
वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी का दौरा किया। उन्होंने गुरुवार को बनारस के सिगरा स्थित रुद्राक्ष कन्वेन्शन सेन्टर में शिक्षाविदों के एक सम्मेलन को संबोधित किया। यह सम्मेलन राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित किया गया। यहां प्रधानमंत्री के भाषण की मुख्य बातें कुछ इस प्रकार हैं-
बच्चों की मेधा के अनुरुप बनें शिक्षण संस्थान
देश की नई शिक्षा नीति पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में मौजूद शिक्षाविदों से अपील की है कि वह वे आने वाली पीढ़ी के बच्चों की मेधा के अनुरूप शिक्षा संस्थानों को तैयार करें।
उन्होंने कहा कि ‘अंग्रेजों ने देश को अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए एक “नौकर वर्ग” बनाने के लिए एक शिक्षा प्रणाली दी और इसमें से बहुत कुछ अभी भी अपरिवर्तित है। आजादी के बाद इसमें कुछ बदलाव हुए लेकिन बहुत कुछ बाकी रह गया। हमें न केवल डिग्री रखने वाले युवाओं को पैदा करना चाहिए बल्कि अपनी शिक्षा प्रणाली को ऐसा बनाना चाहिए कि हम ऐसे मानव संसाधन तैयार करें जो देश को आगे ले जाने के लिए आवश्यक हों।’
मातृभाषा में शिक्षा जरुरी
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति अब मातृभाषा में पढ़ाई के रास्ते खोल रही है। इसी क्रम में, संस्कृत जैसी प्राचीन भारतीय भाषाओं को भी आगे बढ़ाया जा रहा है। नई शिक्षा नीति देश को नई दिशा देगी। शिक्षा और शोध का मंथन जरूरी है। नई पीढ़ी पर बड़ी जिम्मेदारी है। हमें चुनौतियों और समस्याओं के विवरण में जाना होगा और समाधान खोजना होगा। एनईपी भारतीय भाषाओं में शिक्षा के लिए दरवाजे खोल रहा है। मुझे विश्वास है कि भारत विश्व शिक्षा गंतव्य के रूप में उभर सकता है।’
इसके पहले तेलंगाना में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद हुई रैली में भी पीएम मोदी ने वहां की स्थानीय भाषा तेलुगु में शिक्षा दिए जाने का विशेष तौर पर उल्लेख किया था।
परिणाम नहीं प्रमाण भी चाहिए
शिक्षाविदों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘आज की दुनिया परिणाम के साथ ही प्रमाण भी मांगती है। हमें अपनी शिक्षा व्यवस्था को इस लिहाज से तैयार करना होगा कि दुनिया में हमारी चीजों को स्वीकार करे और उसका लोहा माने। यदि हम आयुर्वेद की बात करें तो हम भले ही उसमें आगे हैं और उससे परिणाम भी मिलते हैं, लेकिन प्रमाण नहीं मिलते हैं। हमारे पास डेटा बेस होना चाहिए। हम भावनाओं के आधार पर दुनिया नहीं बदल सकते। यही वजह है कि परिणाम के साथ ही प्रमाण की भी जरूरत है।’
ज्ञान से ही मिलेगी मुक्ति
प्रधानमंत्री ने विशेष तौर पर देश की बेटियों का जिक्र करते हुए कहा कि ‘बेटियों के लिए जो क्षेत्र पहले बंद हुआ करते थे वह सेक्टर आज उनकी प्रतिभा का उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें अपने युवाओं को खुली उड़ान के लिए नई ऊर्जा से भरना होगा। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के साथ हमारी जिम्मेदारी बढ़ी है। युवाओें का दायित्व बढ़ा है। हमें उनकी आकांक्षाओं को समझना होगा। नई शिक्षा नीति में पूरा फोकस बच्चों की प्रतिभा और च्वाइस के हिसाब से उन्हें स्किल्ड बनाने पर है। काशी को मोक्ष की नगरी इसलिए कहते हैं क्योंकि हमारे यहां मुक्ति का एकमात्र रास्ता ज्ञान को ही माना जाता है।’
प्रधानमंत्री ने यह सभी बातें बनारस के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेन्टर में कही। जहां पर नई शिक्षा नीति पर राष्ट्रीय समागम का आयोजन किया गया है। इस शिक्षा समागम में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार विभिन्न भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों के अकादमिक, प्रशासनिक और संस्थागत प्रमुख, शिक्षाविद, शोधकर्ता, प्रशासनिक अधिकारी, नीति निर्माता, विचारक, प्रोफेशनल्स और शैक्षिक तथा उद्योग विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं।
बेहद खास है रुद्राक्ष कन्वेंशन सेन्टर
राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर यह बैठक रुद्राक्ष कन्वेंशन सेन्टर में चल रही है। जो कि भारत और जापान के संयुक्त सहयोग से बना है। यह सेन्टर शिवलिंग की आकृति का है और वाराणसी के सिगरा में स्थित है। इसमें स्टील के 108 रुद्राक्ष के दाने भी लगाए गए है। यहां 120 गाड़ियों की बेसमेंट पार्किंग है। जिसमें वियतनाम से मंगाई गई कुर्सियां लगी हैं। इस हॉल में 1200 लोग एक साथ बैठ सकते हैं। जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शिक्षाविदों के सम्मेलन को संबोधित किया।
रुद्राक्ष कन्वेंशन सेन्टर में 110 किलोवॉट की उर्जा के लिए इसमें सोलर प्लांट भी लगा है। वहीं दीवारों पर लगें ईंट भी ताप रोकने का काम करते हैं साथ ही रुद्राक्ष को वातनुकूलित रखने के लिए इटली के उपकरणों को दीवारों पर लगाया गया है। इसके निर्माण में फ्लाई ऐश का इस्तेमाल किया गया है।
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