
राजनीति में आमतौर पर सरकार बदलती है तभी मुख्यमंत्री व उसका मंत्रिमंडल पूरी तरह बदलता है लेकिन सत्ता में रहते जब कोई राजनीतिक दल मुख्यमंत्री सहित पूरी केबिनेट को ही बदल दे तो ये अपने आप में एक ऐतिहासिक फैसला होता है। गुजरात में गत दिनों ऐसा ही करिश्मा देखने को मिला। मुख्यमंत्री विजय रुपाणी शनिवार 11 सितंबर को पाटीदार समाज की सर्वमान्य संस्था पाटीदार विश्व समाज सरदार धाम के एक समारोह में शिरकत करते हैं और उसके चंद मिनटों बाद ही राजभवन पहुंचकर राज्यपाल आचार्य देवव्रत को इस्तीफा सौंप देते हैं। कमोबेश इसी तरह अगस्त 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने अपने इस्तीफे की घोषणा फेसबुक पर की थी और रुपाणी को उनकी जगह गुजरात की कमान सौंपी गई थी। सितंबर 2021 में जब रुपाणी ने इस्तीफा दिया तो उप-मुख्यमंत्री नितिन पटेल को सत्ता के गलियारों में भावी मुख्यमंत्री मान लिया गया, हालांकि ऐसा ही 2016 में भी माना गया था, लेकिन नितिन पटेल तब भी और अब भी मुख्यमंत्री नहीं बन सके। विधायक दल की बैठक में नेता के रूप में नाम पूकारा गया भूपेंद्र पटेल का, इस बैठक में तीन भूपेंद्र मौजूद थे। जिन्हें मुख्यमंत्री के लिए चुना गया था वे तो चौथी कतार में एक कोने में बैठकर अन्य विधायकों के साथ विधायक दल के नये नेता के लिए तालियां बजाकर खुशी जता रहे थे। जब सुरक्षाकर्मी भूपेंद्र पटेल के पास पहुंचकर उन्हें विशेष सुरक्षा घेरे में ले लिया तो वे खुद एक बारगी चौंक गये। उन्हें ही गुजरात के 17वें मुख्यमंत्री के रुप में चुना गया था। इसके बाद तो उन्हें बधाई देने वालों का तांता सा लग गया।
पेशे से इंजीनियर भूपेंद्र पटेल को पाटीदार होने के कारण मुख्यमंत्री के लिए चुना गया यह सही है लेकिन इसके अलावा भाजपा के केंद्रीय आलाकमान की ओर से भूपेंद्र पटेल को चुने जाने के और भी कई कारण हैं इनमें से सबसे अहम तो यह कि उनकी पहचान गुजरात की राजनीति में अजातशत्रु की है, 1996 में नगर महानगर पालिका के चैयरमेन बनने के बाद उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। थलतेज वार्ड से अहमदाबाद महानगर पालिका में पार्षद चुने गये तथा यहां स्थानीय समिति के चैयरमेन बने। इसके बाद उन्हें अहमदाबाद शहर विकास प्राधिकरण का चैयरमेन नियुक्त किया गया। उन्होंने हर जगह अपनी प्रशासनिक कार्यकुशलता व दूरदर्शी नेता की छाप छोड़ी जिसके चलते 2021 में उन्हें भाजपा आलाकमान ने मुख्यमंत्री पद के लिए चुन लिया। भूपेंद्र पटेल गुजरात के नामी विश्व उमिया फाउण्डेशन में ट्रस्टी हैं तथा दादा भगवान परिवार सिमंधर त्रिमंदिर के भी पूरे भक्त हैं। अध्यात्मिकता उनमें कूटकूट कर भरी है। भरपूर जीवन जीने के साथ ही अब वे अध्यात्म के क्षैत्र में आगे बढ रहे थे, दादा भगवान परिवार के पूज्य दीपक भाई के साथ सत्संग में चर्चा के दौरान भी वे अक्सर कहते कि दादा भगवान के आशीर्वाद से उन्हें ईश्वर ने खूब दिया अब तक वे जीवन के जिन झंझावातों में उलझे रहा करते थे वे सब तो व्यर्थ हैं, यहीं पर जीवन का सार है, यह ज्ञान उन्हें सालों की साधना के बाद प्राप्त हुआ। मुख्यमंत्री का कार्यभार ग्रहण करने से पहले भी भूपेंद्र भाई ने अपने सीएमओ में पहले तीर्थकर सिमंधर स्वामी की प्रतिमा स्थापित की तथा उनकी आराधना के बाद ही गुजरात की गद्दी को संभाला। गुजरात में पाटीदार समाज के दो समुदाय कडवा व लेउवा पाटीदार हैं, बाबूजश भाई पटेल, चिमनभाई पटेल, केशुभाई पटेल, आनंदीबेन पटेल, ये सभी लेउवा समुदाय से आते हैं लेकिन भूपेंद्र पटेल गुजरात के पहले कडवा पाटीदार मुख्यमंत्री का गौरव ले सकते हैं।
अल्पभाषी एवं लो प्रोफाइल रहने वाले भूपेंद्र पटेल ने अपने कैरियर की शुरुआत एक भवन निर्माता के रूप में की तथा अहमदाबाद में कई नामी इमारतों का निर्माण कराया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय ग्रहमंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का उन्हें खास माना जाता है। 2017 में अपना पहला विधानसभा चुनाव लडऩे वाले भूपेंद्र पटेल ने एक लाख 17 हजार मतों से यह चुनाव जीता। यह चुनाव उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल की परंपरागत सीट घाटलोडिया से लडा जो केंद्रीय मंत्री अमित शाह के संसदीय क्षेत्र गांधीनगर में आता है। भूपेंद्र पटेल मुख्यमंत्री के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, आनंदीबेन की पहली पसंद रहे इसके पीछे प्रमुख कारण उनका लोक व्यवहार है जो उन्हें अजातशत्रु बनाता है।
एक सामान्य सिविल इंजीनियर से मुख्यमंत्री बनने के सफर के दौरान भूपेंद्र पटेल का जीवन पूरी तरह निर्विवादित रहा, आवासीय फ्लैटनिर्माण व कॉलोनाइजर के रूप में उन्होंने नाम व पैसा खूब कमाया। इसी के साथ में नगरपालिका, अहमदाबाद महानगर पालिका का चुनाव जीता। इसके बाद अहमदाबाद शहरी विकास प्राधिकरण के चैयरमेन बने इस दौरान उन्होंने हमेशा विकास व जनकल्याण के लक्ष्य को आगे रखा। जिस दिन उन्हें विधायक दल का नेता चुना गया उस दिन सुबह वे अपने विधानसभा क्षेत्र में पौधारोपण करके निकले थे। व्यक्तित्व के साथ गुजराती समाज में उनकी सहज स्वीकार्यता का कारण सरदार धाम, विश्व उमिया फाउण्डेशन, दादा भगवान परिवार से जुडा होना ही उनहें अन्य दिग्गज पाटीदार नेताओं से अधिक दमदार बनाता है। 200 करोड़ की लागत से बने सरदारधाम में समाज के युवक युवतियों को अहमदाबाद सहित राज्य के अन्य शहरों में यूपीएससी, जीपीएससी सहित अन्य प्रशासनिक परीक्षाओं की तैयारी व प्रशिक्षण के लिए कोचिंग, होस्टल आदि की सुविधा प्रदान करता है इस संस्था से अभी तक कई हजार युवक युवती निकल चुके हैं। दादा भगवान परिवार के भारत सहित दुनिया में करीब डेढ सौ सत्संग केंद्र हैं। संस्था अध्यात्म के साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, अफोर्डेबल कीमत पर आवास व अन्य सुविधाएं देने के साथ जरुरतमंदों को जीवन की हर आवश्यक मदद भी उपलब्ध कराती है।
प्रशासनिक दक्षता के मामले में भूपेंद्र पटेल ने खुद को कई बार साबित किया है, मुख्यमंत्री बनते ही सौराष्ट्र के कुछ जिलों में हुई अतिव्रष्टी से उनकी पहली कसौटी हुई। इसमें उन्होंने तुरंत अधिकारियों की उच्च स्तरीय बैठक बुलाई तथा खुद प्रभावित लोगों से मिलने सीधे पीडितों के गांव पहुंच गये। कुछ माह पहले गुजरात के समु्द्री तट व सौराष्ट्र में भारी तबाही मचाने वाले समुद्री तुफान ‘ताउते’ में अपना घर, पशु व खेत व बागों में नुकसान झेलने वालों का रिसर्वे कराकर उनके मुआवजे की राशि को बढाकर उनहोंने जनमानस में संवेदनशील सरकार का संदेश दिया है। मंत्रियों व अधिकारियों को सप्ताह में दो दिन सोमवार व मंगलवार को सचिवालय में पूरे समय रहकर जनता व जनप्रतिनिधियों की समस्याओं को सुनने के निर्देश दिये हैं, इसके पीछे उनका मकसद है कि गांधीनगर आने वाले हर व्यक्ति को अपनी बात कहने का मौका मिल सके। मंत्रियों को भी 15 दिन तक लगातार गांधीनगर में रुककर सरकार के कामकाज व तौर तरीकों को सीखने को कहा गया है। नई सरकार के आधे से अधिक मंत्री पहली बार विधायक बने हैं, सबसे खास बात यह भी है कि कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने वाले तीन नेता राघवजी पटेल, ब्रजेश मेरजा व जीतूभाई चौधरी भी इस सरकार में मंत्री बने, इन तीनों ने कांग्रेस से ही भाजपा में आने वाले कुंवरजी बावलीया, जवाहर चावडा व धर्मेन्द्र जाडेजा को मंत्रीमंडल में रिपलेस किया है।
भाजपा के एक सामान्य कार्यकर्ता से मुख्यमंत्री तक पहुंचने की यात्रा बहुत साधारण लेकिन उपलब्धियों से भरी है, राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक पहलु से संपन्न होने के बावजूद भूपेंद्र लॉ प्रोफाइल रहते हैं सहज सरल व सर्वसुलभ हैं, पान खाने के शौकीन हैं। अपनों के बीच दादा के नाम से लोकप्रिय हैं, उन्हें क्रिकेट व बैडमिंटन बहुत प्रिय है।
प्रतीक्षा आचार्य