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देश से बाहर आटा भेजने पर सख्ती

देश से बाहर आटा भेजने पर सख्ती

नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध की वजह से दुनिया खाद्यान्न संकट से जूझ रही है। पूरी दुनिया में अनाज के दाम बढ़ रहे हैं। ये हालत भारत में ना हो जाए, इसके लिए सरकार एहतियाती कदम उठा रही है।

आटे के निर्यात पर रहेगी नजर

विदेश व्यापार महानिदेशालय यानी डीजीएफटी(DGFT) ने अपने नोटिफिकेशन में जानकारी दी है कि किसी भी कंपनी को आटा निर्यात करने से पहले मंजूरी लेनी होगी। बिना अंतर-मंत्रालयी समिति की अनुमति के कोई भी कंपनी विदेश आटा नहीं भेज पाएगी। यह आदेश आटे के साथ साथ मैदा, सूजी (रवा/सिरगी), होलमील आटा (Wholemeal Atta) और रिजल्टेंट आटा (Resultant Atta) के निर्यात पर भी लागू होगा। यानी इन्हें भी विदेश भेजने से पहले मंजूरी लेने की जरुरत पड़ेगी।

गेहूं पर रोक के बाद आटे का निर्यात बढ़ा

भारत सरकार ने मई के महीने में गेहूं के निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी। क्योंकि पूरी दुनिया में गेहूं की किल्लत होती जा रही थी। ऐसे में देश में भी गेहूं की कीमत ना बढ़ जाए, इस आशंका से सरकार ने गेहूं के निर्यात पर पाबंदी लगाई थी। लेकिन पिछले दो महीनों में आटे का निर्यात बेहद तेजी से बढ़ गया था। क्योंकि आटा के निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं था। यही नीति मैदा, सूजी और दूसरे तरह के सभी पिसे हुए गेहूं के उत्पादों पर भी लागू होती थी। लेकिन आटा का निर्यात बढ़ने की वजह से सरकार के कान खड़े हुए। क्योंकि इसकी वह से गेहूं के निर्यात का प्रतिबंध अप्रभावी साबित हो रहा था।

इसी वजह से सरकार ने आटे के निर्यात पर भी नजर रखने का फैसला किया। अब विदेश में आटा भेजने से पहले अंतर मंत्रालयी समिति की सिफारिश जरुरी हो गई है।

जरुरतमंद देशों को गेहूं भेज रहा है भारत

हालांकि भारत ने 13 मई से ही गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बावजूद दुनिया जिन देशों में हालात बिगड़ रहे हैं वहां गेहूं का निर्यात लगातार जारी है। पाबंदी के बावजूद भारत ने लगभग एक दर्जन देशों को 18 लाख टन गेहूं का निर्यात किया है। 22 जून तक सरकार ने अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, इजरायल, इंडोनेशिया, मलेशिया, नेपाल, ओमान, फिलीपींस, कतर, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका, सूडान, स्विट्जरलैण्ड, थाईलैण्ड, संयुक्त अरब अमीरात, वियतनाम और यमन को चार गुना गेहूं का निर्यात किया है।

फरवरी 2022 से शुरु हुई रूस-यूक्रेन की जंग थमने का नाम नहीं ले रही है। जिसकी वजह से गेहूं की वैश्विक सप्लाई चेन पर भारी असर पड़ा है। रूस और यूक्रेन दोनों ही गेहूं के बड़े उत्पादक देश हैं। उन दोनों के जंग में उलझने की वजह से दुनिया के कई देशों के सामने खाद्यान्न संकट पैदा हो गया है। ऐसे में भारत ने अपनी घरेलू जरुरतों को पूरा करने के बाद बचा हुआ गेहूं जरुरतमंद देशों को भेजने की नीति अपना रखी है। दुनिया में गेहूं की कीमत में लगभग 50 फीसदी का इजाफा हुआ है।

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