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भारत के मित्र रानिल विक्रमसिंघे फिर से बने श्रीलंका के राष्ट्रपति

भारत के मित्र रानिल विक्रमसिंघे फिर से बने श्रीलंका के राष्ट्रपति

कोलंबो: श्रीलंका का चीन से मोहभंग हो चुका है। उसने समझ लिया है कि उसके लिए भारत से बेहतर दोस्त मिल पाना संभव नहीं है। इसलिए श्रीलंका ने भारत से सहानुभूति रखने वाले रानिल विक्रमसिंघे को अपना राष्ट्रपति चुना है।

विक्रमसिंघे बने श्रीलंका के 8वें राष्ट्रपति

जनक्रांति से जूझ रहे श्रीलंका में 8वें राष्ट्रपति का चुनाव संपन्न हो गया है। 20 जुलाई यानी बुधवार को हुई वोटिंग के बाद रानिल विक्रमसिंघे को श्रीलंका का 8वां राष्ट्रपति चुन लिया गया है।

अभी तक विक्रमसिंघे कार्यवाहक राष्ट्रपति के रुप में काम कर रहे थे। श्रीलंका में राष्ट्रपति के चुनाव के लिए 219 वैध मत डाले गए। जिसमें से विक्रमसिंघे को 134 वोट प्राप्त हुए। श्रीलंका के इतिहास में पहली बार राष्ट्रपति का चुनाव कराने के लिए सांसदों ने मतदान किया। क्योंकि तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने 14 जुलाई 2022 को इस्तीफा दे दिया था। जिसकी वजह से श्रीलंका में राष्ट्रीय संकट पैदा हो गया था।

भारत की तरफ झुकाव रखते हैं श्रीलंका के नए राष्ट्रपति

रानिल विक्रमसिंघे भारत के मित्र माने जाते हैं। जबकि उनके पूर्ववर्ती गोटबाया राजपक्षे चीन के समर्थक थे। रानिल विक्रमसिंघे की पार्टी का नाम यूनाइटेड नेशनल पार्टी है। वह 5 बार श्रीलंका के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। 73 साल के रानिल ने वकालत की पढ़ाई की है। उन्होंने 70 के दशक में राजनीति ज्वाइन की थी। 1977 में पहली बार सांसद चुने गए थे। जबकि 1993 में पहली बार PM बनने से पहले रानिल उप विदेश मंत्री, युवा और रोजगार मंत्री सहित कई महत्वपूर्ण मंत्रालय की जिम्मेदार संभाल चुके हैं। वे दो बार विपक्ष के नेता भी रहे।

गोटबाया राजपक्षे द्वारा इस्तीफा देने के बाद विक्रमसिंघे कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्यरत थे। उनके पास श्रीलंका के वित्त मंत्रालय का भी प्रभार है। वह अपने राजनीतिक दल यूनाइटेड नेशनल पार्टी (UNP) से संसद सदस्य हैं। वह 1994 से यूएनपी के नेता रहे हैं। इससे पहले उन्होंने 1993 से 1994, 2001 से 2004, 2015 से 2018 और 2018 से 2019 तक श्रीलंका के प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने 1994 से 2001 तक विपक्ष के नेता के रूप में भी कार्य किया है।

क्यों बिगड़े श्रीलंका के हालात

श्रीलंका इन दिनों जनक्रांति के दौर से गुजर रहा है। वहां की अर्थव्यवस्था तबाह हो गई है। आटा, पेट्रोल, चावल जैसी जरुरी चीजों के दाम आसमान पर हैं। भोजन के बिना लोगों की मौत हो रही है। हालांकि भारत लगातार श्रीलंका की मदद में जुटा हुआ है। लेकिन श्रीलंका में कोई सरकार नहीं होने की वजह से राहत पहुंचाने में मुश्किल आ रही थी।

श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे(Mahinda Rajapaksa) और उनके छोटे भाई गोटबाया राजपक्षे(Gotabaya Rajapaksa) चीन के पिट्ठू की तरह काम कर रहे थे। उन दोनों की शह पर चीन ने श्रीलंका को भारी भरकम कर्जा दिया।

राजपक्षे भाईयों के कार्यकाल में चीन ने श्रीलंका में कई बड़े प्रोजेक्ट खड़े किए। राजपक्षे के कार्यकाल में भारत और श्रीलंका के रिश्ते लगातार बिगड़ते गए।

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