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किसान की बेटी गुंजन बनी देश की उम्मीद

किसान की बेटी गुंजन बनी देश की उम्मीद

श्रीगंगानगर/राजस्थान: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान ने रंग दिखाना शुरु कर दिया है। आज बेटियों को मिल रही शिक्षा की वजह से भारतीय महिलाओं ने साहित्य, विज्ञान, चिकित्सा और खेल जगत में अपनी अलग अलग पहचान बनाई है। देश की बेटियां आज घरेलू खेलों से आगे बढ़कर दुनिया भर में पुरुषों के वर्चस्व को चुनौती दे रही हैं। वो अपनी मेहनत और संघर्ष से उन सभी चुनौतियों को पार कर रही हैं जो उनके रास्ते में बाधा बन कर खड़ी हो रही हैं।

गुंजन ने बढ़ाया मान

राजस्थान के श्रीगंगानगर की रहने वाली गुंजन बिश्नोई ने राष्ट्रीय वालीबॉल टीम में जगह बनाई है। गुंजन के पिता का नाम संजय बेनीवाल है और वह रोहिड़ांवाली गांव की रहने वाली हैं। गुंजन कई बार नेशनल व राज्य स्तरीय वालीबॉल प्रतियोगिताओं मे अपनी पहचान बना चुकी है। खेल के साथ ही साथ गुंजन पढ़ाई में भी मेधावी है। गुंजन के पिता संजय बेनीवाल एक किसान है और मां गृहिणी है। गुंजन की स्कूली पढ़ाई गांव एक सरकारी स्कूल में हुई।

आम बच्चों से ज्यादा लंबी गुंजन ने वालीबॉल में करियर बनाया

जब वह 7 वी क्लास में पढ़ती थी तो उस समय गुंजन की हाईट क्लास के बाकी बच्चों से काफी अधिक होने के कारण स्कूल के खेल प्रशिक्षक जगमोहन ने गुंजन को वालीबॉल खेलने की सलाह दी। उस समय स्कूल में एक मात्र गेम वालीबॉल ही था। तो गुंजन ने अपने गुरु की आज्ञा मानते हुए स्कूल से घर जाकर अपने पिता से कहा कि मैं वालीबॉल खेलना चाहती हूं।

परिवार ने दिया पूरा सहयोग

संजय बेनीवाल ने अपनी लाडली बिटिया गुंजन की बात मानते हुए हां कर दी और इसके साथ ही कहा कि तुम्हें परिवार की तरह से पूरी सपोर्ट है। उन्होंने गुंजन को प्रेरणा दी कि तुम देश के लिए खेलो और मेडल जीतो। गुंजन ने उस दिन से अपना अभ्यास शुरु कर दिया।

गुंजन की खेल यात्रा

वर्ष 2015 मे गुंजन को स्कूली स्तर पर खेलने का पहला मौका मिला। हालांकि शुरुआत में उनकी परफॉर्मेन्स ठीक नहीं रही। लेकिन उनमें लगन की कमी नहीं थी। वह लगातार मेहनत करके अपने खेल में सुधार करती रहीं।

वर्ष 2022 में प्रिंसेस कप के लिये भारतीय टीम का चयन होना था। जिसके लिए देशभर से 8 टीमें बुलाई गई। 20 अप्रैल से भुवनेश्वर में चल रहे कैम्प में चल रहे अच्छे खेल की बदौलत गुंजन बिश्नोई का चयन भारतीय टीम में हुआ। गुंजन ने अपने पिता का सपना पूरा करने के लिए बीए फाइनल वर्ष की परीक्षा भी छोड़ दी। गुंजन ने कहा कि हमे भारत के लिए खेलना है और जीतना है।

देश के ग्रामीण अंचलों के खिलाड़ी आज दुनिया भर में अपनी पहचान बना रहे हैं और देश का मान बढ़ा रहे हैं। गुंजन से देश को बहुत उम्मीदें हैं। वो भी इस पर खरा उतरने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं।

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