
खान-पान का मनुष्य के शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है, इसको लेकर हाल ही में नॉर्वे में, दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा व प्रभावी अध्ययन किया गया है। इस अध्ययन से पता चला है कि यदि लोग अपने खान-पान में बदलाव कर लें, फास्ट फूड खाने की बजाय पौष्टिक और अच्छी गुणवत्ता वाला खाना खाएं, तो वे स्वस्थ रहने के साथ-साथ, लंबी आयु बिता सकते हैं। इस अध्ययन में दुनिया के 204 देशों में खाए जाने वाले भोजन का विस्तार से विश्लेषण किया गया है। इसमें कुल 369 बीमारियों और स्वास्थ्य संबंधी उन 286 कारणों का भी अध्ययन किया गया है, जिनकी वजह से लोगों की मौत हो जाती है। यह अध्ययन ‘लोबल बर्डन ऑफ डिजीज’ नाम के एक अंतरराष्ट्रीय प्रोग्राम के अंतर्गत हुआ है, जिसमें कुल 145 देशों के 3600 वैज्ञानिकों ने भाग लिया।
इस अध्ययन में बताया गया है कि अगर कोई व्यक्ति प्रतिदिन अपने भोजन में हरी-पत्तेदार सब्जियां, बींस और मटर जैसी फलीदार चीजें, अखरोट, बादाम, पिस्ता जैसे ड्राई फ्रूट्स और रोज एक से दो कप फल व साबुत अनाज से बना भोजन करे, तो वह जीवन भर स्वस्थ रहता है और उसकी उम्र भी बढ़ जाती है। इस अध्ययन में यह भी पाया गया कि यदि कोई पुरुष 20 साल की उम्र से ही इन पौष्टिक चीजों को अपने भोजन में नियमित तौर पर शामिल कर ले, तो उसकी उम्र लगभग 13 साल तक बढ़ सकती है और यदि कोई महिला 20 वर्ष की उम्र से ही इन पोषक तत्वों से भरपूर भोजन को नियमित रूप से लेना शुरू कर दे, तो उसकी उम्र 10 साल तक बढ़ सकती है। इसके अलावा इस अध्ययन में देखा गया कि यदि 60 वर्ष के हो चुके बुजुर्ग व्यक्ति भी हरी सब्जियों, फलों व संतुलित मात्रा में ड्राई फ्रूट्स को नियमित रूप से अपने भोजन में सम्मिलित कर लें, तो वे भी अपनी उम्र में 9 वर्ष तक का इजाफा कर सकते हैं। जबकि बुजुर्ग महिलाएं भी पौष्टिक व संतुलित भोजन को नियमित तौर पर अपनाकर अपनी उम्र 8 वर्ष तक बढ़ा सकती हैं।
इस अध्ययन से यही परिणाम निकल कर सामने आया है कि यदि पौष्टिक व शाकाहारी भोजन किया जाए तो एक अच्छा और निरोगी जीवन जिया जा सकता है। वैसे भारतीय संस्कृति तो सदा से शुद्ध-सात्विक भोजन अपनाने पर जोर देती रही है। हमारे यहां प्राचीन काल से ही कहा जाता रहा है कि ‘जैसा खाए अन्न वैसा बने मन’। गीता में मनुष्य के तीन प्रकार के व्यवहारों का वर्णन किया गया है, ये हैं- सात्विक, राजसिक और तामसिक। सात्विक आचरण में व्यक्ति की बुद्धि निर्मल रहती है और उसमें सही-गलत समझने की क्षमता भी अधिक होती है यानी उसकी विवेक शक्ति अधिक तीक्ष्ण होती है। राजसिक आचरण में इच्छाएं, कामनाएं अधिक तीव्र होती हैं और भोग-विलासिता बढ़ जाती है। जबकि तामसिक आचरण में लोभ, लालच, कुंठा, इष्र्या, वैर आदि बुराइयां पनपती हैं। भारतीय शास्त्रों में बताया गया है कि कड़वा, खट्टा, तला-भुना भोजन अधिक मात्रा में करने से तामसिक विचारों में वृद्धि होती है। इसलिए ऐसे भोजन से परहेज करना चाहिए। हमारे यहां उपवास में दूध, दही, फल आदि सात्विक भोजन ग्रहण करने की परंपरा इसीलिए है, क्योंकि इससे शरीर से विषैले पदार्थों का त्याग होता है, जिसे विषहरण की प्रक्रिया (डिटॉक्सिफिकेशन) कहा जाता है।
लेकिन आज के युग में लोग स्वास्थ्यवर्धक खाना खाने की बजाय, स्वादिष्ट खाने पर ज्यादा ध्यान देते हैं। यही कारण है कि आए दिन नई-नई बीमारियों का जन्म हो रहा है और कम उम्र में ही लोग कई बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। आजकल स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले जंक फूड, फास्ट फूड आदि बनाने वाली मल्टीनेशनल कंपनियां अपने फायदे के लिए लोगों की आदतें बिगाड़ कर, उनके स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रही हैं। वैसे यह सच है कि आज के जमाने में स्वास्थ्य बिगाडऩा सस्ता है, लेकिन पौष्टिक भोजन लेना थोड़ा महंगा पड़ता है। एक छोटे पिज्जा, जिसकी कीमत 39 रुपए होती है, इसमें लगभग 10 ग्राम फैट होता है, जबकि 100 से 150 रुपए में आने वाले एक किलोग्राम सेब विटामिन से भरपूर होते हैं। पुराने लोग शुद्ध भोजन करते थे तभी वे सामान्यतया 80 से 100 साल तक का जीवन स्वस्थ तरीके से जी लेते थे। इस अध्ययन में यह भी पाया गया है कि जो लोग मांसाहार करने के शौकीन होते हैं और डिब्बाबंद मांस खाना पसंद करते हैं, उन्हें हाई ब्लड प्रेशर, शुगर और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियां कम उम्र में ही हो जाती हैं। मांसाहारी व्यक्ति भी अगर हफ्ते में एक दिन शाकाहारी भोजन करने का नियम बना लें, तो वो अपनी स्थिति में काफी सुधार कर सकते हैं।
स्वस्थ जीवन जीने के लिए एक व्यक्ति के शरीर को कई तरह के पोषक तत्वों की जरूरत होती है, जिनमें से फाइबर बहुत महत्वपूर्ण है। फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और बीन्स से फाइबर प्राप्त होता है। फाइबर हमारे पाचन तंत्र की क्रिया में एक अहम भूमिका निभाता है। साथ ही ये शुगर लेवल को भी कंट्रोल में रखता है। फाइबर हार्ट के लिए भी अच्छा है और ग्लोइंग स्किन व वजन कम करने के लिए भी यह काफी महत्वपूर्ण है। डाइट में फाइबर से भरपूर चीजें शामिल करके, अपच और पेट से जुड़ी कई समस्याओं को दूर किया जा सकता है, कैंसर जैसी पुरानी बीमारियों को रोका जा सकता है और एक लंबी, स्वस्थ जिंदगी बिताई जा सकती है। अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) के मुताबिक, एक व्यक्ति को रोजाना 28 ग्राम फाइबर खाना चाहिए। दालें और बीन्स जैसे चना, राजमा, मटर, मसूर आदि में प्रोटीन, फोलेट और आयरन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। राजमा के आधे कप में 8 ग्राम फाइबर पाया जाता है। साबुत अनाज जैसे- गेहूं, जौ, मक्का, ब्राउन राइस, ब्लैक राइस, बाजरा आदि में फाइबर के अलावा प्रोटीन, विटामिन बी, एंटीऑक्सीडेंट्स और मिनरल्स जैसे- आयरन, जिंक, कॉपर और मैग्नीशियम आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं। बादाम, काजू, पिस्ता, अखरोट और मूंगफली आदि में फाइबर की मात्रा काफी अधिक पाई जाती है। ये पाचन के लिए बहुत अच्छे होते हैं। ब्रोकली में फाइबर के साथ-साथ कैल्शियम और विटामिन-सी की मात्रा भी पाई जाती है। नाशपाती, स्ट्रॉबेरी, रास्पबेरी आदि फलों में फाइबर अधिक मात्रा में मौजूद रहता है। फाइबर के अलावा इनमें विटामिन सी, विटामिन ए, थायमिन, राइबोफ्लेविन, विटामिन बी 6, कैल्शियम और जिंक की मात्रा भी पाई जाती है। इसके अलावा फ्लैक्स सीड्स, जिसे अलसी भी कहा जाता है, इसमें फाइबर के साथ-साथ मिनरल्स, विटामिन, मैग्नीशियम, कॉपर, ओमेगा-3 फैटी एसिड, फास्फोरस अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। सौ ग्राम अलसी के बीजों में 27 ग्राम फाइबर मौजूद होता है। फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ ब्लू जोन्स के आहार में प्रमुखता से शामिल होते हैं।
रंजना मिश्रा