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रामपुर और आजमगढ़ में भाजपा की जीत का क्या है निहितार्थ

रामपुर और आजमगढ़ में भाजपा की जीत का क्या है निहितार्थ

लखनऊ: यूपी में भाजपा ने लोकसभा की दो और सीटें जीत लीं। इसके साथ ही देश के इस सबसे बड़े राज्य से उसके लोकसभा सांसदों की संख्या 66 हो गई। इस उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने अपनी साख गंवा दी। उसके हाथ से दो लोकसभा सीटें फिसल गईं। लेकिन यह करिश्मा ऐसे ही नहीं हो गया। इसके पीछे कई कारण थे-

आजमगढ़ में निरहू ने नहीं छोड़ी उम्मीद

आजमगढ़ से समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने 2019 में जीत हासिल की थी। उस समय उनके सामने भोजपुरी सिनेमा स्टार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहू खड़े थे। 2019 के चुनाव में अखिलेश के सामने निरहू को लगभग 2.5 लाख वोटों से भारी हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन दिनेश यादव उर्फ निरहू निराश नहीं हुए।

वो लगातार आजमगढ़ का दौरा करते रहे। लोगों से मेल मुलाकातों का दौर जारी रखा। जिसका नतीजा इस बार निकला।

2022 में आजमगढ़ में उपचुनाव कराने की नौबत इसलिए आई, क्योंकि अखिलेश यादव लखनऊ विधानसभा में बने रहना चाहते थे। इसलिए उन्होंने अपनी संसदीय सीट से इस्तीफा दिया और अपने भाई धर्मेन्द्र यादव को उम्मीदवार बनाया। लेकिन उनमें अखिलेश वाली बात नहीं थी।

निरहू ने धर्मेन्द्र को जबरदस्त टक्कर दी और कड़े मुकाबले के बाद 8679 वोटों से जीत हासिल की। ये परिणाम बताते हैं कि कैसे लगातार संघर्ष करने वालों की जीत तय होती है।

आजमगढ़ के चुनाव परिणाम कुछ इस प्रकार रहे-

भाजपा के दिनेशलाल यादव ‘निरहुआ’ : 3,12,768 वोट
समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव : 3,04,089 वोट
बहुजन समाज पार्टी के गुड्डू जमाली : 2,66,210 वोट

रामपुर में सपा हुई फूट की शिकार

रामपुर में भी समाजवादी पार्टी को करारी हार मिली। लेकिन यहां वजह कुछ अलग ही थी। यहां चुनाव होने से पहले ही सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और रामपुर के दिग्गज नेता आजम खान के बीच अनबन की खबरें आने लगी थीं। आजम खान को दुख था कि जब वो जेल में बंद थे, तब अखिलेश ने उनके लिए कुछ नहीं किया। यह दर्द उन्होंने कई बार सार्वजनिक मंचों से बयां भी किया।

आजम और अखिलेश के बीच अनबन की बात इसलिए भी सच लगती है क्योंकि जहां रामपुर चुनाव में भाजपा के सभी दिग्गज नेता प्रचार में लगे रहे। वहीं अखिलेश यादव अपनी पार्टी के उम्मीदवार के प्रचार के लिए नहीं गए। उन्होंने पूरा प्रचार आजम खान पर छोड़ दिया। जबकि भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई मंत्री चुनाव प्रचार में लगे रहे।

आजम खान ने सपा प्रत्याशी आसिम रजा के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी। यहां तक कि लोग कहने लगे कि आसिम तो सिर्फ एक चेहरा हैं। असली चुनाव तो आजम खान ही लड़ रहे हैं। लेकिन अकेले आजम खान पर भाजपा की पूरी मशीनरी भारी पड़ गई। जिसका नतीजा रहा कि भाजपा के घनश्याम लोधी ने लगभग 43 हजार वोटों के मार्जिन से सपा को हरा दिया। रामपुर में सपा की अंदरुनी लड़ाई का फायदा साफ तौर पर भाजपा को मिला।

रामपुर के चुनावी नतीजे कुछ इस प्रकार रहे-

भाजपा के घनश्याम लोधी : 3,67,397 वोट
सपा के आसिम रजा : 3,25,505 वोट
नोटा : 4,450 वोट

 

अंशुमान आनंंद

 

 

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