
बीतते हुए समय और बॉलीवुड के हिंदी ऑडियंस के बदलते हुए नजरिये को देखते है तो यह पाते है कि आज साउथ के डायरेक्टर और उनकी फिल्में देखना वे काफी पसंद कर रहे हैं। काफी समय से बॉलीवुड में साउथ के लोग अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं। बॉलीवुड में साउथ के लोगों की प्रतिभा केवल ऐक्टिंग मे ही नहीं बल्कि एडिटिंग, टेक्निकल फील्ड और डायरेक्शन में भी देखी गयी है। लेकिन अब पिछले कुछ समय से नॉर्थ इंडिया की हिंदी बोलने वाली जनता पर साउथ की फिल्मों का खुमार बढ़ता जा रहा है। साल 2017 में रिलीज हुई निर्देशक एसएस राजामौली की फिल्म ‘बाहुबली’ इस लिस्ट में टॉप पर है। प्रभास और अनुष्का शेट्टी की इस फिल्म ने इंडियन बॉक्स ऑफिस से कुल 1351 करोड़ रुपये कमाए थे। ये आज तक की सबसे बड़ी इंडियन ग्रोसर फिल्म है। हालांकि साल 2015 मे आई पहली कड़ी से भी दर्शकों से खूब प्यार मिला। प्रभास और अनुष्का शेट्टी की इस फिल्म ने थियेटर से 482 करोड़ रुपये जुटाए थे।
अगर हम बात रजनीकांत और अक्षय कुमार स्टारर फिल्म ‘2.0’ की बात करें तो वो इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर है। शंकर के निर्देशन में बनी साल 2018 में सिनेमाघर पहुंची इस फिल्म ने देश के सिनेमाघरों से कुल 507.50 करोड़ रुपये कमाए थे। अल्लू अर्जुन और रश्मिका मंदाना स्टारर निर्देशक सुकुमार की हालिया रिलीज फिल्म ‘पुष्पा’ बंपर कमाई में बिजी है। अभी तक ये फिल्म देश भर के सिनेमाघरों से कुल 400 करोड़ रुपये बटोर चुकी है। बात अकेले ‘पुष्पा’ की नहीं है, बात है अच्छे कंटेंट, बेहतर अदाकारी और अच्छी स्क्रिप्ट के साथ तरीके से फिल्म को बनाने की। दिमाग के सारे घोड़े दौड़ा लीजिए और याद करके बताइए कि आखिरी बार बॉलीवुड की बायोपिक या रीमेक को छोड़कर आपने कौन सी अच्छी हिंदी फिल्म देखी है। जब अल्लू अर्जुन की फिल्म ‘पुष्पा’ हिंदी में रिलीज हुई तो उसके साथ ही रणवीर सिंह की फिल्म ’83’ भी रिलीज हुई थी।
हिंदी में ’83’ को ‘पुष्पा’ के मुकाबले बहुत ज्यादा स्क्रीन मिले थे लेकिन अगर कमाई के आकड़ों को देखें तो ‘पुष्पा’ ने कम स्क्रीन पर होने के बावजूद ’83’ से ज्यादा कमाई कर ली। और फिर फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ की बात करें तो 25 करोड़ की लागत से बनी इस मूवी ने लोगो पर एक जादू सा बिखेर दिया और लोग सिनेमाघरों में इस मूवी को बड़े पर्दे देखने के लिए मरे जा रहे थे। टिकट खरीदने के लिए घंटों लाइनों मे लगकर इतजार करना भी मंजूर था। ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म ना ही ज्यादा स्क्रीन्ज पर रिलीज हुई थी और ना ही इसका किसी ने प्रमोशन किया पर फिर भी वल्र्ड वाइड बॉक्स ऑफिस पर 331 करोड़ रुपये की कमाई कर ली। इसने इन सारे मिथकों को मिटाकर ब्लैक बोर्ड पर बॉक्स ऑफिस के आंकड़े नए सिरे से लिखने शुरू कर दिए। यह सब संभव हुआ फिल्म के अच्छे निर्देशन से।
अब बारी उस फिल्म की है जिसमें इन दोनों का समावेश है। अंग्रेजों के खिलाफ छिड़ी जंग में दक्षिण को दो रण बांकुरों की कहानी है, ‘रौद्रम रणम रुधिरम’ यानी फिल्म ‘आरआरआर’। फिल्म ‘आरआरआर’ की कहानी 1920 के दौर की कहानी है। उत्तर से छिड़ी आजादी की लड़ाई दक्षिण में आग लगा चुकी है। आरआरआर ने तो ‘द कश्मीर फाइल्स’ का रेकॉर्ड भी तोड़ दिया – 24 दिनों में देशभर में 751 करोड़ रुपये की कमाई की। और इसके बाद केजीएफ – चैप्टर 2 रिलीज के एक हफ्ते बाद भी हिंदी फिल्म देखने वालों पर अपना जादू बिखेर रही है। एक क्षेत्रीय भाषा की फिल्म होने के नाते, फिल्म हिंदी बाजारों में शानदार प्रदर्शन कर रही है। पहले सप्ताह में 250 करोड़ रुपये का जादुई आंकड़ा पार कर लिया। और अगर बात हम साल 2018 में रिलीज हुई फिल्म ‘केजीएफ चैप्टर 1’ की बात करें तो कुल वल्र्ड वाइड कलेक्शन 237 करोड़ रुपये का रहा था।
नॉर्थ इंडियन जनता का बॉलीवुड के पुराने मसाले से ऊबने की वजह यह भी है कि साउथ की फिल्मों के धड़ाधड़ हिंदी रीमेक बनाए जा रहे हैं और उन्हें साउथ के डायरेक्टर ही बना रहे हैं। इसका एक सबसे अच्छा उदाहरण शाहिद कपूर की फिल्म ‘कबीर सिंह’ है। यह फिल्म तेलुगू फिल्म ‘अर्जुन रेड्डी’ का हिंदी रीमेक थी और इसका डायरेक्शन भी मूल फिल्म के डायरेक्टर संदीप रेड्डी वंगा ने किया। यह फिल्म इतनी पसंद की गई कि यह शाहिद कपूर के करियर की अब तक की सबसे बड़ी हिट मूवी बन गई। बॉलीवुड में साउथ फिल्मों के रीमेक बनाना यह दिखाता है कि साउथ इंडियन डायरेक्टरों के कन्टेंट के बिना बॉलीवुड की फिल्में अधूरी है और इन्हें साउथ-नॉर्थ के टैग देना बंद कर देना चाहिए, सिर्फ इंडियन फिल्म इंडस्ट्री कहा जाना चाहिए। इससे इंडियन सिनेमा आगे बढ़ेगा। साउथ इंडियन मूवीज हिन्दू धर्म की भावनाओं और हिन्दू धर्म के रीति – रिवाजों से जुड़ी हाती है ना कि बॉलीवुड मूवी की तरह है, जिसमें हिन्दू धर्म की भावनाओं और रीति-रिवाजों का मजाक बनाया जाता है और तो और ये तो धर्म की राजनीति से देश के नागरिकों में असमानता पैदा करती है।
आजतक की रिपोर्टिंग में बताया है कि उन्होंने शाहरुख खान से एक सवाल किया था कि क्या कभी शाहरुख खान, आमिर खान, और सलमान खान, एक साथ किसी फिल्म में दिखेंगे? उस सवाल के जवाब में शाहरुख खान ने कहा था कि तीनों को साइन करने में घर के बर्तन बिक जाएंगे। इन जैसे एक्टरों के घमंड और बदले समय ने बॉलीवुड के मुंह पर तमाचा मार ही दिया। जिन साउथ की फिल्मों का एक दशक पहले मजाक बनाया जाता था, आज वही साउथ की फिल्में कमाल कर रही हैं, और उनके अदाकार अगली पंक्ति में भारतीय सिनेमा जगत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इन फिल्मों की कामयाबी ने दिखाया कि सितारे नहीं बल्कि अब फिल्मों की कहानियों, इनके फिल्मांकन और इनकी तकनीकी सुरुचि और समृद्धि ही बॉक्स ऑफिस पर कमाल करेगी।
अंकुश मांझू