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नई उड़ान : गुजरात में लाखों रोजगार पैदा करेगी नई आईटी और बायो-टेक्नोलॉजी पॉलिसी

नई उड़ान : गुजरात में लाखों रोजगार पैदा करेगी नई आईटी और बायो-टेक्नोलॉजी पॉलिसी

गुजरात सरकार ने इस महीने में दो मुख्य नीतियों की घोषणा की है जिससे राज्य में रोजगार के लाखों अवसर पैदा होंगे। ये दो नीतियां आईटी/आईटीईएस नीति 2022-27 और बायोटेक नीति हैं।

कुछ साल पहले तक गुजरात आईटी क्षेत्र पर उतना ध्यान नहीं दे पा रहा था लेकिन आखिरकार समय की मांग को समझते हुए गुजरात आईटी क्षेत्र पर अपनी पकड़ बनाने के लिए तैयार है। यह तो साफ है कि गुजरात ने हर क्षेत्र में तेजी से विकास किया है और पिछले कुछ वर्षों में बड़ा बदलाव किया है, चाहे वह जल प्रबंधन हो, सौर और नवीकरणीय ऊर्जा हो, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस हो या कृषि हो, अब इसी तरह आईटी क्षेत्र निश्चित रूप से गुजरात की नई उड़ान देखने को मिलेगी।

गुजरात पहले से ही निवेश, व्यवसायों और स्टार्ट-अप के लिए एक वैश्विक केंद्र बन गया है और नई आईटी नीति व्यापार और सेवा क्षेत्र के प्रदर्शन में सुधार करने की दिशा में अहम भूमिका निभाएगी। नई आईटी नीति आईटी निर्यात में 3,101 करोड़ रुपये से 25,000 करोड़ रुपये तक आठ गुना वृद्धि को बढ़ावा देगी। यह नीति पूंजी (केपेक्स) और परिचालन (ओपेक्स) व्यय दोनों के लिए सहायता प्रदान करती है। नई आईटी नीति के तहत, मौजूदा केपेक्स समर्थन को 1 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 200 करोड़ रुपये कर दिया गया है। सरकार ने 15 प्रतिशत ओपेक्स समर्थन प्रदान करने का भी प्रस्ताव किया है जो पांच साल की नीति अवधि के लिए प्रति वर्ष 20-40 करोड़ रुपये तक होगा।

 

आत्मनिर्भर भारत के विजन को बढ़ावा देते हुए यह पॉलिसी आईटी सेक्टर में समग्र विकास को प्रोत्साहित करने पर जोर देती है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा, ‘मेरा दृढ़ विश्वास है कि यह नीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आठ सपनों में से एक ‘बेरोजगारी से मुक्त, रोजगार से युक्त’ को पूरा करने में हमारी मदद करेगी।

दूसरी तरफ जैव प्रौद्योगिकी नीति गुजरात के जैव प्रौद्योगिकी उद्योग को विश्व स्तरीय बनाने के लिए प्रौद्योगिकी अधिग्रहण, वैकल्पिक ऊर्जा उत्पादन, कौशल विकास, गुणवत्ता प्रमाणन और बैंडविड्थ लीज के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। पुरानी नीति में ऐसी कोई सहायता शामिल नहीं थी। नए केपेक्स (पूंजीगत व्यय) और ओपेक्स (परिचालन व्यय) मॉडल के माध्यम से, उद्योग इकाइयों के लिए वित्तीय सहायता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पॉलिसी डॉक्यूमेंट के अनुसार, 200 करोड़ रुपये से कम पूंजी निवेश वाले एमएसएमई को अधिकतम 40 करोड़ रुपये की सहायता दी जाएगी। 200 करोड़ रुपये से अधिक के पूंजी निवेश वाली बड़ी परियोजनाओं और उभरती टेक्नोलॉजी को कुल पूंजीगत व्यय के 25 प्रतिशत तक की सहायता दी जाएगी। नीति के तहत, पात्र फर्मों को 20 करोड़ रुपये की वार्षिक सीमा के साथ सावधि ऋण पर 7 प्रतिशत की ब्याज दर पर सहायता मिलेगी।

हालांकि, ये वो लाभ जो दोनों नीतियों के तहत उद्योगों को दिए जाएंगे लेकिन इन दोनों नीतियों का सबसे बड़ा लाभ रोजगार सृजन है। आईटी नीति से संबंधित क्षेत्र में लगभग 1 लाख नए रोजगार पैदा होंगे क्योंकि नई नीति से ज्यादा से ज्यादा आईटी कंपनियां गुजरात में पांव रखेंगी। अभी तो ये केवल शुरुआती आंकड़े हैं क्योंकि एक बार गुजरात में आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर और डेटा सेंटर उभरने के बाद इससे भी ज्यादा नौकरियां पैदा होंगी। दुनिया भर में आईटी सेवाओं की मांग बढ़ी है जिससे इस सेक्टर में करीब 15.5 फीसदी का उछाल आया है। यह पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा है। इस उद्योग का कुल राजस्व 227 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। निकट भविष्य में गुजरात भी इस क्षेत्र में अपना अहम योगदान देगा।

‘गुजरात जैव प्रौद्योगिकी नीति 2022-27’ के तहत 1.20 लाख से अधिक नए रोजगार पैदा होंगे। इसके अलावा राज्य सरकार को आने वाले वर्ष में इस क्षेत्र में 20,000 करोड़ रुपये के पूंजी निवेश को आकर्षित करने की उम्मीद है।

इस नीति का उद्देश्य गुजरात को जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी बनाना और इससे अधिकतम लाभ प्राप्त करना है।

मुख्यमंत्री ने इस पॉलिसी का जिक्र करते हुए कहा ‘इसके पीछे हमारा यही उद्देश्य है कि अप्लायड साइंड के क्षेत्र में गुजरात प्रतिस्पर्धी बने और विभिन्न एनजीओज, वैज्ञानिक संस्थानों और उद्योगों के साथ भीगादारी करके अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करे। हम 500 से अधिक बायोटेक उद्योगों की सहायता करके रोजगार के लाखों अवसर पैदा करेंगे’।

दूसरी तरफ रोजगार के पहलू से देखें तो जैव प्रौद्यौगिकी नीति से 1.2 लाख से अधिक रोजगार के अवसर पैदा होंगे। बायो टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में रोजगार को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा एक साल से अधिक समय तक आवेदक कंपनी के साथ जुड़े प्रत्येक स्थानीय पुरुष एवं महिला को क्रमश: 50,000 रुपए एवं 60,000 रुपए की सहायता भी दी जाएगी। बायोटेक्नोलॉजी को अक्सर बायोइंजीनियरिंग, बायोमेडिकल इंजीनियरिंग, मॉलिक्यूलर इंजीनियरिंग आदि के क्षेत्रों से जोड़ा गया है। हजारों वर्षों से, मानव जाति ने कृषि, खाद्य उत्पादन और चिकित्सा में जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग किया है। इस नई नीति के बाद गुजरात में निश्चित तौर पर ढेरों नौकरियां पैदा होंगी।

 

मीनाक्षी शर्मा

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