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भूपेंद्र पटेल : गुजरात के आर्थिक इंजीनियर

भूपेंद्र पटेल : गुजरात के आर्थिक इंजीनियर

गुजरात के तीन बेटों को पूरी दुनिया जानती है। सत्य और अहिंसा के पुजारी और साबरमती के संत गांधी जी से दुनिया अनजान नहीं है। आजाद भारत की 562 देसी रियासतों को मिलाकर भारत को सशक्त राष्ट्र के तौर पर स्थापित करने वाले वल्लभभाई पटेल के बिना गुजरात की कल्पना नहीं की जा सकती। दिलचस्प यह है कि उन्हें सरदार की उपाधि बारडोली की महिलाओं ने दी। गांधी ने खुद अपने एक लेख में स्वीकार किया है, ‘वल्लभभाई गुजरात के ही नहीं, मेरे भी सरदार हैं।’ इक्कीसवीं सदी में जिस कुशल राजनय के चलते भारत की साख विदेशी धरती पर भी स्थापित हुई है, उसके प्रणेता भी भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गुजरात की माटी के ही बेटे हैं। सितंबर 2021 के दूसरे हफ्ते में इसी गुजरात की कमान भारतीय जनता पार्टी ने जब भूपेंद्र पटेल को सौंपी तो दुनिया चौंक उठी थी। चौंकने की वजह यह रही कि करीब ढाई दशक से गुजरात की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी के पास नेताओं की लंबी-चौड़ी फौज है। उसके बीच भूपेंद्र पटेल का नाम अनजाना सा था। यही वजह थी कि उनकी कामयाबी को लेकर संशय था। लेकिन अपने छह महीने के कार्यकाल में भूपेंद्र पटेल ने साबित किया है कि गुजरात के मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी ने राज्य की माटी को संवारने की जो नींव रखी थी, उस पर वे लगातार आगे बढ़ते रहे हैं।

केंद्रीय राजनीति में भारतीय जनता पार्टी को प्रमुख और केंद्रीय भूमिका दिलाने में नरेंद्र मोदी के उस विकास नीति की बड़ी भूमिका रही है, जिसे गुजरात मॉडल के तौर पर जाना जाता है। भूपेंद्र पटेल पहली बार के विधायक हैं। उन्होंने विधानसभा का पहला ही चुनाव 2017 में लड़ा था। इसके पहले वे अहमदाबाद नगर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष रह चुके थे। नरेंद्र मोदी के अपने विकास मॉडल के जरिए गुजरात में वैश्विक निवेश को बढ़ावा मिला। राज्य के औद्योगीकरण को नई गति मिली। सड़कों का जाल बिछाया। राज्य की लड़कियों की शिक्षा पर ध्यान दिया। भूपेंद्र पटेल उससे आगे की भूमिका निभा रहे हैं।

गुजरात आत्मनिर्भर हो चुका है, ऐसे में भूपेंद्र पटेल के सामने चुनौती थी कि या तो वे अपनी अलग राह बनाएं और उसके मुताबिक नीति बनाकर काम करें या फिर बनी बनाई लीक पर चलें। लेकिन भूपेंद्र पटेल ने नई लीक बनाने की कोशिश की है। हालांकि उन्होंने परंपरा का दामन नहीं छोड़ा है। लेकिन यह भी सच है कि उन्होंने अपनी तरह से गुजरात के विकास की नई राह तलाशनी शुरू की है। इसी की अगली कड़ी है, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना। इसके जरिए उन्होंने राज्य के किसानों और लोगों के लिए नई भूमिका तैयार की है। आज पूरी दुनिया कीटनाशकों और रासायनिक उर्वरकों से जूझ रही है। आज जो अन्न उत्पादन हो रहा है, रासायनिक और कीटनाशकों की वजह से आज का अन्न दूषित हो चुका है। कैंसर समेत कई दूसरी बीमारियों की वजह यह अनाज ही है। इसके चलते आज लोग प्राकृतिक या जैविक खेती से उपजे अन्न और सब्जियों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। भूपेंद्र पटेल की सरकार ने इस तथ्य को समझा है और राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है। इस योजना में 10 हजार 800 करोड़ रुपए की सालाना सहायता देना मामूली बात नहीं है। इसके तहत अब तक दो लाख किसानों को करीब 200 करोड़ रुपए की सहायता राशि बांटी गई है। इसी के तहत ‘जीवामृत’ नामक योजना के जरिए प्राकृतिक कीटनाशक तैयार करने की महत्वाकांक्षी योजना पर काम किया जा रहा है। इसके तहत किसानों को प्राकृतिक कृषि किट बनाने की तैयारी की गई है। इसके तहत 40 हजार से अधिक किसानों को लगभग 5 करोड़ रुपए की सब्सिडी देना भी कम बड़ी बात नहीं है।

सॉफ्टवेयर उद्योग और प्रतिभा के लिए भारत की पूरी दुनिया में पहचान है। हरियाणा का गुरूग्राम, उत्तर प्रदेश का नोएडा, तेलंगाना का हैदराबाद और कर्नाटक का बंगलुरू सॉफ्टवेयर उद्योग के लिए जाने जाते हैं। गुजरात के बारे में प्रसिद्ध है कि वे अच्छे व्यवसायी होते हैं। पूरी दुनिया में उन्होंने अपनी व्यवसायिक बुद्धि का डंका बजाया है। लेकिन गुजरात की पहचान में सॉफ्टवेयर उद्योग की भूमिका कम ही रही है। चूंकि भूपेंद्र पटेल प्रोफेशनल इंजीनियर हैं, उनकी इंजीनियरिंग की पृष्ठभूमि का ही असर है कि उन्होंने गुजरात की नई योजना में सॉफ्टवेयर को भी स्थापित करने की तैयारी है। उनकी यह सोच ही है कि 25 हजार करोड़ की रकम से सॉफ्टवेयर उद्योग को गुजरात में स्थापित करने और उसे देश की पांच प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करने की तैयारी है। भूपेंद्र पटेल की योजना राज्य को सॉफ्टवेयर के प्रमुख निर्यातक के रूप में स्थापित करना है।

गुजरात में इसी साल के अंत में चुनाव होना है। पिछली बार भारतीय जनता पार्टी को जीत के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। भूपेंद्र पटेल की असली चुनौती इस चुनाव में पार्टी को जीत दिलाना होगी। उनके नेतृत्व की परीक्षा तभी होगी। इस परीक्षा में वे तभी पास हो सकते हैं, अगर संगठन को साथ लेकर चल सकें। गुजरात वैसा राज्य नहीं है, जैसा उत्तर प्रदेश या बिहार हैं। जहां गरीबी है, जहां वंचित समुदाय ज्यादा है। चूंकि इसी राज्य से नरेंद्र मोदी आते हैं, अमित शाह हैं, इसलिए भूपेंद्र पटेल के सामने चुनौती बड़ी है। अगर उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को जिता दिया तो राष्ट्रीय राजनीति में भी उनका कद बढ़ सकता है। अब देखना यह है कि अपने सुशासन, अपनी योजनाओं और अपनी नीतियों के सहारे कितनी बड़ी जीत हासिल कर पाते हैं। गुजरात में अगर उन्होंने जीत हासिल कर ली तो समझिए गुजरात के वे अगले सरदार होंगे। शायद यही वजह है कि वे हर कदम फूंक-फूंक उठा रहे हैं। सबको साथ लेकर चल रहे हैं और गुजरात के लोगों को साधने की कोशिश कर रहे हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता और इंजीनियर भूपेंद्र पटेल मधुरभाषी माने जाते हैं। मुख्यमंत्री बनने से पहले उनका कोई गुट नहीं था। अभी तक गुजरात से ऐसी कोई खबर नहीं आई है, जिससे लगे कि गुजरात भाजपा में उनका अपना कोई गुट भी है। गुजरात की सूरत वैसे भी पहले से चमकदार है। ऐसे में अगर वे उसे और ज्यादा चमकदार बना देते हैं तो इसका फायदा उन्हें मिल सकता है।

 


उमेश
चतुर्वेदी

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