
नई दिल्ली: चीन की बेलगाम महत्वकांक्षा पूरे दुनिया पर धाक जमाने की है। इसलिए उसने डोकलाम के पास सैन्य अड्डा तैयार कर लिया है। भारत के साथ उसकी 16वें दौर की वार्ता विफल हो गई है। लद्दाख के पास चीनी सेना की गतिविधि तेज हो गई है।
लेकिन भारत ने चीन की इन हरकतों पर बारीकी से नजर बना रखी है। चीन की करतूतों का जवाब भारत अपनी डिप्लोमेसी से दे रहा है। भारत अपने मित्र देशों के जरिए चीन को पीछे घेर रहा है। जिससे किसी भी संकट की घड़ी में चीन की फौज को सामने से उलझाकर उसपर पीछे से भी हमला करने का विकल्प खुला रहे। इसलिए भारत ने चीन की पीठ पर बैठे देशों को भारतीय हथियार बेचना शुरु कर दिया है।
चीन की पीठ पर तैनात भारतीय ब्रह्मोस
भारत की ब्रह्मोस अत्याधुनिक मिसाइल है। जो कि आवाज से भी तेज गति से हमला करती है। चीन की फौज इस मिसाइल से बेहद डरती है। क्योंकि यह परमाणु हमला करने में भी सक्षम है। भारत ने चीन की पीठ पर बैठे देशों को ब्रह्मोस मिसाइल बेचनी शुरु कर दी है। जो किसी भी संकट की घड़ी में चीन के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है।
भारत ने पहले फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल बेची है। अब इंडोनेशिया से उसका ब्रह्मोस मिसाइल बेचने का करार होने जा रहा है। भारत, इंडोनेशिया को एंटी शिप वैरिएंट ब्रह्मोस मिसाइल बेचने जा रहा है। दोनों देशों के बीच यह सौदा इस साल के अंत तक हो सकता है।
इंडोनेशिया के अलावा मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम भी ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने की इच्छा जता चुके हैं।
दुश्मन का दुश्मन दोस्त
चीन के सभी पड़ोसी देश उसकी विस्तारवादी नीति से परेशान रहते हैं। इंडोनेशिया के अलावा मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम जैसे देशों के साथ साउथ चाइना सी को लेकर चीन का झगड़ा चल रहा है।
जनवरी 2018 में नई दिल्ली में आसियान-भारत कॉमेमोरेटिव समिट (ASEAN-India Commemorative Summit) के दौरान आसियान देशों ने भारत से ब्रह्मोस और आकाश मिसाइल खरीदने की इच्छा जताई थी। ये सभी देश चीन से खतरा महसूस करते हैं।
2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडोनेशिया का दौरा किया था। जिसके बाद दोनों देशों के बीच समुद्री सुरक्षा और रक्षा सहयोग पर साझेदारी बढ़ी। 2018 में भारतीय नौसेना, इंडोनेशियाई नौसेना का द्विपक्षीय सैन्याभ्यास समुद्र शक्ति भी संपन्न हुआ था।
हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ रही उपस्थिति और नतूना द्वीप के पास चीन की गतिविधियां बढ़ने की वजह से भारत और इंडोनेशिया समुद्री सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है। चीन के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए ही इंडोनेशिया ने भारतीय ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने की इच्छा जताई है।
भारत और रूस की ब्रह्मोस एयरोस्पेस ज्वॉइन्ट वेंचर की एक टीम पहले ही इंडोनेशिया शिपयार्ड का दौरा कर चुकी है।
दुश्मन के लिए बेहद खतरनाक है ब्रह्मोस मिसाइल
भारत और रूस से सहयोगो से तैयार ब्रह्मोस कम दूरी की रैमजेट सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। इसे एयरक्राफ्ट, जहाज, जमीन और पनडुब्बियों से लॉन्च किया जा सकता है। यह मिसाइल 2.8 मैक की गति से हमला कर सकती है, जो आवाज की गति के तीन गुना के समान है। ब्रह्मोस को 30 करोड़ डॉलर के बजट में तैयार किया गया है।
अंशुमान आनंद
ये भी पढ़िए- पूर्वोत्तर को भारत से काटने की साजिश में लगा है चीन