
पहला सुख निरोगी काया, सदियों रहे यौवन की माया। वैज्ञानिकों व चिकित्सकों ने अपने शोध से ऐसे आहार-विहार, आयुवर्धक औषधियों, वनस्पतियों आदि की खोज कर ली है, जिनके नियमित सेवन से हमारी उम्र 200-250 वर्ष या ज्यादा बढ़ सकती है। प्राचीन काल में हमारे ऋषि-मुनि योग, तप, दैविक आहार व औषधियों के सेवन से सैकड़ों वर्ष जीवित रहते थे। ऐसा ही एक आयुवर्धक भोजन है ‘अलसी’। आयुर्वेद में अलसी को दैविक भोजन माना गया है।
सेक्स संबंधी समस्याओं के अन्य सभी उपचारों में सर्वश्रेष्ठ और सुरक्षित है अलसी। बस 30 ग्राम अलसी का सेवन रोज करना है। सबसे पहले तो अलसी आप को और आपके जीवनसाथी की त्वचा को आकर्षक, कोमल, नम, बेदाग व गोरा बनायेगी। आपके केश काले, घने, मजबूत, चमकदार और रेशमी हो जायेंगे। अलसी आपको ऊर्जावान, बलवान और मांसल बना देगी। शरीर में चुस्ती-फुर्ती बनी रहेगी, क्रोध कम आयेगा, थकावट नहीं होगी। मन शांत, सकारात्मक और दिव्य हो जायेगा। अलसी में विद्यमान ओमेगा-3 फैट, जिंक और मैग्नीशियम आपके शरीर में पर्याप्त टेस्टोस्टिरोन हार्मोन और उत्कृष्ट श्रेणी के फेरोमोन (आकर्षण के हार्मोन)स्रावित होंगे। अलसी के पौधे में नीले फूल आते हैं। अलसी का बीज तिल जैसा छोटा, भूरे या सुनहरे रंग का व इसकी सतह चिकनी होती है। प्राचीन काल से अलसी का प्रयोग भोजन, कपड़ा व रंग-रोगन के लिये होता आया है। हमारी दादी मां जब हमें फोड़ा-फुंसी हो जाती थी तो, अलसी की पुलटिस बनाकर बांध देती थीं।
अलसी में मुख्य पौष्टिक तत्व ओमेगा-3 फेटी एसिड, एल्फा-लिनोलेनिक एसिड, लिगनेन, प्रोटीन व फाइबर होते हैं। ओमेगा-6 मूंगफली, सोयाबीन, मकई आदि तेलों में प्रचुर मात्रा में होता है। ओमेगा-3 हमारे शरीर के विभिन्न अंगों विशेष तौर पर मस्तिष्क, स्नायुतंत्र व आंखों के विकास व उनके सुचारु रुप से संचालन में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं। हमारी कोशिकाओं की भित्तियां ओमेगा-3 युक्त फोस्फोलिपिड से बनती हैं। जब हमारे शरीर में ओमेगा-3 की कमी हो जाती है तो ये भित्तियां मुलायम व लचीले ओमेगा-3 के स्थान पर कठोर व कुरुप ओमेगा-6 फैट या ट्रांस फैट से बनती है। और यहीं से हमारे शरीर में उच्च रक्तचाप, मधुमेह प्रकार-2, आर्थराइटिस, मोटापा, कैंसर, आदि बीमारियों की शुरुआत हो जाती है। शरीर में ओमेगा-3 की कमी व इन्फ्लेमेशन पैदा करने वाले ओमेगा-6 के ज्यादा हो जाने से प्रोस्टाग्लेन्डिन-ई2 बनते हैं, जो लिम्फोसाइट्स को अपने पास एकत्रित करते हैं व फिर ये साइटोकाइन व कोक्स एंजाइम का निर्माण करते हैं शरीर में इनफ्लेमेशन फैलाते हैं। हमारे शरीर के ठीक प्रकार से संचालन के लिये ओमेगा-3 व ओमेगा-6 दोनों ही बराबर अनुपात में चाहिये। ओमेगा-6 की मात्रा बढऩे से हमारे शरीर में इन्फ्लेमेशन फैलते है तो ओमेगा-3 इन्फ्लेमेशन दूर करते हैं। ओमेगा-6 हमें तनाव, सरदर्द, डिप्रेशन का शिकार बनाते हैं तो, ओमेगा-3 हमारे मन को प्रसन्न रखते है, क्रोध भगाते हैं, स्मरण शक्ति व बुद्धिमत्ता बढ़ाते हैं। ओमेगा-6 आयु कम करते हैं, तो ओमेगा-3 आयु बढ़ाते हैं। ओमेगा-6 शरीर में रोग पैदा करते हैं, तो ओमेगा-3 हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। ओमेगा-3 की कमी को 30-60 ग्राम अलसी दिन में लेने से पूरा किया जा सकता है। ये ओमेगा-3 ही अलसी को सुपर फूड का दर्जा दिलाते हैं।
आंखों में अलसी का तेल डालने से आंखों का सूखापन दूर होता है, और काला पानी व मोतियाबिंद होने की संभावना भी बहुत कम हो जाती है। अलसी ब्लड शुगर नियंत्रित रखती है, डायबिटीज से होने वाले दुष्प्रभावों को कम करती है। चिकित्सक डायबिटीज के रोगी को कम शर्करा और ज्यादा फाइबर लेने की सलाह देते हैं। अलसी में फाइबर की मात्रा अधिक होती है। इस कारण अलसी के सेवन से लंबे समय तक पेट भरा रहता है, देर तक भूख नहीं लगती है। यह बी.एम.आर. को बढ़ाती है, शरीर की चर्बी कम करती है।
रीतिका अग्निहोत्री