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दो पाटों के बीच फंसा पाकिस्तान, एक तरफ चीन तो दूसरी तरफ तहरीके तालिबान

दो पाटों के बीच फंसा पाकिस्तान, एक तरफ चीन तो दूसरी तरफ तहरीके तालिबान

नई दिल्ली: लगातार अस्थिरता और भुखमरी से जूझ रहा पाकिस्तान अब अलग ही मुश्किल में फंस गया है। एक तरफ उसके पुराने दोस्त चीन ने दबाव बढ़ा दिया है। दूसरी तरफ आतंकी संगठन तहरीके तालिबान पाकिस्तान ने भी शहबाज शरीफ सरकार को मुश्किल में डाल रखा है। आपको बताते हैं पूरा मामला-

चीन तैनात करना चाहता है अपनी सेना

चीन ने पाकिस्तान में लगभग 60 अरब डॉलर का बड़ा निवेश कर रखा है। लेकिन पाकिस्तान में चीन के प्रोजेक्ट्स पर आतंकवादी लगातार हमले कर रहे हैं। जिसकी वजह से चीन अपने इन्वेस्टमेन्ट और नागरिकों की सुरक्षा के लिए अपनी फौज तैनात करना चाहता है। लेकिन चीन के इस प्रस्ताव का पाकिस्तान में भारी विरोध हो रहा है। पाकिस्तान की सेना और गृह मंत्रालय इसे अपनी संप्रभुता पर हमला मान रहे हैं।

चीन के ज्यादातर प्रोजेक्ट बलूचिस्तान में हैं। जहां के प्राकृतिक संसाधनों की चीन लगातार दोहन कर रहा है। जिसकी वजह से वहां के बलोच नागरिक चीनी कंपनियों पर लगातार हमले कर रहे हैं। पिछले दिनों एक महिला बलूच विद्रोही ने चीनी नागरिकों से भरी वैन पर हमला करके उसे उड़ा दिया था। बलोच विद्रोहियों ने चीनी प्रोजेक्ट्स पर कई घातक हमले किए हैं। जिसकी वजह से चीन बेहद परेशान है। इसलिए उसने पाकिस्तान में चीनी सेना तैनात करने का प्रस्ताव दिया है। लेकिन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ आंतरिक विरोध के कारण इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं।

चीन के प्रोजेक्ट्स की सुरक्षा के लिए पाकिस्तानी फौज ने अलग से एक सैन्य बल का गठन किया है। लेकिन यह भी बलूच विद्रोहियों और टीटीपी के आतंकियों के हमलों के सामने कारगर साबित नहीं हो रहा है। जिसकी वजह से चीन ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा की यात्रा के दौरान पाकिस्तान में चीनी सेना को तैनात करने का प्रस्ताव रखा था। लेकिन इसका पाकिस्तान के अंदर भारी विरोध हो रहा है।

लेकिन समस्या ये है कि जिस तरह पाकिस्तान की सेना चीन के प्रोजेक्ट्स को आतंकी हमलों से बचा नहीं पा रही है। उसे देखते हुए चीन को पाकिस्तान में या तो अपने प्रोजेक्ट्स बंद करने होंगे या फिर अपनी फौज तैनात करनी होगी। ये दोनों ही स्थितियां पाकिस्तान के लिए बुरी साबित होंगी।

अगर चीन अपने प्रोजेक्ट्स समेट लेता है तो पाकिस्तान को बड़ा आर्थिक झटका लगेगा और अगर चीन अपनी फौज तैनात कर देता है तो यह पाकिस्तान और उसकी सेना के लिए भारी बेइज्जती की बात होगी। क्योंकि कोई भी देश अपनी सरजमीं पर विदेशी फौज को आने की अनुमति नहीं देता है।

टीटीपी ने बढ़ाई शहबाज की टेंशन

एक तरफ चीन का पाकिस्तान पर दबाव बढ़ता जा रहा है। दूसरी तरफ चीन में सक्रिय आतंकवादी संगठन तहरीके तालिबान पाकिस्तान ने शहबाज शरीफ की सरकार को आतंकी हमले बढ़ाने की खुली धमकी दी है। टीटीपी के सरगना मुफ्ती नूर वली मेहसूद ने कहा है कि अफगान तालिबान की मध्यस्थता से पाकिस्तान सरकार से जो बातचीत चल रही है, अगर वो फेल होती है तो पाकिस्तान पर आतंकी हमले बढ़ा दिए जाएंगे।

यही नहीं नूर वली ने ये भी कहा है कि चीनी कंपनियों पर टीटीपी कभी हमले नहीं करती है। बल्कि इस तरह के हमले खुद पाकिस्तानी सेना करवाती है। जिससे कि चीन को दबाव में रखा जा सके और उससे ज्यादा से ज्यादा पैसों की वसूली की जा सके।

पिछले दिनों पाकिस्तान की फौज पर टीटीपी आतंकियों के हमले बेहद तेज हो गए थे। जिसकी वजह से पाकिस्तान को अपने सैकड़ों फौजियों की जान से हाथ धोना पड़ गया था। जिसके बाद पाकिस्तान सरकार टीटीपी से बात करने के लिए विवश हो गई है।

टीटीपी चाहता है कि पाकिस्तान के फाटा इलाके को खैबर पख्‍तूनख्‍वा से अलग कर दिया जाए और टीटीपी के सदस्यों पर पाकिस्तान में चल रहे मुकदमे भी वापस लिए जाएं। लेकिन पाकिस्तान सरकार किसी भी सूरत में इन दोनो मांगों को मानने के लिए तैयार नही हैं।

 

अंशुमान आनंंद

 

 

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