
नई दिल्ली: महाराष्ट्र विधानसभा में विश्वास मत को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई खत्म हो गई है। देश की सर्वोच्च अदालत ने राज्यपाल के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। विश्वास मत में अपनी हार तय देखकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री पद के साथ साथ विधान परिषद् की सदस्यता से भी अपना इस्तीफा दे दिया है। उद्धव ने फेसबुक लाइव के जरिए अपने इस्तीफे का ऐलान किया है।
राज्यपाल ने दिया था ये आदेश
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने गुरुवार यानी 30 जून को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है। जिसका एजेंडा उद्धव सरकार के बहुमत की जांच करना है। राज्यपाल ने आदेश दिया है कि गुरुवार को शाम 5 बजे तक राज्य सरकार के बहुमत का परीक्षण कर लिया जाए। भाजपा नेता देवेन्द्र फडणवीस ने मंगलवार यानी 28 जून को देर रात राज्यपाल कोश्यारी से मुलाकात करके उन्हें अपने समर्थक विधायकों की लिस्ट सौंप दी थी।
इसी आदेश के खिलाफ उद्धव सरकार ने वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी के जरिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। राज्य सरकार का तर्क था कि इतनी जल्दी विश्वास मत पर बहस कराए जाने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के आदेश में दखल देने से इनकार कर दिया।
उद्धव ठाकरे को झटका
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उद्धव ठाकरे की सरकार को बड़ा झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि विधायकों की अयोग्यता का मामला लंबित होने से विश्वास मत को रोका नहीं जा सकता है।
इसके पहले उद्धव ठाकरे ने अपने विधायक दल की बैठक बुलाई। जिसमें उन्होंने अपने मंत्रियों को ढाई साल तक सहयोग करने के लिए शुक्रिया अदा किया। इस बात से अंदाजा लगाया जा रहा था कि विश्वास मत से पहले उद्धव ठाकरे अपना इस्तीफा दे सकते हैं। आखिरकार ये आशंका सही साबित हुई और अदालत का फैसला आने के कुछ ही समय बाद उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया।
खबर है कि उद्धव ठाकरे पहले भी इस्तीफा देना चाहते थे, लेकिन एनसीपी प्रमुख शरद पवार के समझाने की वजह से वह रुक गए थे। शरद पवार ने उद्धव ठाकरे को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक इंतजार करने के लिए मना लिया था। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट का रुख साफ हो जाने के बाद उद्धव ठाकरे के पास कोई और रास्ता नहीं बचा है।
भाजपा के पास सरकार बनाने के लिए पर्याप्त बहुमत
महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी के पास 113 विधायकों के अलावा 16 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन मौजूद है। इस तरह भाजपा के पास 129 विधायकों का समर्थन मौजूद है। इसमें शिवसेना के बागी 40 विधायकों को शामिल कर लिया जाए तो भाजपा के पास 169 विधायकों का समर्थन मिल रहा है। जो कि सरकार बनाने के लिए पर्याप्त है।
288 सदस्यों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 144 विधायक चाहिए। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता देवेन्द्र फडणवीस विश्वास मत में जीत हासिल करने की तैयारी में जुटे हुए हैं। उन्होंने उद्धव ठाकरे के भाई और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे से भी फोन पर चर्चा की है। खबर है कि राज ठाकरे ने भी विश्वास मत के दौरान भाजपा का समर्थन करने का वादा किया है। उनके एकमात्र विधायक राजू पाटिल विश्वास मत के दौरान भाजपा का साथ देने के लिए तैयार हैं।
मुंबई लौटने की तैयारी में बागी शिवसेना विधायक
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शिवसेना के बागी विधायक विधानसभा के सत्र में हिस्सा लेने के लिए मुंबई लौट आएंगे। वो गुवाहाटी छोड़कर गोवा पहुंचे हुए थे। जो कि मुंबई के बिल्कुल पास में है। यहां से बागी विधायकों का मुंबई पहुंचना बेहद आसान हो जाएगा।
गुवाहाटी से रवाना होने से पहले शिवसेना के बागी विधायक दल के नेता एकनाथ शिंदे ने मीडिया से बात की थी। उन्होंने ने अपने साथ शिवसेना के 55 में से 50 विधायकों का समर्थन हासिल होने का दावा किया।
ये है सरकार बनाने का फॉर्मूला
महाराष्ट्र में शिवसेना के बागी विधायक और भारतीय जनता पार्टी मिलकर इस फॉर्मूले के आधार पर सरकार बनाने की तैयारी में जुटे हैं-
– देवेन्द्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और एकनाथ शिंदे को उप-मुख्यमंत्री का पद मिल सकता है
– शिंदे गुट के 40 से ज्यादा बागी शिवसेना विधायकों में से 6 कैबिनेट और 5 राज्यमंत्री बनाए जा सकते हैं
– कैबिनेट मंत्री पद के लिए फिलहाल गुलाबराव पाटील, शंभूराज देशाई, संजय शिरसाट, दीपक केसरकर और उदय सामंत का नाम सामने आ रहा है
– उद्धव ठाकरे द्वारा शिंदे गुट के बर्खास्त किए गए मंत्रियों को उनका पुराना मंत्रालय बहाल किया जा सकता है