
अब नकल करने की एक नई तरकीब की साजिश सामने आई है, जिसमें रशियन हैकर्स के जरिए भारत की बड़ी-बड़ी परीक्षाएं जैसे जेईई, जीमैट, एसएससी और सेना की ऑनलाइन परीक्षाएं पास कराई जा रही हैं। दरअसल नकल कराने वाले एक गिरोह ने रसिया के हैकर्स से संपर्क करके उनसे एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनवाया है, जिसके जरिए उन्होंने ऑनलाइन परीक्षा देने वाले छात्रों का रिमोट एक्सेस लेकर वहीं से सारे सवालों के सही-सही जवाब लैपटॉप में फीड कर दिए। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने देश के विभिन्न राज्यों में छापेमारी की और ऐसे कई आरोपियों को गिरफ्तार किया, जो इस संगीन अपराध में संलग्न थे।
रिमोट एक्सेस के जरिए किसी भी लैपटॉप को कोई दूर बैठा हैकर्स संचालित और नियंत्रित कर सकता है। वैसे आमतौर पर जब ऐसा होता है तो परीक्षा कराने वाले विभाग व संस्था को इसका पता चल जाता है, लेकिन यह सॉफ्टवेयर इस तरह से विकसित किया गया है कि किसी लैपटॉप के रिमोट एक्सेस के दौरान, इसकी जानकारी गुप्त रहती थी और वह पकड़ा नहीं जाता था। इसके जरिए परीक्षा देने वाला छात्र केवल अपना लैपटॉप खोल कर बैठ जाता था और परीक्षा देने का नाटक करता था, जबकि प्रश्नों के उत्तर दूर बैठा हैकर्स रिमोट एक्सेस के जरिए उसके लैपटॉप में फीड कर देता था। इसके बदले में छात्रों से मोटी रकम ली जाती थी। पिछले 3 साल में ये 18 छात्रों को जीमैट और 500 छात्रों को भारतीय सेना, नौसेना और एसएससी की ऑनलाइन परीक्षाओं में पास करा चुका है।
इन भ्रष्ट छात्रों और नकल कराने वाले आरोपियों ने भारत के तमाम प्रतिभाशाली, मेहनती व ईमानदार छात्रों और उनके परिवारों के साथ बहुत बड़ा धोखा किया है। ये छात्र दिन-रात कड़ी मेहनत करके पढ़ाई करने के बावजूद, योग्य होते हुए भी इन परीक्षाओं में सफल नहीं हो सके और उनकी जगह बेईमान व अयोग्य छात्रों ने ले ली। इन अपराधियों ने ऐसे प्रतिभाशाली छात्रों के भविष्य को चौपट कर दिया है, जिनकी देश को अत्यंत जरूरत थी। इसके साथ ही ये मामले अत्यंत खतरनाक भी हैं, क्योंकि हमारी सेना में और देश के अलग-अलग सरकारी विभागों में ऐसे लोग प्रवेश कर रहे हैं, जो न तो योग्य हैं और ना ही देश के लिए उपयोगी। बल्कि बेईमानी से परीक्षाएं पास करके जो इन सेवाओं में आए हैं, सोचने वाली बात है कि बिना योग्यता के वो क्या काम करेंगे?
इस गैंग का मास्टरमाइंड राज तेवतिया पूरी तरह ग्रेजुएट भी नहीं है। इसने आगरा, दिल्ली, मुंबई समेत कई बड़े शहरों में कंप्यूटर लैब्स खोल रखी हैं, जहां उसने ऐसे लोगों को नियुक्त कर रखा था, जो छात्रों की जगह वहां बैठकर परीक्षा देते थे, इन्हें साल्वर्स कहा जाता है। यह आरोपी कई वर्षों से रशियन हैकर्स के संपर्क में था। इस गैंग के साथ कई शहरों के कोचिंग सेंटर मिले हुए थे, जहां छात्र परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग लेते हैं। ये कोचिंग सेंटर ऐसे छात्रों की ताक में रहते थे, जो पास होने के लिए एक बड़ी रकम चुकाने को तैयार हों और उनसे ये पास कराने के बदले लाखों रुपए लेने की डील कर लेते थे। डार्क वेब के जरिए भी ये लोग छात्रों से संपर्क करते थे। डार्क वेब की वेबसाइटों को हर कोई नहीं देख सकता, क्योंकि इनके आईपी एड्रेस और उनकी डिटेल्स को छुपा कर रखा जाता है।
पहले छात्र कक्षा में नकल करते थे, लेकिन जब प्रतियोगी परीक्षाओं में सख्ती के कारण नकल करना मुश्किल हो गया तो परीक्षाओं से पहले प्रश्न पत्र लीक होने लगे। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में वर्ष 2007 से 2012 के बीच 70 से ज्यादा परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक हुए, जिसके कारण कई परीक्षाओं को रद्द करना पड़ा। आज भी हर वर्ष किसी न किसी परीक्षा को रद्द करना पड़ता है, क्योंकि उसका प्रश्न पत्र परीक्षा के पहले ही लीक हो जाता है, बिक जाता है या इस तरह के हैकर्स के हाथ में पहुंच जाता है। प्रश्न पत्रों के लीक होने से रोकने के लिए जब सरकारी विभागों में सख्ती बढ़ाई गई तो नकल करने की एक अलग विधि ईजाद की गई, जिसमें ऐसी चप्पलें चली थीं जिन्हें ब्लूटूथ से कनेक्ट कर दिया जाता था और नकल कराने वाले लोग छात्रों को प्रश्न का उत्तर कान में बता दिया करते थे। लेकिन अब इनकी जगह हैकर्स ने ले ली है, जिन्होंने ऑनलाइन होने वाली इन बड़ी-बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं के पूरे तंत्र को केवल एक मजाक बनाकर रख दिया है। ऐसे जालसाजों से अपने भविष्य को बचाने के लिए सभी छात्रों को जागरूक होना चाहिए और ऐसी किसी भी जानकारी मिलने पर, उन्हें उसे पुलिस अधिकारियों तक जरूर पहुंचाना चाहिए, क्योंकि छात्रों और देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले ऐसे लोगों का पकड़ा जाना और उन्हें सजा मिलना बहुत जरूरी है।
रंजना मिश्रा