
नई दिल्ली: आजादी के समय देखा गया ‘आखिरी पंक्ति में बैठे व्यक्ति को देश के सर्वोच्च पद तक पहुंचाने का सामाजिक समरसता का सपना’ आज पूरा हो गया। गुरुवार 21 जुलाई की संध्याकाल इन ऐतिहासिक पलों का गवाह बनी।
ओडिशा के एक छोटे से गांव की आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू देश के सर्वोच्च राष्ट्रपति पद तक पहुंच गईं। यह आजाद भारत की एक बड़ी उपलब्धि है। वह भारत की 15वीं राष्ट्रपति के रुप में शपथ ग्रहण करेंगी।
यशवंत सिन्हा को बेहद पीछे छोड़ा
राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू के निकटतम प्रतिद्वंदी यशवंत सिन्हा थे। लेकिन दो चरणों की मतगणना में वह हमेशा पीछे रहे।
गुरुवार 21 जुलाई की शाम आखिरी चरण की मतगणना के बाद जारी बुलेटिन में बताया गया कि ‘राष्ट्रपति चुनाव के लिए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित संसद भवन और राज्य विधानसभाओं में डाले गए कुल वोटों में से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की द्रौपदी मुर्मू को 71.79 फीसदी मत प्राप्त हुए।”
शुरु से ही आगे रहीं मुर्मू
गुरुवार को सुबह 11 बजे से मतगणना शुरु थी। सबसे पहले नई दिल्ली में डाले गए सांसदों के मतों की गणना की गई। जिसमें भी द्रौपदी मुर्मू यशवंत सिन्हा से काफी आगे थीं।
गुरुवार को दोपहर दो बजे सांसदों के वोटों की प्रथम चरण की गिनती पूरी होने के बाद जारी किए गए बयान में बताया गया था कि कि ‘द्रौपदी मुर्मू ने 3,78,000 के मूल्य के साथ 540 वोट हासिल किए हैं और यशवंत सिन्हा ने 1,45,600 के मूल्य के साथ 208 वोट हासिल किए हैं। कुल 15 वोट अवैध थे।’
पूरे देश के लिए ऐतिहासिक दिन
द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना पूरे देश के लिए बेहद ऐतिहासिक है। उनके गांव ओडिशा के रायरंगपुर में सुबह से ही खुशी मनाई जा रही थी।
उनकी जीत की खुशी में लोक कलाकार ने दिल्ली में मदर टेरेसा क्रिसेंट रोड पर आदिवासी नृत्य किया।
द्रौपदी मुर्मू की जीत पहले से तय मानी जा रही थी। कई राज्यों में उनके पक्ष में हुई क्रास वोटिंग से भी उनकी जीत पक्की मानी जा रही थी। एजेंसी की खबरों के मुताबिक राष्ट्रपति चुनाव में 17 सांसदों ने भी एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में क्रास वोटिंग की थी।
मौजूदा राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है। नए राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण 25 जुलाई को होगा।
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