुका है। शायद यही कारण है कि युवाओं और किशोरों में क्रिकेट को करियर बनाने के सपने ने भी अब एक क्रेज का रूप ले लिया है।
बाईस गज के पिच पर खेले जानेवाले तथाकथित जेंटलमैन के इस खेल में नित्य बढ़ाते गला-काट प्रतियोगिता को ध्यान में रखते हुए करियर निर्माण एक आसान कार्य नहीं रह गया है। इसके लिए अदम्य साहस, समंदर जैसी गहराई वाला धैर्य और सतत कठिन मिहनत के साथ परिवार और समाज से अलग रहकर कठोर संघर्ष करने की हिम्मत भी अहम भूमिका निभाता है।
क्रिकेटर बनने के लिए आपमें क्या क्वालिटी होने चाहिए?
एक प्रोफेशनल क्रिकेटर का जीवन त्याग, परिश्रम और समर्पण का जीवन होता है, क्योंकि मैच के हर क्षण में 22 गज पिच पर वह हर पल हार और जीत के साथ लुका-छिपी का खतरनाक खेल खेलता है। युद्ध जैसी स्थिति वाले इस खेल में एक क्रिकेटर के रूप में सर्वाइव करना और सक्सेसफुल होना आसान कार्य नहीं होता है जिसमें एक क्रिकेटर को अपना सब कुछ बलिदान कर देना होता है।
ऐसी स्थिति में क्रिकेटर बनने का सपना देखने वाले उम्मीदवार में निम्न गुण अवश्य होने चाहिए –
- उसे एक अच्छा स्पोर्ट्समैन और एक अव्वल दर्जे का एथलिट होना चाहिए। साथ ही परिश्रमी और कभी हार न मानने के एटिट्यूड वाला प्रोफेशनल भी होना चाहिए।
- उसमें विदेशी कल्चर,फूड, मौसम, भाषा और फैशन जैसी अपरिचित परिस्थितियों के साथ घुलने-मिलने का भी गुण होना चाहिए।
- क्रिकेट को अपना करियर बनाने का सपना देखने वाले उम्मीदवार में बहुत अच्छा फिजिकल फिटनेस होना चाहिए ताकि वह जरुरत के हिसाब से अपने शरीर के अंगों में फ्लेक्सिबिलिटी ला पाए। क्योंकि क्रिकेट एक डायनामिक गेम माना जाता है और इसमें एक प्लेयर को गेंदबाजी और बल्लेबाजी के अतिरिक्त फील्डिंग भी करनी होती है।
- क्रिकेट के तीन महत्वपूर्ण सेग्मेंट्स बोलिंग, बैटिंग और फील्डिंग माने जाते हैं। क्रिकेटर बनने के सपने देखनेवालों के लिए इन तीनों में या एक से अधिक सेग्मेंट्स में मास्टर होना चाहिए।
- उसमें हार को झेलने की क्षमता होनी चाहिए और कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य के साथ अपने लक्ष्य को पूरा करने का भरपूर साहस होना चाहिए।
- क्रिकेट के खेल में ट्रैवलिंग को एक अहम हिस्सा माना जाता है। इसलिए भावी क्रिकेटर को ट्रेवलिंग के प्रति इंटरेस्ट होना चाहिए। साथ ही मैच खेलने के लिए अपने परिवार से दूर रहने की भी हिम्मत होनी चाहिए।
- और अंत में उसे आर्थिक रूप से समृद्ध परिवार से होना चाहिए ताकि असफलता की स्थिति में उसे अपनी जीविका चलाने की चिंता नहीं हो। वैसे यह कोई अनिवार्य नियम नहीं है लेकिन यह कम महत्वपूर्ण भी नहीं है। विश्व में सभी प्रकार के इंटरनेशनल मैच निम्नांकित तीन प्रकार के होते हैं –
- इंटरनेशनल टेस्ट मैच
- वन डे इंटरनेशनल मैच
- टी-20 इंटरनेशनल मैच
भारत में घरेलू मैच, जिसे डोमेस्टिक क्रिकेट भी कहते हैं, निम्नांकित फोर्मट्स में होते हैं-
- फस्र्ट क्लास
- लिस्ट ‘ए’
- टी-20 मैच
लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि एक क्रिकेटर क्रिकेट के सभी फोर्मट्स में चैंपियन होते हैं। वे अपने आपको किसी एक या एक से अधिक फॉर्मेट के लिए खुद को तैयार करते हैं। क्योंकि क्रिकेट के प्रत्येक फॉर्मेट की अपनी अलग डिमांड, टैलेंट और स्टाइल होती है।
इन सभी फोर्मट्स के लिए भारत में प्लेयर्स का सिलेक्शन बीसीसीआई (बोर्ड ऑफ कण्ट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया) के द्वारा किया जाता है। इसके अतिरिक्त भारत में बीसीसीआई कोच, फिजियोथेरेपिस्ट और क्रिकेट टीम के अन्य मेम्बर्स (टीम क्रू) का भी सिलेक्शन करती है।
प्लेयर्स, कोच और फिजियोथेरेपिस्ट को बीसीसीआई के साथ एक निश्चित टाइम पीरियड के लिए कॉन्ट्रैक्ट साईन करनी होती है। बीसीसीआई ही इंडिया के साथ-साथ विश्व के अन्य 9 प्रमुख क्रिकेट – प्लेयिंग राष्ट्रों जैसे पाकितान, बांगला देश, श्रीलंका, न्यूजीलैण्ड, इंग्लैंड, साउथ अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, जिम्बाब्वे और वेस्ट इंडीज के साथ विभिन्न मैचों को अरेंज भी करती है।
क्रिकेट में करियर के लिए कैसे और कहां से शुरुआत करें?
इंडिया के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर खेलने और क्रिकेट में अपना करियर बनाने के सपने को साकार करने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए दो मुख्य रास्ते निम्नांकित हैं-
पहला और बेसिक रास्ता आपके स्कूल से शुरू होता है जहां से सीधे आप क्रिकेट के सपनों को साकार करने की दुनिया में पहुंच सकते हैं। स्कूल मैच में एक्टिव पार्टिसिपेशन इंटर-स्कूल मैचों में आपके पार्टिसिपेशन और एंट्री का गोल्डन पासपोर्ट माना जाता है। इन मैचों में उत्कृष्ट परफॉरमेंस के आधार पर प्लेयर का इंटर-कॉलेज और इंटर-यूनिवर्सिटी लेवल के मैचों में एंट्री को सुनिश्चित किया जाता है।
इस रास्ते से आप रणजी ट्राफी के लिए अपने सिलेक्शन और चांस को पक्का कर लेते हैं। भारत में रणजी ट्राफी के मैचों में खिलाडिय़ों के एक्सीलेंट परफॉरमेंस के आधार पर इंटरनेशनल मैचों के लिए खिलाडिय़ों का सिलेक्शन किया जाता है। यदि आप क्रिकेट के सपनों के दुनिया में इस तरह से प्रवेश पाने में असफल हो जाते हैं तो भी परेशान होने की जरूरत नहीं है।
क्रिकेट की दुनिया में प्रवेश का दूसरा रास्ता कठिन मिहनत और अदम्य धैर्य का है। यह रास्ता ‘ओपन क्रिकेट’ कहलाता है जिसका डिफिकल्टी लेवल स्कूल लेवल पर खेले गये क्रिकेट से काफी हाई होता है। इसके अंतर्गत विभिन्न क्रिकेट एसोसिएशंस के द्वारा आयोजित मैचों में प्लेयर्स के परफॉरमेंस के आधार पर क्रिकेट के विभिन्न फोर्मट्स के लिए प्लेयर्स का सिलेक्शन किया जाता है।
भारत में प्रत्येक डिस्ट्रिक्ट में डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन होता है। इन सभी डिस्ट्रिक्ट एसोसिएशन से स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन का निर्माण होता है। डिस्ट्रिक्ट एसोसिएशन प्लेयर्स के इंडिविजुअल परफॉरमेंस के आधार पर डिस्ट्रिक्ट लेवल मैचों के लिए प्लेयर्स का सिलेक्शन करती है। डिस्ट्रिक्ट एसोसिएशन सिलेक्शन कमिटी प्रत्येक प्लेयर के परफॉरमेंस का बड़ी बारीकी से ऑब्जरवेशन करती है और डिस्ट्रिक्ट लेवल के टीम का निर्माण करती है। इस डिस्ट्रिक्ट लेवल के टीम के प्लेयर्स स्टेट एसोसिएशन के लेवल पर खेलने के लिए चुने जाते हैं। स्टेट लेवल के मैचों और टूर्नामेंट्स में प्रदर्शन के आधार पर प्लेयर्स का राष्ट्रीय स्तर पर रणजी मैचों में खेलने के लिए सिलेक्शन किया जाता है। पुन: रणजी मैचों में खिलाडिय़ों का परफॉरमेंस अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर टीम के चयन का आधार बनता है। कुल मिलाकर क्रिकेट मैच की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय टीम में सिलेक्शन का आधार रणजी ट्राफी होकर जाता है।
राष्ट्रीय स्तर के सिलेक्शन कमिटी के निम्नांकित दो स्तर होते हैं – जूनियर सिलेक्शन कमिटी और सीनियर लेवल कमिटी। जूनियर सिलेक्शन कमिटी अंडर-15, अंडर-17 और अंडर -19 टीमों के लिए प्ल्येर्स का सिलेक्शन करती है जबकि सीनियर लेवल कमिटी अंडर-22 और रणजी ट्राफी के लिए प्लेयर्स का सिलेक्शन करती है।
नेशनल क्रिकेट टीम के लिए खिलाडिय़ों का सिलेक्शन कैसे किया जाता है?
रणजी ट्राफी को इंडिया के नेशनल क्रिकेट टीम में एंट्री का एक और गोल्डन पासपोर्ट माना जाता है। रणजी ट्रॉफी भारत का फस्र्ट क्लास डोमेस्टिक क्रिकेट चैंपियनशिप होता है। इस ट्राफी को रणजी भी कहा जाता है। इसे शुरू में ‘क्रिकेट चैंपियनशिप ऑफ इंडिया’ कहा जाता था। इस ट्रॉफी में सभी राज्यों की क्रिकेट टीम का रिप्रजेंटेशन होता है। कुछ रणजी टीम एक से अधिक राज्यों को रिप्रेजेंट करती है। प्रारंभ में रणजी ट्राफी की टीमों को पांच जोंस वेस्ट, नार्थ, ईस्ट, साउथ और सेंट्रल में बांटा गया था।
वर्तमान में रणजी ट्रॉफी में 28 राज्यों की टीम हैं। छत्तीसगढ़ इस ऐतिहासिक ट्रॉफी को ज्वाइन करनेवाली लेटेस्ट क्रिकेट टीम है। रणजी टीम में प्लेयर्स का सिलेक्शन 29 राज्य और 6 यूनियन टेरिटरीज से होता है।
वैसे विभिन्न क्रिकेट एसोसिएशन और फस्र्ट क्लास क्रिकेट क्लब्स से भी कुछ खिलाडिय़ों को रणजी ट्रॉफी में खेलने का अवसर मिलता है। रणजी ट्रॉफी के लिए प्लेयर्स का सिलेक्शन कैसे होता है?
यदि आप क्रिकेट में करियर बनाना चाहते हैं तो आपको इसके लिए सबसे पहले इस खेल को बचपन से खेलने की शुरुआत करनी पड़ेगी। बेहतर होगा यदि आप लोकल लेवल पर किसी क्रिकेट टीम या लोकल क्लब को ज्वाइन कर लें।
यदि आपका स्कूल किसी मेट्रोपोलिटन सिटी या बड़े शहर में है तो आप भाग्यशाली हैं, क्योंकि ऐसी स्थिति में शीघ्र ही आपको अपने डिस्ट्रिक्ट एसोसिएशन में खेलने का मौका मिल सकता है।
नियमित अभ्यास से व्यक्ति पूर्ण बनता है और यह कथन क्रिकेट में करियर बनाने के लिए भी सोलहों आने सच साबित होता है। आपको रेग्युलरली क्रिकेट खेलने की प्रैक्टिस करनी होगी। जितने अधिक क्रिकेट मैच आप खेलेंगे आपके लिए डिस्ट्रिक्ट लेवल पर, स्टेट लेवल पर, रणजी ट्रॉफी और अंत में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय लेवल पर इंडिया टीम के लिए खेलने के चांस उतने ही नजदीक और मजबूत होते जायेंगे।
कई डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशंस को मिलकर एक डिवीजन बनता है। डिवीजन लेवल पर सिलेक्शन के लिए डिस्ट्रिक्ट लेवल पर ट्रायल होता है। इंटर-डिवीजनल टूर्नामेंट्स में परफॉरमेंस के आधार पर खिलाडिय़ों का कैम्प्स के लिए चुनाव किया जाता है। इन कैम्प्स में चुने गये प्लेयर्स को प्रसिद्द कोच के द्वारा उत्कृष्ट क्रिकेट खेलने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है और इन कैम्प्स में एक स्टार क्रिकेटर को गढ़ा जाता है। कैम्प्स के ये खिलाड़ी कई टूर्नामेंट्स भी खेलते हैं और इन टूर्नामेंट्स में परफॉरमेंस को विभिन्न राज्यों से रणजी ट्रॉफी में सिलेक्शन का पैरामीटर माना जाता है।
यदि कठिन मेहनत और कठोर अभ्यास के बावजूद दुर्भाग्यवश आपका रणजी टीम के लिए चयन नहीं हो पाता है तो भी आपको निराश होने की जरूरत नहीं है। आपके लिए अभी भी स्वर्णिम अवसर के कई दरवाजे खुले हुए हैं।
असफलता की इस स्थिति में आप अंडर-19 वल्र्ड क्रिकेट टूर्नामेंट में अपने भाग्य की आजमाईश कर सकते हैं। यदि आप इस टूर्नामेंट्स में सेंचुरी या हाफ-सेंचुरी बना लेते हैं, या अपने टीम के लिए कई महत्वपूर्ण विकेट्स झटक लेते हैं या एक उम्दा क्षेत्र रक्षण के द्वारा विरोधी टीम को एक बड़ा स्कोर खड़ा करने से रोक लेते हैं तो सेलेक्टर्स के द्वारा आपकी प्रतिभा की पहचान हो जाती है और आप इंडिया टीम में खेलने के सपने को बड़ी आसानी से साकार कर लेते हैं।
यदि यहां पर भी आप दुर्भाग्य से चूक जाते हैं तो भी निराश होने का कोई प्रश्न नहीं उठता है। मॉडर्न समय में क्रिकेट के नए संस्करण आ रहे हैं जिसमें आईपीएल सबसे चर्चित है। आईपीएल और टी-20 – लिमिटेड एडिशन मैचों की शुरुआत बीसीसीआई के द्वारा 2007 – 2008 में किया गया था जिसमें खिलाडिय़ों का चयन मुख्य रूप से रणजी ट्रॉफी टीम्स से ऑक्शन के आधार पर चुने जाते हैं। 8 टीमों वाले इस आईपीएल मैचों में कुछ खिलाड़ी नेशनल और इंटरनेशनल लेवल के ख्यातिप्राप्त और रिकॉर्ड होल्डर्स वाले भी होते हैं। आप अपने पूर्व के खेले गये मैचों में परफॉरमेंस के आधार पर आईपीएल में अपनी सीट पक्की कर सकते हैं।
इसके अतिरिक्त इंडिया ‘ए’ टीम भी क्रिकेट में करियर बनाने के इच्छुक युवाओं को नेशनल लेवल पर क्रिकेट खेलने का मौका देती है। इंडिया ‘ए’ टीम में रणजी ट्राफी के स्टार परफॉर्मर खिलाड़ी होते हैं। यह इंडिया की दुसरे दर्जे की टीम होती है।
आप कितना कमा सकते हैं?
1990 के इकनोमिक रिफॉर्मस के बाद से पूरी दुनिया में क्रिकेट के खेल और खिलाडिय़ों को मिलने वाले पारिश्रमिक में काफी परिवर्तन आये हैं। इतना ही नहीं मॉडर्न टाइम में एक क्रिकेट प्लेयर का स्टेटस बॉलीवुड और हॉलीवुड के सुपर स्टार हीरो और हीरोइन से कभी कम नहीं होता है। सचिन तेंदुलकर जैसे प्लेयर के फेम और फॉरच्यून के बारे में सहजता से अनुमान लगाया जा सकता है।
विभिन्न प्रोडक्ट्स के ब्रांड एम्बेसडर के अतिरिक्त टेलीविजन के विभिन्न चैनलों पर विभिन्न प्रोडक्ट्स के लिए विज्ञापनों के साथ अपीयरेंस के कारण क्रिकेट खिलाडिय़ों के करिश्माई व्यक्तित्व ने क्रिकेट को अपना करियर बनाने के प्रति उत्पन्न जादू ने किशोरों और युवाओं को हाल के वर्षों में बड़ी संख्या में अपनी और आकर्षित किया है।
बीसीसीआई के द्वारा नेशनल और इंटरनेशनल क्रिकेट मैच खेलने वाले खिलाडिय़ों को एक बड़ी रकम पारिश्रमिक के रूप में भुगतान की जाती है। यह राशि करोड़ों में भी जाती है। वैसे इस सच से भी कदापि इंकार नहीं किया जा सकता है कि पारिश्रमिक की मात्रा प्रत्येक खिलाड़ी के व्यक्तिगत करिश्मा और पिच पर उनके परफॉरमेंस पर निर्भर करता है।
वैसे बीसीसीआई ने सभी प्लेयर्स को पारिश्रमिक भुगतान के लिए चार श्रेणियों ‘ए’ प्लस, ए, बी और सी में बाट रखा है। खिलाडिय़ों के इन श्रेणियों में बांटे जाने का क्राइटेरिया खिलाडिय़ों के एक्सपीरियंस और पूर्व के वर्ष में खेले गये मैचों में परफॉरमेंस के आधार पर निर्धारित किया जाता है। प्लेयर्स की रैंकिंग एक वर्ष के लिए मान्य होती है। यदि कोई प्लेयर वर्ष के बीच में ज्वाइन करता है तो उसे सी केटेगरी में रखा जाता है।
विभिन्न श्रेणियों में खिलाडिय़ों के सैलरी स्ट्रक्चर्स इस प्रकार हैं –
रिटेनर फी
यह फी खिलाड़ी के कॉन्ट्रैक्ट और रैंकिंग के आधार पर तय होता है। ‘ए’ प्लस रैंकिंग वाले खिलाडिय़ों का रिटेनर फी सात करोड़ रूपये होता है जबकि ‘ए’ केटेगरी के प्लेयर्स के लिए 5 करोड़, बी केटेगरी के प्लेयर के लिए यह फी 3 करोड़ रूपये और सी केटेगरी वाले प्लेयर के लिए 1 करोड़ रूपये सालाना होती है।
मैच फी
यह फी इंटरनेशनल मैच खेलने के लिए दिया जाता है। यह सभी प्रकार के श्रेणियों के प्लेयर्स के लिए एक जैसा होता है। प्रत्येक टेस्ट मैच में खेलने के लिए प्रत्येक खिलाड़ी को प्रति मैच 15 लाख रूपये का भुगतान किया जाता है। जबकि प्रत्येक वन डे इंटरनेशनल मैच के लिए यह फी 6 लाख रूपये है। टी-20 मैच के लिए मैच फी 3 लाख रूपये होती है।
इंडिविजुअल परफॉरमेंस बोनस
यह बोनस पर्सनल परफॉरमेंस के आधार पर पे किया जाता है। टेस्ट मैच या वन डे मैचों में प्रत्येक सेंचुरी के लिए खिलाड़ी को 5 लाख रूपये का एडिशनल बोनस मिलता है जबकि इन सभी मैचों में डबल सेंचुरी के लिए 7 लाख रूपये के बोनस का भुगतान किया जाता है।
टेस्ट, वन डे या टी-20 मैचों में 5-विकेट के रिकॉर्ड परफॉरमेंस के लिए बॉलर को 5 लाख और 10 विकेट के लिए 7 लाख रूपये के एडिशनल बोनस का भुगतान किया जाता है।
एक खिलाड़ी का पारिश्रमिक और कमाई का यही अंत नहीं है। आईसीसी टॉप 3 के टीम के विरुद्ध टेस्ट मैच में किसी भी जीत के लिए खिलाडिय़ों के मैच फी में 50 परसेंट का इजाफा किया जाता है। जबकि इन्हीं तीन टीमों के विरुद्ध टेस्ट सीरीज जितने पर मैच फी में 100 प्रतिशत की वृद्धि की जाती है। आईसीसी और वल्र्ड कप में जीत मिलने पर खिलाडिय़ों के मैच फी में 300 फीसदी अधिक फी का भुगतान किया जाता है।
एक सफल क्रिकेट खिलाड़ी कैसे बनें
क्रिकेट में करियर एक आसान प्रोफेशन नहीं होता है। इसमें चैंपियन बने रहने के लिए समर्पण, संघर्ष, कठिन मिहनत और त्याग की जरूरत होती है। क्रिकेट में करियर बनाने के इच्छुक युवा को अपना सौ प्रतिशत देना होता है। पिच पर खड़े होकर प्रत्येक फेंके गये गेंद पर चौंका और छक्का लगाने के लिए खिलाड़ी को रोज दिन काफी मेहनत और प्रैक्टिस करनी होती है। आशय यह है कि यदि आप देश के नेशनल टीम में सेलेक्ट हो जाते हैं तो भी आपको इस क्षेत्र में सर्वाइव करने के लिए पिच पर काफी मिहनत करने के लिए तैयार रहना पड़ेगा।
इसके अतिरिक्त यदि आपको एक सफल खिलाड़ी बनना हो तो क्रिकेट के एक्सपर्ट और प्रोफेशनल कहते हैं कि आपको क्रिकेट के केवल एक विधा या सेग्मेंट ही नहीं बल्कि इसके सभी सेग्मेंट्स में एक्सपर्ट बनना होगा। अर्थात क्रिकेट सिलेक्शन टीम आपसे ऑल-राउंडर होने की अपेक्षा रखती है।
बॉलिंग से लेकर बैटिंग और फील्डिंग से लेकर विकेट-कीपिंग – यदि कोई भावी क्रिकेट प्लेयर क्रिकेट के इन सभी सेग्मेंट्स में अपने आपको एक्सपर्ट बना लेता है तो उसके क्रिकेट में सक्सेसफुल करियर के अतिरिक्तअकूत धन और बेशुमार प्रतिष्ठा पाने के दिनों की शुरुआत हो जाती है।
श्रीप्रकाश शर्मा
(लेखक जवाहर नवोदय विद्यालय में प्राचार्य हैं)