
नई दिल्ली: आम तौर पर मच्छरों को बीमारियों का जनक माना जाता है। खास तौर पर डेंगू और चिकनगुनिया जैसे रोग तो मच्छरों के कारण ही फैलते हैं। लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों ने एक ऐसा तरीका निकाला है, जिससे बीमारी फैलाने वाले मच्छर बीमारियों का इलाज करने लगेंगे।
पुडुचेरी में हुई रिसर्च
पुडुचेरी के इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और वेक्टर कंट्रोल रिसर्च सेंटर (VCRC) ने संयुक्त रुप से रिसर्च करके ऐसे मच्छरों का विकास किया है, जो डेंगू और चिकनगुनिया बीमारियों के खिलाफ लड़ेंगे। इन मच्छरों को एक खास तरह के बैक्टीरिया से संक्रमित किया गया है। जो कि बीमारी को रोकने के काम आते हैं।
वैज्ञानिकों ने डेंगू जैसी बीमारियां फैलाने वाले एडीज एजिप्टी मच्छरों को वोल्बाचिया बैक्टीरिया की दो प्रजातियों- W-MEL और W-ALB से संक्रमित कर दिया है। वोल्बाचिया नाम का बैक्टीरिया कीड़े-मकौड़ों की 60 प्रजातियों में उपस्थित रहता है।
वायरस को कंट्रोल करता है बैक्टीरिया
ICMR-VCRC के डायरेक्टर डॉ. अश्विनी कुमार ने बताया है कि वोल्बाचिया बेहद सूक्ष्म होता है और यह मच्छरों की हर कोशिका पर बैठकर उसे अपना घर बना लेता है। रिसर्च में पता चला है कि इस बैक्टीरिया से संक्रमित होने के बाद मच्छर डेंगू और चिकनगुनिया नहीं फैला पाते हैं। क्योंकि यह बैक्टीरिया डेंगू और चिकनगुनिया फैलाने के जिम्मेदार वायरस को अपने नियंत्रण में ले लेता है।

जड़ से खत्म होगा डेंगू चिकनगुनिया का वायरस
डेंगू और चिकनगुनिया एडीज मच्छरों से फैलता है। मच्छरों में मादा मच्छर ही इंसानों का खून चूसती है। क्योंकि उसे अंडे देने के लिए खून में मौजूद प्रोटीन की आवश्यकता होती है। इसलिए वैज्ञानिकों ने मादा एडीज मच्छरों को ही वोल्बाचिया बैक्टीरिया से संक्रमित किया है।
इन मादा मच्छरों से संपर्क में जो भी मच्छर आएगा, वह वोल्बाचिया बैक्टीरिया से संक्रमित हो जाएगा। इन मच्छरों से जो लार्वा यानी मच्छरों के बच्चे पैदा होंगे। वह वायरस विहीन होंगे। धीरे धीरे वायरस वाले सभी मच्छर खत्म हो जाएंगे और बिना वायरस के मच्छर चारो तरफ फैल जाएंगे।
भारतीय वैज्ञानिकों ने इस प्रयोग के लिए ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी से वोल्बाचिया बैक्टीरिया की दो प्रजातियों के लगभग 10,000 अंडों को भारत लाया था। यह प्रयोग करने से पहले सरकार से मंजूरी ली गई। जिसके बाद वोल्बाचिया के अंडों से बैक्टीरिया निकालकर उसे पुडुचेरी की लैब में एडीज एजिप्टी प्रजाति के मच्छरों को संक्रमित कराया गया। यह प्रयोग बेहद सफल रहा।
भारतीय वैज्ञानिकों के इस अभिनव प्रयोग से बीमारी फैलाने वाले मच्छर अब डेंगू और चिकनगुनिया का इलाज करने में सक्षम हो जाएंगे। फिलहाल यह प्रयोग लैब में ही चल रहा है। इसे जमीनी स्तर पर नहीं उतारा गया है।
बेहद खतरनाक होता है डेंगू
डेंगू की शुरुआत तेज बुखार, सिर दर्द, आंखों के पीछे दर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में तेज दर्द, थकान, मितली, उल्टी, त्वचा पर लाल चकत्ते और भूख ना लगने जैसे लक्षणों से होती है।
आमतौर पर 3-7 दिनों के बाद मरीज में गंभीर डेंगू के लक्षण आ सकते हैं। जिसमें पेट में तेज दर्द, तेजी से सांस लेना, लगातार उल्टी, उल्टी में खून आना, पेशाब में खून आना, बॉडी में लिक्विड जम जाना, मसूड़ों और नाक से खून बहना, लिवर में दिक्कत, खून में मौजूद प्लेटलेट का तेजी से गिरना और सुस्ती, बेचैनी महसूस होने लगती है। ऐसी स्थिति में मरीज को तुरंत अस्पताल में भर्ती करने जरूरत पड़ती है।
बरसात के बाद डेंगू की बीमारी तेजी से फैलती है। लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों के इस नए प्रयोग के बाद डेंगू की बीमारी का स्थायी इलाज मिल सकता है।