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देश भर में आतंकियों का नेटवर्क खड़ा करना चाहते थे कन्हैयालाल के हत्यारे

देश भर में आतंकियों का नेटवर्क खड़ा करना चाहते थे कन्हैयालाल के हत्यारे

जयपुर: राजस्थान के उदयपुर में हुई कन्हैयालाल की घटना कोई मामूली वारदात नहीं थी। उनकी हत्या करने वाले मोहम्मद रियाज और मोहम्मद गौस बेहद खतरनाक साजिश में लगे हुए थे। कन्हैयालाल की हत्या तो उसकी महज एक कड़ी थी। इन दोनों से राष्ट्रीय जांच एजेन्सी(NIA) लगातार पूछताछ कर रही है। जिसमें चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय आतंकियों के जुड़े थे हत्यारों के तार

मोहम्मद रियाज और मोहम्मद गौस बेहद खतरनाक योजना बनाने में लगे हुए थे। रियाज तो अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन आईएस(IS) के लगातार संपर्क में था। वह एक दूसरे आतंकवादी संगठन अल सूफा के साथ भी सक्रिय तौर पर जुड़ा हुआ था। रियाज अल सूफा में मुजीब नाम के एक पुराने आतंकी के अंडर में काम करता था।
मुजीब को 30 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। जब वह जयपुर में सीरियल धमाका करने के लिए मध्य प्रदेश के रतलाम से विस्फोटक लेकर आ रहा था। उसे चित्तौड़ के निंबाहेड़ा से गिरफ्तार किया गया था।

जबकि कन्हैयालाल का दूसरा हत्यारा मोहम्मद गौस तो साल 2014 में पाकिस्तान भी जा चुका है। जहां उसने 45 दिन की आतंकी ट्रेनिंग भी ली है। वह कट्टरपंथी संगठन दावत-ए-इस्लाम का सदस्य है। जिसका संबंध तहरीके लब्बैक नाम के आतंकी संगठन से है। मोहम्मद गौस लगातार तहरीके लब्बैक के आतंकवादियों के संपर्क में था।

स्थानीय युवाओं के दिमाग में भर रहे थे कट्टरपंथ का जहर

मोहम्मद रियाज वेल्डिंग का और मोहम्मद गौस प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करता था। लेकिन दोनों का मुख्य काम आतंकी विचारधारा का प्रचार प्रसार करना था।

रियाज और गौस व्हाट्सएप्प के जरिए कई लोगों के संपर्क में थे। ये युवाओं में आतंकी विचार फैलाते थे और उन्हें जन्नत के झूठे सपने दिखाकर ब्रेनवाश करने की कोशिश करते थे। जांच एजेन्सियों को शक है कि उन्होंने आतंकवादी संगठन अल सूफा की स्थानीय इकाई खड़ी कर ली है। जिसके दूसरे सदस्यों के बारे में पता लगाया जाना अभी बाकी है।

यह दोनों उदयपुर, भीलवाड़ा, अजमेर, राजसमंद, टोंक, बूंदी, बांसवाड़ा,जोधपुर जिलों में कई युवाओं के संपर्क में थे। NIA को शक है कि रियाज और गौस राजस्थान के आठ जिलों में अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन IS के लिए स्लीपर सेल तैयार कर रहे थे।

हत्यारों के बीवी बच्चे फरार

पुलिस ने उदयपुर में आतंकियों के घर पर भी तलाशी ली है। मोहम्मद रियाज ने 12 जून को ही मेन रोड पर ट्रक ड्राईवर मोहम्मद उमर का घर किराए पर लिया था। पुलिस ने इस घर की बारीकी से तलाशी ली है। इस घर में कोई भी नहीं मिला। रियाज की बीवी और दो बच्चे गायब हैं। रियाज की 13 साल की बेटी और 11 साल का बेटा है। उसकी बीवी इन दोनों को लेकर फरार है।

रियाज के भाई ने आरोप लगाया है कि उसकी शादी के बारे में घरवालों को कुछ भी पता नहीं है। उसकी शादी उसके कट्टरपंथी नेटवर्क के जरिए हुई है। ऐसे में पुलिस को शक है कि रियाज की बीवी भी उसके आतंकी इरादों के बारे में बहुत कुछ जानती होगी। पुलिस उसकी तलाश में है।

पैतृक परिवार से कटे हुए थे हत्यारे

कन्हैयालाल के हत्यारों में से एक मोहम्मद रियाज मूल रूप से भीलवाड़ा के आसींद का रहने वाला है। उसके पिता का नाम मोहम्मद जब्बार है जो कि लोहार का काम करते थे। लेकिन अब वो मर चुके हैं। रियाज के 9 भाई और एक बहन है। जिसमें से 3 भाईयों की मौत हो चुकी है।

पिता की मौत के बाद रियाज ने भीलवाड़ा छोड़ दिया था और उदयपुर आकर बस गया था। इसी दौरान वह कट्टरपंथी होता चला गया। रियाज ने अपने भाई बहनों को बिना बताए शादी भी कर ली थी। शक है कि उसके आतंकी नेटवर्क ने ही उसकी शादी करवाई है।

पाकिस्तान से जुड़ रहे हैं साजिश के तार

राष्ट्रीय जांच एजेन्सी NIA कन्हैयालाल हत्याकांड की बेहद बारीकी से जांच कर रही है। उसे शक है कि इसमें पाकिस्तान के आतंकी संगठनों की भी भूमिका है।

राजस्थान के डीजीपी ML लाठर के मुताबिक हत्यारों में से एक गौस मोहम्मद के पाकिस्तान के इस्लामिक संगठन दावत-ए- इस्लामी से तार जुड़े होने की संकेत मिले है क्योंकि उसने 2014 में कराची का दौरा किया था।

दावत-ए-इस्लामी मजहबी कट्टरपंथ फैलाने के साथ युवाओं को भारत के खिलाफ भड़काता रहता है। पाकिस्तान का यह आतंकी संगठन बेहद हाईटेक है और ऑनलाइन कोर्स भीकराता है। यह संगठन खुद से जुड़े युवाओं को जिहादी बनने की के लिए स्पेशल ट्रेनिंग भी देता है।
भारत में दावत-ए-इस्लामी की नींव साल 1989 में पड़ी जब पाकिस्तान से उलेमाओं का एक प्रतिनिधिमंडल भारत आया था। जिसके बाद भारत में भी इस कट्टरपंथी संगठन का दफ्तर खोला गया। इसके बाद भारत में दावत ए इस्लामी संगठन की नींव पड़ी।

इसका मुख्यालय दिल्ली और मुम्बई में है। इसके अलावा यूपी और बिहार में इसकी गतिविधियां काफी ज्यादा हैं। दावत-ए-इस्लामी का कानपुर सेन्टर पूर्वी भारत को नियंत्रित करता है।

कन्हैयालाल की हत्या के बाद दावत-ए-इस्लामी जांच एजेन्सियों के रडार पर आ गया है।

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