
ऊँ अर्थात् ओउम् तीन अक्षरों से बना है, जो सर्व विदित है। अ उ म् । ”अ’’ अर्थात् उत्पन्न होना, ”उ’’ का तात्पर्य है उठना या उडऩा अर्थात् विकास होना। ”म’’ का मतलब है मौन हो जाना अर्थात् ”ब्रह्मलीन’’ हो जाना।
ऊँ सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और पूरी सृष्टि का द्योतक है। ऊँ का उच्चारण शारीरिक लाभ प्रदान करता है।
जानें, ऊँ कैसे है स्वास्थ्य वद्र्धक और अपनाएं आरोग्य के लिए मात्र ऊँ के उच्चारण का मार्ग…
ऊँ दूर करे तनाव: अनेक बार ऊँ का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव-रहित हो जाता है।
ऊँ और घबराहट: अगर आपको घबराहट या अधीरता होती है तो ऊँ के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं।
ऊँ और तनाव: यह शरीर के विषैले तत्त्वों को दूर करता है, अर्थात तनाव के कारण पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है।
ऊँ और रक्त प्रवाह: यह हृदय और ख़ून के प्रवाह को संतुलित रखता है।
ऊँ और पाचन क्रिया: ऊँ के उच्चारण से पाचन शक्ति व क्रिया तेज होती है।
ऊँ से शारीरिक स्फूर्ति: इससे शरीर में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है।
ऊँ से थकान से मुक्ति: थकान से बचाने के लिए इससे उत्तम उपाय कुछ और नहीं।
ऊँ से सुखद नींद: नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है। रात को सोते समय नींद आने तक मन में इसका ध्यान करने से निश्चित नींद आएगी।
ऊँ से फेफड़ों की शुद्धि: कुछ विशेष प्राणायाम के साथ ऊँ का उच्चारण करने से फेफड़ों में मजबूती आती है।
ऊँ और रीढ़ की हड्डी: ऊँ के पहले अक्षर ”ओ’’ का उच्चाररण करने से कंपन पैदा होती है। इन कंपन से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और इसकी क्षमता बढ़ जाती है।
ऊँ और थायरायड: ऊँ के दूसरे अक्षर ”म्’’ का उच्चाचरण करने से गले में कंपन पैदा होती है जो कि थायरायड ग्रंथि पर प्रभाव डालती है।