
1उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव का बिगुल तो बजा पर अभी चुनाव चरम सीमा पर नहीं पहुंचा। एक बात बड़ी आश्चर्यजनक रूप से दिखाई दे रही है जो पिछले चालीस-पचास सालों में नहीं हुआ वो दृश्य उत्तर प्रदेश के 2022 के चुनाव में दिखाई दे रहा है। पिछले बहुत से चुनावों में हिन्दु और मुसलमान वोटों में लाईन खींच कर बंटवारा होता रहा है। लगभग सभी राजनैतिक पार्टियां मुसलमानों के तुष्टीकरण में लगी हुयी थी। हिन्दुओं के विभिन्न जातियों में बंटे होने के कारण और धर्म के प्रति कट्टर न होने के कारण उनका वोट संगठित नही होता था। ऊपर से जातिवाद पर भी वोट बंटता था। इस डिवीजन को देखते हुये राजनैतिक पार्टियों का मुसलमानों के संगठित वोट पर ही ध्यान केन्द्रित रहता था। यहीं से तुष्टीकरण का खेल शुरू हुआ। पार्टियों और नेताओं में मुस्लिम वोटों को अपनी ओर खींचने की होड़ लगी रहती थी और इसमें राजनैतिक दल उन्हें खुश करने के लिये किसी भी सीमा तक चले जाते थे, लेकिन योगी की पांच साल की सरकार के बिना भेदभाव के सुविधाओं, संसाधनों का आबंटन और प्रदेश को पांच साल दंगा-विहीन रखना मुसलमानों को बहुत भा रहा है।
हिन्दु हो या मुसलमान कोई भी दंगे-फसाद नहीं चाहता, लूट-खसोट से बचना चाहता है। योगी के शासन के पांच साल की कानून व्यवस्था की प्रशंसा दोनो ही कर रहे हैं। दोनों सम्प्रदाय के लोग अपने आप को सुरक्षित महसूस कर रहे है। मुसलमानों का मन योगी के नाम और काम पर भाजपा को अपना वोट देने का बन रहा है। इसके बहुत से कारण स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं। 40 लाख से अधिक आवास गरीबों को दिये गये इनमें 3 लाख से अधिक मुसलमानों को मिले हैं। इसी तरह मुसलमानों के घरों मे अनगिनत शौचालय बने है। बिजली के लाखों मुफ्त कनेक्शन भी उनको मिले। रसोई गैस कनेक्शन भी मुफ्त मिले। यानि जो भी सुविधायें दी गयी उनमें किसी तरह का भेदभाव नहीं हुआ है।
रोड और सडक़े या मोहल्ले की गलियों में खरंजे आदि मुसलमानों के मुहल्लों में भी बनें। जहां उनके मुहल्लों में गंदगी व कीचड़ भरा रहता था अब नहीं भरता। ऐसा हजारों मुसलमान खुद टीवी पर कहते देखे गये है।
इससे भी बड़ी बात ये है कि दंगा-फसादों पर पांच वर्ष पूरा नियंत्रण रहा जबकि पिछली सरकारों में दंगे हो जाना आम बात थी। सपा के राज में दंगे होते ही रहते थे। समाजवादी पार्टी के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के समय में 1989 में बदायू में बड़ा दंगा हुआ। उसके बाद 1990 में कानपुर में भी बड़ा दंगा हुआ था। फिर उनके शासन काल में 2005 में मऊ में, 2006 में लखनऊ में और 2007 में गोरखपुर में भारी दंगे हुये। अपने पिता के दंगा कार्यक्रम को बरकरार रखते हुये मुजफ्फरनगर में सपा के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी दंगे होने दिये। दंगे रोकने की बात तो दूर, दंगे की जड़ ही उनके सिपहसालार या उनके गुरू रामपुर के आजम खान थे। लड़कियों को छेडऩे की शिकायत दर्ज करने के कारण तत्कालीन सपा सरकार के सबसे कद्दावर मंत्री और मुजफ्फरनगर जिले के प्रभारी आजम खान ने आधी रात को जिले के कप्तान और जिलाधिकारी का ट्रांसफर करवाया। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव खुद उनके साथ हो लिये। इस तरह आजम खान ने अपने धर्म के दो अपराधियों को बचानें के लिये पूरे मुजफ्फरनगर को दंगे की आग में झोंक दिया। नतीजा मुस्लिम क्षेत्र से हिन्दुओं का पलायन अपनी जान बचानें और परिवार की बहु-बेटियों की इज्जत बचाने के लिये हुआ। हिन्दुओं के घरों पर ताला लग गया। मकान बिकाऊ हो गये। हालात कश्मीर से बदतर होने लगे। अखिलेश सरकार आजम खान के दबाव में कुछ नहीं कर सकी। योगी के मुख्यमंत्री बनते ही सबनें राहत की सांस ली। दंगा तो क्या कभी झगड़े-फसाद तक नहीं हुये। मुजफ्फरनगर में ही नहीं पूरे प्रदेश में शान्ति बहाल हुयी। हिन्दु-मुस्लिम में सौहार्द्र आया और वे मिलजुल कर जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
हम सभी ने रामपुर के सैकड़ों मुसलमानों को टीवी पर कहते हुये सुना है कि उनकी जमीने आजम खान ने छुड़ा ली, उनके आदमी गुंडे जबरदस्ती कब्जा कर लेते हैं अपनी मर्जी से पैसा देते है या नहीं भी देते हैं। अभी भी आजम खान के लोग धमकी देते है कि उनकी सरकार आ रही है सबको देख लेंगे। यानि रामपुर का मुसलमान खुद आजम खान से दुखी है। आजम खान के खिलाफ उनके गुंडयायी शिकंजे से बाहर निकलने के बाद मुखर हो चला। देवबन्द की बात करें तो वहां बहुत से मुसलमानों ने शिकायत की है कि यादव उनकी जमीनों पर कब्जा कर लेते हैं। चन्दा वसूलते है और तरह तरह से प्रताडि़त करते है। यही हाल मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद के क्षेत्रों में है जहां हिन्दु ही नहीं मुसलमान के साथ में वसूली की जाती है।
दूसरी ओर उन्नतिशील पढ़ी-लिखी मुस्लिम महिलायें तीन तलाक से छुटकारा पाने के कारण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मादी को धन्यवाद करती दिखाई दे रही है, उनके साथ कुछ नवयुवक भी खड़े दिखाई दे रहे हैं। न जानें कितनी मुस्लिम महिलायें तीन तलाक कानून के बाद बेघर होने से बच गयी। जाने कितने मां-बाप के घरों में लड़कियां वापिस आ गयी तीन तलाक कहकर जिन्हें छोड़ दिया। ऐसे मां बाप और महिलायें योगी के समर्थन में खड़ी हो गयी हैं। इतने सारे कारण हो गये हैं कि मुसलमानों ने शान्ति और विकास की राह का मजा एक साथ पहली बार चखा है इसलिये योगी आदित्यनाथ को वे दोबारा मुख्यमंत्री बनानें के लिये आतुर है।
तुष्टीकरण में केवल उन्हें वोट मिलते थे, कभी मदरसों के नाम पर कभी मस्जिद के नाम पर कभी हज की सुविधायें देने के नाम पर। धर्म के नाम पर उन्हें बरगलाया जाता था। कभी हिन्दुत्व के नाम पर उन्हें डराया जाता था और वे इस गंदी बांटने वाली राजनीति के शिकार आसानी से हो जाते है। आज उनको घर मिला, शौचालय मिले, बिजली मिली, गैस मिली, इलाज की सुविधाये मिली। बीमार लोगों के इलाज पर सरकार ने लाखों करोड़ों रूपये खर्च किये। पहली बार उन्हें पता लगा कि विकास सचमुच क्या होता है। वे धर्म के नाम पर दंगा-फसाद नहीं चाहते। मिलकर रहना चाहते हैं और पांच वर्षों से वास्तव में मिलजुल कर रह भी रहे हैं। यही कारण है कि ओवैसी जैसे नेता भी मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों से मायूस होकर लौट रहे है। उत्तर प्रदेश का मुसलमान विधानसभा चुनाव के दिन का इंतजार कर रहा है। मतगणना के दिन की खुशी देखना चाहता है जब योगी दुबारा मुख्यमंत्री बनेंगे। योगी को दुबारा मुख्यमंत्री के पद पर देखने के लिये काफी संख्या में मुसलमान बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इस चुनाव में देखने को मिलेगा कि बहुत से मुस्लिम इलाकों में, मुहल्लों में, बाजारों में, लोगों ने मोदी योगी की जोड़ी में विश्वास जताते हुये भाजपा को वोट दिये। यदि एैसा होता है तो भाजपा की सीटों की संख्या पहले से अधिक होगी।
यहां एक बात और बताना चाहूंगा कि समाजवादी पार्टी के गले में हड्डी फंस गयी है। सपा नेता मंदिर के पक्ष में कितना बोल लें हिन्दु उनका विश्वास नहीं कर सकते और मुस्लिम अब धर्म के नाम पर कोई झगड़ा नहीं चाहता है। यदि सपा मुस्लिम के पक्ष में फिर तुष्टीकरण की बात करती है जो उसके मुसलमान प्रत्याशियों को अधिक टिकिट देने से प्रमाणित होता है तो हिन्दु एकजुट होकर सपा के खिलाफ वोट करेगा। उसी पषोपष में अखिलेश है, कि क्या करें क्योंकि दंगो की राजनीति फेल हो चुकी है। माफियों को हिन्दु न मुस्लिम, कोई वोट नहीं देना चाहता। मायावती उनके साथ सपा द्वारा की गयी गुंडागर्दी की बात कहती है और किसी भी सूरत में सपा के खिलाफ सरकार बनाने में मदद करेंगी। एैसे राजनैतिक परिदृश्य में कहीं भी दूर-दूर तक सपा सरकार बनने की कोई किरण दिखाई नहीं देती।
डॉ. विजय खैरा