
नई दिल्ली: देश के सर्वोच्च पद के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(NDA) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू शुक्रवार यानी 24 जून को नामांकन दाखिल करेंगी। द्रौपदी मुर्मू के साथ सबसे खास बात है कि वह महिला हैं और जनजातीय समुदाय से भी आती हैं। जिसकी वजह से भारतीय जनता पार्टी(BJP) के विरोधी भी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने के लिए मजबूर होने लगे हैं।
आंध्र प्रदेश से मिल रहा है समर्थन
आंध्र प्रदेश में सत्तासीन वाईएसआर कांग्रेस(YSR Congress) वैसे तो भारतीय जनता पार्टी की विरोधी है। लेकिन उसने द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का फैसला किया है। वाईएसआर कांग्रेस के संसदीय दल के नेता वी. विजयसाई रेड्डी ने द्रौपदी मुर्मू को बधाई देते हुए कहा है कि ‘श्रीमती मुर्मू को एनडीए द्वारा राष्ट्रपति चुनाव में प्रत्याशी घोषित किए जाने पर हार्दिक बधाई। पीएम मोदी(PM Modi) की बात बिल्कुल सही है कि वह हमारे देश की एक महान राष्ट्रपति साबित होंगी।’
वाईएसआर कांग्रेस के पास 150 विधायक, 33 विधान पार्षद, 22 लोकसभा सांसद और 6 राज्यसभा सांसद हैं।
नवीन पटनायक भी समर्थन के लिए मजबूर
द्रौपदी मुर्मू ओडिशा से आती हैं। उनके नाम का ऐलान करके भाजपा ने ओडिया राजनीति को भी साध लिया है। वैसे तो ओडिशा के मुख्यमंत्री और बीजू जनता दल के नेता नवीन पटनायक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं। लेकिन वह ओडिशा से राष्ट्रपति बनाए जाने का समर्थन कर रहे हैं।
नवीन पटनायक ने द्रौपदी मुर्मू को बधाई देते हुए कहा है कि ‘जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनसे श्रीमती मुर्मू के बारे में चर्चा की, तो उन्हें बेहद खुशी हुई। यह ओडिशा के लोगों के लिए गौरवशाली क्षण है। मुझे भरोसा है कि श्रीमती मुर्मू देश में महिला सशक्तिकरण की चमकती हुई मिसाल बनेंगी।’
बीजू जनता दल(BJD) के पास 114 विधायक और 12 लोकसभा सांसद और 9 राज्यसभा सांसद हैं।
नीतीश कुमार भी विरोध नहीं करना चाहते
हालांकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा के पुराने सहयोगी हैं। लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में कई बार वह भाजपा का विरोध कर चुके हैं। जैसे साल 2012 में नीतीश कुमार ने एनडीए में रहने के बावजूद कांग्रेस के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी का समर्थन किया था।
लेकिन इस बार नीतीश कुमार ने भाजपा के उम्मीदवार का साथ देने का फैसला किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा है कि ‘श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जाना खुशी की बात है। श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी एक आदिवासी महिला हैं। एक आदिवासी महिला को देश के सर्वोच्च पद के लिए उम्मीदवार बनाया जाना अत्यंत प्रसन्नता की बात है। श्रीमती द्रौपदी मुर्मू उड़ीसा सरकार में मंत्री तथा इसके पश्चात् झारखण्ड की राज्यपाल भी रह चुकीं हैं। कल प्रधानमंत्री जी ने बात कर इसकी जानकारी दी थी कि श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री जी को भी इसके लिए हृदय से धन्यवाद।’
आम आदमी पार्टी पसोपेश में
खास बात ये है कि हमेशा भाजपा के विरोध में खड़ी रहने वाली आम आदमी पार्टी(AAP) भी द्रौपदी मुर्मू का विरोध नहीं कर पा रही है। पंजाब और दिल्ली में सत्ता संभाल रही आम आदमी पार्टी अभी तक ये तय नहीं कर पाई है कि राष्ट्रपति चुनाव में वह किसके साथ खड़ी होगी।
जब विपक्ष की ओर से यशवंत सिन्हा के नाम का ऐलान किया गया तो आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह से मीडिया ने पूछा कि वह किसका साथ देंगे। तब उन्होंने जवाब दिया कि ”जब पार्टी का शीर्ष नेतृत्व राष्ट्रपति चुनाव को लेकर फैसला लेगी तो आपसे साझा करेंगे।” दोबारा पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ”इस समय सिर्फ यही कह सकता हूं कि अंतिम फैसला पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से लिया जाएगा।”
यानी आम आदमी पार्टी भी महिला और आदिवासी उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के विरोध में खड़ी हुई नहीं दिखना चाहती। राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा का यही दांव सभी विरोधियों को भारी पड़ रहा है।
क्या है राष्ट्रपति चुनाव का समीकरण
द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाने के लिए भाजपा के पास पांच लाख छब्बीस हजार चार सौ बीस(526420) वोट हैं। जबकि कुल वोटों की संख्या 10.79 लाख है। यानी भाजपा के पास आधे वोटों से थोड़े कम हैं। अपने उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनाने के लिए एनडीए को आधा यानी पांच लाख उनतालीस हजार पांच सौ(539500) से थोड़ा ज्यादा वोट चाहिए।
लेकिन वाईएसआर कांग्रेस, बीजू जनता दल के रुख को देखकर लगता है कि द्रौपदी मुर्मू को जिताने के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पास बहुमत से काफी ज्यादा वोटों का जुगाड़ हो जाएगा। चुनाव आयोग की घोषणा के मुताबिक राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 18 जुलाई को होना है। 21 जुलाई को मतदान होगा और 25 जुलाई को नये राष्ट्रपति को शपथ दिला दी जाएगी।
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