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उत्तर प्रदेश बना भाजपा का स्थायी गढ़ : मोदी-योगी की जोड़ी ने विपक्ष की कमर तोड़ी

उत्तर प्रदेश बना भाजपा का स्थायी गढ़ : मोदी-योगी की जोड़ी ने विपक्ष की कमर तोड़ी

पांच राज्यों में हुये विधानसभा चुनावों में से चार राज्यों में भाजपा की भारी जीत अप्रत्याशित नहीं है। एक बात बराबर मीडिया में चर्चित रही कि उत्तर प्रदेश के 2022 के विधानसभा चुनाव के परिणाम से ही 2024 के लोकसभा चुनाव की दिशा तय होगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 2014 के आम चुनाव से कहीं अधिक सीटें जीत कर बहुत से नये मापदंड निर्धारित किये थे। इससे सत्ता विरोधी विचार (एंटी इन्कम्वेंसी फैक्टर) की चर्चा को विराम लगाया। एैसा कभी-कभी ही हुआ है जब सत्ताधारी पार्टी पांच साल सरकार चलाकर पुन: सत्ता में पहले से अधिक सीटों से जीते। दूसरा लोकसभा चुनाव ने ही दूसरी लोकसभा चुनाव का भी ट्रेंड सेट किया। यदि मीडिया के कथानुसार या आम धारणा के हिसाब से बात करें तो उत्तर प्रदेश के चुनावों ने तय कर दिया कि 2024 के लोकसभा चुनाव में फिर भाजपा प्रचंड बहुमत से सरकार बनायेगी।

राष्ट्रीय राजनैतिक परिदृश्य में कांग्रेस ही एक पार्टी है जो भाजपा से मुकाबले में चुनाव लड़ पाती लेकिन दिनों-दिन कमजोर नेतृत्व के कारण समाप्ति की ओर बढ़ रही है। अपनी गलती से हाल ही में पंजाब में भी जनाधार खो दिया जो आप पार्टी ने झपट लिया। इसी तरह आप को समर्थन देकर दिल्ली में उसकी सरकार बनबायी थी। बाद में ‘आपÓ पार्टी ने कांग्रेस का हाथ भी हथिया लिया। उत्तर प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी का साथ देकर अपनी मट्टी कर ली। कांग्रेस गलतियों से सबक नहीं लेती है। अब उसके पास प्रणव मुखर्जी, अर्जुन सिंह जैसे नेता भी सलाह देने को नहीं है। खुद राहुल गांधी में अभी तक राजनैतिक परिपक्वता नहीं आयी है और ऊपर से उनके सलाहकार दिग्विजय सिंह जैसे लोग हैं जिनकी गलती से मध्य प्रदेश हाथ से निकल ही गया। ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे नेता जिनका एक बड़े क्षेत्र में भारी प्रभाव है भी पार्टी छोड़कर चले गये। गोवा में सरकार बनाने गये थे तो भाजपा नेता नितिन गडकरी के हाथों मुंह की खा के लौटे थे। गडकरी की सूझबूझ से गोवा में भी भाजपा की सरकार बन गयी थी। हाल ही में गौ-मांस के खाने को गलत नहीं बताने के उनके बयान ने फिर हिन्दुओं के दिलों को ठेस पहुंचायी जिससे उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में वोटर पर भारी प्रभाव पड़ा और कांग्रेस की लुटिया डूब गयी।

कद्दावर नेता पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितिन प्रसाद का और पूर्व केन्द्रीय मंत्री आर.पी.एन. सिंह का कांग्रेस छोड़ कर भाजपा का दामन थामना कोई मामूली राजनैतिक घटना नहीं थी पर पार्टी ने उसे बड़े हल्के में लिया। इसका नतीजा भी सामने आ गया। पूर्वांचल के क्षेत्र में आर.पी.एन. सिंह का काफी प्रभाव है। जहां भाजपा हर कदम फूंक-फूंक कर चलती है। पार्टी की प्रत्येक गतिविधियां और क्रियान्वन पर नरेन्द्र मोदी खुद नजर रखते हैं वहीं कांग्रेस के हाईकमान अभी भी इसी मुगालते में रहता है कि ये आजादी की लड़ाई की खाद से फल-फूलने वाला वट वृक्ष है। धीरे-धीरे पूरे देश से कांग्रेस का फट्टा साफ हो गया। यहां तक कि नार्थ ईस्ट पूर्वोत्तर क्षेत्र के प्रदेशों पर भी भाजपा ने कब्जा जमा लिया जिसे कभी किसी ने सोचा भी न होगा।

उत्तर प्रदेश के चुनाव में डबल इंजन की सरकार ने करिश्मा कर दिखाया। ये वाकई दो इंजनों से चल रही थी। केन्द्र की एक से एक नई बड़ी योजनायें जो गरीबों और आम जनता के लिये चलाई गयीं और उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी द्वारा किये गये जनहित कार्यों ने रंग दिखाया। भाजपा ने दो तिहाई सीटें जीतकर फिर अपना सिक्का जमा दिया।

भाजपा के लिये एक बात महत्वपूर्ण है। पहली बार कई स्थानों पर मुसलमानों ने भी भाजपा को वोट दिये हैं भले थोड़ी ही संख्या में हो, जो देश के निर्माण में मील के पत्थर का काम करेगा। भाजपा सरकार ने हिन्दु-मुसलमानों में भेद नहीं किया। दोनों समुदायों को ही बराबर से सुविधायें मिलीं। आवास, शौचालय, विद्युत कनेक्शन, गैस कनेक्शन, पेंशन, राशन अन्य सारी सुविधायें बराबर से मिली। मुसलमानों के रिहायशी इलाकों में मुहल्लों में भी सड़कों, रिपटों आदि का निर्माण हुआ। केन्द्र या राज्य सरकार सबका साथ सबके विकास के अपने नारे पर चली।

सबसे अधिक असर योगी की कानून व्यवस्था ने दिखाया। माफियों को जेल के भीतर करके उनके द्वारा सरकारी या दूसरों की जमींने कब्जा करके उस पर बनाये गये मकान बुलडोजर से ध्वस्त कर डाले। इससे कानून का भय गुंडों, माफियों में समा गया और लोगों ने चैन की सांस ली। नतीजा ये हुआ कि लोगों ने बेहतर शान्तिपूर्ण जीवन यापन को, मंहगाई या बेरोजगारी के ऊपर प्राथमिकता थी। वैसे भी मंहगाई बेरोजगारी समूचे विश्व में फैली है। कोरोना काल में मोदी और योगी के काम काज को उत्तर प्रदेश के लोगों ने काफी सराहा था।

सपा का राज लोग भूले नहीं यदि कांग्रेस ठीक से मेहनत करती, बुद्धि से काम करतीं और भाजपा से अधिक सपा को गरियाती तो शायद एक विपक्षी दल के रूप में उभरने लगती। प्रियंका गांधी का कहना कि उनकी पार्टी जो भी भाजपा के खिलाफ सरकार बनायेगी, उसे मदद करेगी। इस बात ने कांग्रेस को पूरा ही उखाड़ दिया क्योंकि लोग किसी भी कीमत पर सपा को नहीं चाहते थे। यदि कांग्रेस ने सपा के विकल्प के तौर पर अपने को खड़ा करने का प्रयास किया होता तो निश्चय कांग्रेस 30 सीटों से अधिक तक पहुंच सकती थी। लेकिन अब उत्तर प्रदेश से पूरा डिब्बा गोल हो गया।

भाजपा के विकास कार्यों में नेशनल हाईवे निर्माण की भी बड़ी भूमिका रही। उत्तर प्रदेश का विकास और कानून व्यवस्था तथा मोदी- योगी की ईमानदार जोड़ी ने तो अपना काम किया। ऊपर से सपा ने फिर से गुंडों पर दाव लगाकर अपनी बची-खुची साख भी खोई। मायावती का बयान कि वे सपा के विरूद्ध किसी भी पार्टी को सरकार बनाने में सहयोग करेंगी और ये भी कहना कि उन्होंने अपने कत्ल के प्रयास करने के मामले में सपा को माफी देकर बड़ी भारी गलती की है–उनकी इस बात ने असर दिखाया और दलित वोट जिन पर मायावती का गहरा असर है, उन लोगों ने भाजपा को उन सभी जगह वोट दिये जहां बसपा कमजोर थी। और बसपा तो पूरे प्रदेश में ही कमजोर थी। दलित वोटों के समर्थन और थोड़े से मुस्लिम वोटों ने भाजपा की जीत की राह आसान कर दी। भाजपा के अधिकांश प्रत्याशियों का भारी बहुमत से जीतने का ये भी एक कारण बना कि उसको दलित वोट भी अच्छी संख्या में मिले।

मोदी, योगी की जोड़ी 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में नि:संदेह ही बड़ा कमाल दिखायेगी।

 

डॉ. विजय खैरा

 

 

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