
भारत के शिक्षा मंत्रालय ने वाराणसी में 7 से लेकर 9 जुलाई तक शिक्षा संगम का आयोजन किया। जिसमें शामिल होने के लिए आए प्रख्यात शिक्षाविदों, नीति निमार्ताओं और अकादमिक नेताओं ने विचार विनिमय किया और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए चर्चा की। इस कार्यक्रम में 300 से ज्यादा शिक्षाविद्, प्रशासनिक संस्थानों के प्रमुखों ने हिस्सा लिया। जिसमें केन्द्रीय, प्रादेशिक और डीम्ड विश्वविद्यालयों के प्रमुख और आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी और आईआईएसईआर जैसे देश भर में स्थित राष्ट्रीय महत्व के संस्थान शामिल हैं।
कार्यक्रम के समापन सत्र को संबोधित करते हुए शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने नई शिक्षा नीति 2020 के कुछ बेहद प्रासंगिक बिंदुओं पर ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि “हमें भविष्य के लिए महत्वपूर्ण, उत्तरदायी और विश्वस्तर के उच्च शिक्षण संस्थान तैयार करने हैं, जिसमें 21वीं सदी की जरूरतों के मुताबिक छात्र तैयार किए जा सकें। हमें उच्च शिक्षा को जनता की पहुंच के अंदर, समावेशी, समानता आधारित, सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाला बनाना होगा।”
‘शिक्षा समागम भारत को ज्ञान आधारित महाशक्ति के रूप में स्थापित करने और 21 वीं सदी की चुनौतियों के लिए छात्रों को तैयार करने की दिशा में एक कदम है। हमें भविष्य की चुनौतियों पर आधारित, विश्व स्तरीय संस्थानों को विकसित करने की आवश्यकता है, जो कि सर्वप्रथम छात्र और सिखाने वाले शिक्षकों के सिद्धांत पर काम पाएं।’
धर्मेन्द्र प्रधान के अनुसार राष्ट्रीय शिक्षा नीति को 21वीं सदी की जरुरतों के हिसाब से और भारत के उज्जवल भविष्य के लिए तैयार किया गया है। यह हमारे पास आर्थिक दोहन करने वाली औपनिवेशिक शिक्षा व्यवस्था में बदलाव लाने का एक मौका है। हमें अपने विश्वविद्यालयों और शिक्षा व्यवस्था में उन बातों को शामिल करने की जरूरत है, जिसके जरिए पर्यावरण की चुनौतियों का सामना करते हुए विकास के लक्ष्य को हासिल किया जा सके।
प्रधान ने आगे कहा कि ‘हमें भारतीय मूल्यों, विचारों और सेवा भावना पर आधारित शैक्षणिक व्यवस्था को लाना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने हमें रास्ता दिखाया है कि हम औपनिवेशिक मानसिकता से अपनी शिक्षा व्यवस्था को बाहर निकालकर, अपने लक्ष्यों को पूरा करते हुए, अपनी भाषा, संस्कृति और पारंपरिक ज्ञान पर गर्व करते हुए आगे बढ़ें। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कुछ तत्व जैसे-मल्टी मॉडल शिक्षा, एकेडमिक बैंक आॅफ क्रेडिट, मल्टीपल एंट्री-एक्जिट, कौशल विकास मील के पत्थर साबित होंगे।’
शिक्षा मंत्री ने कहा कि “इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में मौजूद सभी विद्वानों, नीति नियंताओं और शिक्षाविदों के उत्साह को देखकर एक नई ऊर्जा और आत्मविश्वास का अनुभव हो रहा है। यह शिक्षा संगम भारत को ज्ञान आधारित विश्वशक्ति बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।”
शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने उल्लेख किया कि “नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 देश की शिक्षा व्यवस्था में एक नई संस्कृति विकसित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। हम 21वीं सदी में भारत को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था बनाना चाहते हैं। जिसके लिए हमें विकास प्राद्यौगिकी और आज की आवश्यकताओं के हिसाब के छात्रों के कौशल विकास पर विशेष ध्यान देना होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 हमें छात्रों के हित को पहले स्थान पर रखने की नीति अपनाने की प्रेरणा देती है। हमारे छात्रों में बहुत प्रतिभा है। हमें उनकी खूबियों के आधार पर अपनी शिक्षा नीति को ढालना पड़ेगा, जिसके लिए नई शिक्षा नीति को लागू करने में शिक्षकों की भूमिका बेहद अहम है। नई शिक्षा नीति में शिक्षकों की कुशलता में वृद्धि पर भी ध्यान दिया गया है। ”
‘हमारी उच्च शिक्षा छात्रों के लिए और शिक्षकों के द्वारा होनी चाहिए। हमारी प्रशासनिक व्यवस्था को शिक्षकों की पूरी मदद करनी चाहिए, जिससे कि वो छात्रों की आकांक्षाओं को पूरा कर पाएं। हमें अपने विश्वविद्यालयों को नई शिक्षा नीति के मुताबिक बहुआयामी और बहु विषयक बनाना होगा। हमें कौशल विकसित करने वाली शिक्षा देनी है। जिससे कि छात्र सिर्फ नौकरी मांगने वाले ही नहीं बल्कि नौकरी देने वाले भी बन पाएं। इसके लिए नई शिक्षा नीति में विश्वविद्यालयों को अलग से निर्देश दिए गए हैं। ‘
देश की सभी भाषाएं राष्ट्रभाषा हैं। हम भारतीय भाषाओं में शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। भारतीय भाषाओं में शिक्षा देने का हमारा मूल उद्देश्य देश की बहुसंख्यक आबादी को शिक्षा व्यवस्था से जोड़ना और शोध तथा नवाचार को बढ़ावा देना है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को पूरी तरह लागू करने के लिए और देश तथा
समाज के विकास के लिए देश के सभी विश्वविद्यालयों को एक प्लेटफॉर्म पर आकर काम
करना पड़ेगा।
शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी को उनके लगातार सहयोग और दिशानिर्देश के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री के उस सुझाव को दोहराया, जिसमें उन्होंने देश को शोध और नवाचार के केन्द्र के रुप में विकसित करने के लिए कहा था और पर्यावरण, तकनीक के निर्माण और कचरे से संपत्ति की सर्कुलर इकोनॉमी के निर्माण का सुझाव दिया था।
कार्यक्रम से पहले राउंडटेबल बैठक के दौरान शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को 21वीं सदी का ज्ञान दस्तावेज और छात्रों के समग्र विकास पर ध्यान देने में सक्षम बताया था।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि छात्रों के समग्र विकास और सबके पास शिक्षा की पहुंच को सुनिश्चित करता है। उन्होंने दावा किया कि भारत ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था का केन्द्र बनने वाला है। उन्होंने आगे बताया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत का बड़ा अहम स्थान है।
शिक्षा मंत्री ने साथ ही यह भी बताया कि कैसे शिक्षा व्यवस्था को बदलने में पहले बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ा। पुरानी व्यवस्था के पक्षधर जिद पर अड़े हुए थे। लेकिन अब वह ज्यादा समावेशी और लचीले हो गए हैं। श्री प्रधान ने कहा कि पिछले 75 सालों में लोग अपने अधिकार के प्रति ज्यादा जागरुक हो गए हैं। लेकिन अब वक्त आ गया है कि उन्हें कर्तव्य समझाए जाएं।
शिक्षा मंत्री ने आॅनलाइन शिक्षा व्यवस्था को नई वास्तविकता करार दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षाविदों और शैक्षणिक प्रशासन से जुड़े लोगों को ई-लर्निंग से जुड़े आंकड़ों का नए सिरे से आकलन करना चाहिए और छात्रों की आवश्यकताओं के आधारित बनाने के लिए शोध कार्य करना चाहिए।
शिक्षा मंत्री ने आग्रह किया कि वैश्विक जरुरतों को पूरा करने के लिए वैश्विक नागरिक तैयार करने की जरूरत है। उन्होंने जोड़ा कि शैक्षणिक संस्थानों को ज्ञान और सशक्तिकरण के माध्यम के रुप में विकसित किया जाना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि हम अकादमिक सहभागिता के लिए तैयार हैं और नई शिक्षा नीति 2020 में इसका रास्ता बताया गया है। हमें तेजी से बदलती नौकरियों के बाजार और कार्यकुशलता की मांग को पकड़ना पड़ेगा। हमें उच्च शिक्षा में छात्रों की संख्या को बढ़ाना है, जिन्हें वैश्विक नौकरी बाजार में प्रतिस्पर्धा करने के लिए कौशल, रीस्किलिंग और अपस्किलिंग की आवश्यकता होती है। ’
उदय इंडिया ब्यूरो