ब्रेकिंग न्यूज़ 

प्रतिभा के धनी रवि

प्रतिभा के धनी रवि

भारत में युवा प्रतिभाओं की कमी नहीं है जो अभावग्रस्त परिस्थितियों में रहने के बावजूद भी अपने अथक प्रयास और मेहनत से अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल होते हैं। इन्हीं युवा प्रतिभाओं में से एक रवि बिश्नोई का नाम उल्लेखनीय है। वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले टी20 मैच में राजस्थान का ये लेग स्पिनर खेलता दिखा। बिश्नोई पहली बार भारतीय स्क्वाड में वनडे टीम का भी हिस्सा थे। रोहित शर्मा की अगुवाई में बिश्नोई को टी20 डेब्यू कराया गया। उदय इंडिया से खास बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि शुरुआती सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा। रवि एक मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं, बचपन से क्रिकेट खेलने का काफी ज्यादा शौक था और स्कूल से घर आते ही क्रिकेट खेलने चले जाते। उन्हें धूप या बारिश से कोई फर्क नहीं पड़ता था क्योंकि  दिमाग में सिर्फ क्रिकेट का ही जुनून सवार था।

रवि बताते हैं कि क्रिकेट खेलने के लिए उन्हें अपने गांव से 40 किलोमीटर चलकर जोधपुर आना पड़ता था, क्योंकि गांव में क्रिकेट के लिए ना तो कोई अच्छी व्यवस्था थी और ना ही क्रिकेट खेलने का मैदान था। एक क्रिकेट एकेडमी के बारे में सोचना तो बहुत दूर की बात थी। इसके बाद इन्होंने अपने कोच प्रद्योत सिंह राठौर और शाहरुख पठान के साथ मिलकर स्पार्टन नाम की क्रिकेट एकेडमी शुरू की। रवि ने बताया कि उन्होंने और उनके साथियों ने इस एकेडमी को तैयार करने के लिए छ: महीने तक मजदूरों की तरह उसमे कार्य किया। वे खुद सीमेंट की बोरी तक ढोते थे और फिर अपने साथियों के साथ मिलकर क्रिकेट की पिच तैयार करते। जितनी मेहनत उन्होंने क्रिकेट में की उतनी मेहनत उन्होंने एकेडमी को तैयार करने में भी की।

रवि ने आगे बताया कि क्रिकेट की शुरुआत तेज गेंदबाजी से हुई थी, उसके बाद इनके कोच और दोस्त शाहरुख पठान और प्रद्योत सिंह ने सलाह दी कि आप स्पिन गेंदबाजी करें। अपने कोच की सलाह को मानते हुए इन्होंने स्पिन गेंदबाजी करना स्टार्ट कर दिया और इसमें काफी अच्छे भी बन गए। वे बताते हैं कि उन्हें दो बार राज्य स्तरीय क्रिकेट खेलने के लिए चुना गया, लेकिन खेलने का मौका नहीं मिला। कई बार इन्हें अस्वीकृति का भी सामना करना पड़ा। इतने रिजेक्शन झेलने के बाद भी रवि नहीं रुके और अपने आप में सुधार लाते रहे। फिर उनके जीवन में वो दिन आया जब उन्हें सैयद मुश्ताक अली ट्राफी के लिए राजस्थान की टीम में चुना गया। फरवरी 2018-19 में उन्होंने अपना पहला टी-20 मैच मुश्ताक अली ट्राफी में तमिलनाडु के खिलाफ खेला। इसके बाद जुलाई में रवि ने प्रियम गर्ग की कप्तानी में अपना पहला यूथ एकदिवसीय मैच इंग्लैंड के खिलाफ खेला। इस मैच में रवि बिश्नोई ने 3 विकेट झटके। रवि बिश्नोई ने लिस्ट ए क्रिकेट की शुरुआत सितम्बर 2019 में विजय हजारे ट्राफी में जम्मू और कश्मीर टीम के खिलाफ की, तब उन्होंने लिस्ट ए का पदार्पण मैच खेला। रवि के बेहतरीन प्रदर्शन की वजह से इनका नाम अक्टूबर में इंडिया ए टीम में देओधर ट्राफी और फिर रणजी ट्राफी के लिए चुना गया।

रवि के एक के बाद एक ट्राफी में जबरदस्त प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें दिसम्बर 2019 में 2020 में होने वाले अंडर-19 वल्र्ड कप के लिए भारतीय अंडर-19 की टीम में चुन लिया गया। इससे पहले उन्होंने राजस्थान की अंडर-19 टीम के लिए ट्रॉयल दिया था, लेकिन उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया था। इसके बाद उनके कोच शाहरुख पठान ने दिशांत याग्निक से बात करके बिश्नोई का दोबारा ट्रॉयल कराया था। बिश्नोई ने बताया कि अंडर-19 के एक बेहतरीन बल्लेबाज को पहली दो गेंदों पर लगातार दो बार आउट किया था। इसके बाद उन्हें भारतीय टीम में लिया गया।

उनके पिता मांगीलाल स्कूल के हेडमास्टर हैं। मांगीलाल चाहते थे कि उनका बेटा भी पढ़ाई पर ध्यान लगाए और कोई नौकरी करे। उन्होंने बताया, कि रवि को रोता देखकर उन्हें बुरा तो लगता था, लेकिन उनके मन में सवाल था कि यहां से कोई भारत के लिए नहीं खेला तो वह कैसे खेल पाएगा। आपको तो पता ही है कि मध्यमवर्गीय किसान परिवार की कमाई सीमित होती है। जो सालभर की आमदनी होती है, वह घरेलु अर्थव्यवस्था में ही सिमट कर रह जाती है। और इसके बाद जो कुछ बचता है वह बच्चों के पालन-पोषण और पढ़ाई पर खर्च हो जाता है। हर माता-पिता का यह सपना होता है कि जो सुख-सुविधा उनको नहीं मिली वह अपने बच्चों को देने की पूरी कोशिश करते है।

कुछ इसी तरह रवि बिश्नोई के माता-पिता की भी यही सोच थी कि रवि पढ़-लिख कर अपने भविष्य को उज्वल बनाए। पर रवि इन सब चीजों से हटकर इतना बड़ा सपना देखने लगा और इसे पूरा करने के लिए उन्होंने अथक प्रयास किये।

रवि जब महज तीन-चार साल के थे तो अपने गांव के खेतों में खेला करते थे। खेतों की वह उबड़-खाबड़ जगह पर वह प्लास्टिक के बैट-बॉल से खेला करते थे। और इसके बाद जब जोधपुर आए तो शहर की गलियों में खेलने लगे। हैरान करने वाली बात यह भी थी कि रवि में खेल की लगन एक दिन इतनी बढ़ जाएगी कि बिश्नोई सामाज और राजस्थान के क्रिकेट इतिहास की दिशा को मोड़ कर रख देंगे, यह किसी ने अब तक सोचा नहीं होगा। रवि को वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले टी20 मैच में भारत की प्लेइंग इलेवन में शामिल किया गया। इसके साथ ही उनका भारत के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने का ख्वाब पूरा हुआ। रवि बिश्नोई अभी महज 21 साल के हैं और साल 2019 में उन्होंने अंडर-19 वल्र्ड कप खेला था। महज दो साल के अंदर वो टीम इंडिया तक पहुंच गए जो कि उनकी काबिलियत को दर्शाता है।

अंकुश मांझू

Leave a Reply

Your email address will not be published.