
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के अंतर्गत स्कूलों तथा कॉलेजों में होने वाली शिक्षा की नीति तैयार की जाती है। भारत सरकार ने नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 आरंभ की है। जिसके अंतर्गत सरकार ने शिक्षा नीति में काफी सारे मुख्य बदलाव किए हैं। नेशनल एजुकेशन पालिसी के माध्यम से भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना है। नेशनल एजुकेशन पालिसी के अंतर्गत 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100 प्रतिशत जी ई आर के साथ पूर्व विद्यालय से माध्यमिक विद्यालय तक शिक्षा का सार्वभौमीकरण किया जाएगा (जिसमे मेडिकल और कानून की पढाई शामिल नहीं है) पहले 10+2 का पैटर्न फॉलो किया जाता था परंतु अब नई शिक्षा नीति के अंतर्गत 5+3+3+4 का पैटर्न फॉलो किया जाएगा।
इस नीति के माध्यम से कॉलेज एवं विश्वविद्यालय स्तर के नीतिगत बदलाव को लागू करने पर जोर दिया जाएगा। शिक्षा मंत्रालय द्वारा 181 कार्यों की पहचान की गई है। जिनको शिक्षा नीति के अंतर्गत पूरा किया जाना है। इन कार्यों में स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में सब्जेक्ट आॅप्शन, रीजनल लैंग्वेज बेस्ड एजुकेशन, यूनिवर्सिटी डिग्री में प्रवेश एवं निकासी की सुविधा, क्रेडिट बैंक सिस्टम आदि शामिल है।
शिक्षा के स्तर में सुधार करने के लिए सरकार द्वारा निरंतर प्रयास किया जाता है। इसके लिए सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार के बदलाव भी किए जाते हैं। हाल ही में सरकार द्वारा नेशनल एजुकेशन पालिसी लांच की गई है। अब नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के सफलतापूर्वक कार्यान्वयन के लिए शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशांक द्वारा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के जरिए छात्रों एवं शिक्षकों का समग्र विकास (सार्थक) योजना आरंभ होने जा रही है। सार्थक योजना को सभी पक्षकार जैसे कि राज्य, केंद्र शासित प्रदेश आदि से विचार, विमर्श और सुझाव के आधार पर तैयार किया गया है। इस संबंध में शिक्षा मंत्रालय द्वारा सभी हितधारकों से सुझाव मांगे गए थे। शिक्षा मंत्रालय को लगभग 7177 सुझाव प्राप्त हुए है। नेशनल एजुकेशन पालिसी में शिक्षा नीति की सिफारिशों के 297 कार्यों को एक साथ जोड़ा गया है। जिसके लिए जिम्मेदार एजेंसी और समय सीमा भी तय की गई है।
यह 1968 और 1986 के बाद तीसरी शिक्षा नीति है। नई शिक्षा नीति के अंतर्गत शिक्षा प्रणाली में कई महत्वपूर्ण बदलाव आएंगे जैसे कि शिक्षा की विभिन्न धाराओं के बीच पारंपरिक रेखाओं को हटाया जाएगा, नई पीढ़ी के छात्रों को अधिक शिक्षा सामग्र प्रदान किया जाएगा आदि। जिससे कि छात्रों को बेहतर शिक्षा प्रदान की जा सके। इस शिक्षा नीति को आने वाले 2 दशकों के लिए बनाया गया है। इस नेशनल एजुकेशन पालिसी को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
नेशनल एजुकेशन पालिसी में शिक्षकों की गुणवत्ता का स्तर और ऊपर उठाने के लिए कई प्रावधान किए गए हैं। नेशनल एजुकेशन पालिसी व्यवस्था में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के स्वरूप में भी बदलाव होंगे। अभी तक टीईटी परीक्षा दो हिस्सों में बंटी हुई थी- पार्ट 1 और पार्ट 2। लेकिन अब स्कूली शिक्षा व्यवस्था का स्ट्रक्चर चार हिस्सों में बंटा होगा झ्र फाउंडेशन, प्रीपेरेटरी, मिडल और सेकेंडरी। इसी के आधार पर टीईटी का पैटर्न भी सेट किया जाएगा। विषय शिक्षकों की भर्ती के समय टीईटी या संबंधित सब्जेक्ट में एनटीए टेस्ट स्कोर भी चेक किया जा सकता है। सभी विषयों की परीक्षाएं और एक कॉमन एप्टीट्यूट टेस्ट का आयोजन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) करेगा।
साथ ही इस नीति में छोटे बच्चों पर पड़ते अनावश्यक बोझों पर भी ध्यान दिया गया है। के अंतर्गत कई नए फैसले लिए गए हैं जिससे कि शिक्षा को और बेहतर बनाया जाएगा। इस पॉलिसी के अंतर्गत 1 से 10 कक्षा के बच्चों के लिए स्कूल बैग का वजन उनके वजन का 10% ही होना चाहिए। इससे ज्यादा वजन की किताबें उनके लिए नहीं होनी चाहिए। इसी के साथ नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के अंतर्गत व्हील कैरियर बैग लाना बच्चों के लिए मना किया गया है। क्योंकि उससे बच्चों को चोट लगने का खतरा होता है। सभी विद्यालयों में एक डिजिटल वेइंग मशीन रखी जाएगी। जिससे कि सभी बच्चों के स्कूल बैग का वजन मॉनिटर किया जा सकेगा। पॉलिसी डॉक्यूमेंट में ये भी है कि स्कूल बैग हल्का होना चाहिए और उसमें प्रॉपर कंपार्टमेंट्स होने चाहिए। स्कूल बैग में 2 पदेड एडजेस्टेबल स्ट्रप्स होने चाहिए। जो कि बच्चों के कंधे पर फिट हो सके।
एजुकेशन पॉलिसी को आरंभ करने का मुख्य उद्देश्य भारत को एक ज्ञान महाशक्ति बनाना है। जिससे कि समाज में बदलाव आ सकें। इस योजना के माध्यम से बच्चों को उच्च स्तर गुणवत्ता वाली शिक्षा उपलब्ध करवाई जाएगी। इसके अलावा इस योजना के माध्यम से बच्चों को संवैधानिक मूल्यों, देश के साथ जुड़ाव आदि पर जोर दिया जाएगा। इस नीति के माध्यम से बच्चों के अंतर्गत भारतीय होने की गर्व की भावना विकसित होगी। इसके अलावा बच्चे ज्ञान, कौशल आदि प्राप्त कर सकेंगे। यह योजना शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने में लाभकारी साबित होगी।
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी प्रारंभिक शिक्षा के कुछ घटक
प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल
एक शोध के अनुसार बच्चों के मस्तिष्क का 85 प्रतिशत विकास 6 वर्ष की आयु तक हो जाता है इस स्थिति में बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए आरंभिक 6 वर्ष बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के अंतर्गत 6 वर्ष की आयु तक के बच्चों पर खास ध्यान देने का प्रावधान रखा गया है ताकि बच्चों का विकास संपूर्ण रूप से हो सके।
बुनियादी साक्षरता एवं संख्यामकता
इस घटक के अंतर्गत बुनियादी साक्षरता एवं संख्यामकता के ज्ञान को विकसित करने के लिए निपुण योजना का संचालन किया जाएगा। इस योजना का पूरा नाम नेशनल इनीशिएटिव फॉर प्रोफिशिएंसी इन रीडिंग विद अंडरस्टैंडिंग एंड न्यूमरसी है। इस योजना के माध्यम से आधारभूत साक्षरता एवं संख्यामकता का ज्ञान छात्रों को तीसरी कक्षा के अंत तक प्रदान किया जा सकेगा। जिससे वह पढ़ने, लिखने एवं अंकगणित को सीखने की क्षमता प्राप्त कर सकें।
ड्रॉपआउट रेट कम करना तथा सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करना
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी आरंभ करने का एक मुख्य उद्देश्य ड्रॉपआउट रेट में कमी करना है। इस योजना के माध्यम से शिक्षा प्रणाली को लचीला बनाया जाएगा। जिससे कि बच्चे आसानी से शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम हो सकें। बच्चे उन विषयों का चयन कर सकें जो वह पढ़ना चाहते हैं। नई शिक्षा नीति के अंतर्गत को चुनाव के विकल्प को लचीला बनाया गया है। जिससे कि ड्रॉपआउट रेट में कमी आएगी।
5+3+3+4 का स्कूली पाठ्यक्रम
शिक्षा की रूपरेखा को 5+3+3+4 के स्कूली पाठ्यक्रम में विकसित किया जाएगा। जिसमें 3 से 8, 8 से 11, 11 से 14 तथा 14 से 18 वर्ष की उम्र के बच्चे शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। इस रूपरेखा के पहले भाग में प्री स्कूल के 3 साल तथा प्राथमिक स्कूल की पहली एवं दूसरी कक्षा, कक्षा 3 से 5, कक्षा 6 से 8 एवं कक्षा 9 से 12 शामिल है। यह रूपरेखा विद्यार्थियों का समग्र विकास करने के लिए तैयार की गई है।
विशेष प्रतिभा वाले एवं मेधावी विद्यार्थियों को प्रोत्साहन
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के अंतर्गत छात्रों की प्रतिभाओं को पहचाना जाएगा एवं उन को बढ़ावा देने के साथ-साथ उनका विकास भी किया जाएगा। छात्रों को अपनी प्रतिभा एवं रुचि की पहचान करने मैं भी सहायता प्रदान की जाएगी। बच्चों को शिक्षकों द्वारा मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन भी प्रदान किया जाएगा। इस पॉलिसी के माध्यम से बच्चे अपनी प्रतिभा को पहचानने में सक्षम बन सकेंगे।
सभी छात्रों के लिए शिक्षा सुनिश्चित करना
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य सभी छात्रों तक शिक्षा पहुंचाना भी है। जिससे कि सामाजिक न्याय एवं समानता प्राप्त की जा सके। शिक्षा प्राप्त करना प्रत्येक बच्चे का बुनियादी अधिकार है। सरकार द्वारा भी 14 वर्ष की आयु तक मुफ्त शिक्षा प्रत्येक बच्चे को प्रदान किए जाने का प्रावधान निर्धारित किया गया है। इस पॉलिसी के माध्यम से सभी बच्चों तक शिक्षा पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा। भारत सरकार द्वारा छात्राओं की शिक्षा पर खास ध्यान दिया जाएगा। ट्रांसजेंडर छात्रों को भी शिक्षा प्रदान करने की दिशा में विभिन्न कदम उठाए जाएंगे।
स्कूल कॉन्प्लेक्स/क्लस्टर के माध्यम से कुशल संसाधन
इस योजना का संचालन राष्ट्रीय, राज्य, जिला, ब्लाक एवं स्कूली स्तर पर किया जाता है। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी कार्यान्वयन में स्कूल एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। स्कूल के माध्यम से इस योजना का संचालन करके बच्चों को लाभ प्रदान किया जाता है। स्कूली स्तर पर सभी शिक्षकों को इस पॉलिसी का ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है। शिक्षकों द्वारा ही इस योजना का संचालन अंतिम स्तर पर किया जाएगा। शिक्षकों को इस योजना के कार्यान्वयन से संबंधित जानकारी स्कूल मैनेजमेंट द्वारा प्रदान की जाएगी। जिससे कि इस योजना का कार्यान्वयन समय से हो सके। इसके अलावा प्रत्येक राज्य एवं जिले को प्रोत्साहित किया जाएगा कि वह बाल भवन स्थापित करें जिसमें बच्चे कला, खेल और कैरियर संबंधित गतिविधियों में भाग ले सकें।
स्कूली शिक्षा के लिए मानक निर्धारण
स्कूलों द्वारा स्कूली शिक्षा नियामक प्रणाली बनाई जाएगी जिसका लक्ष्य शैक्षिक परिमाण में सुधार करना होगा। इस प्रणाली द्वारा समय-समय पर शोध किया जाएगा। इस प्रणाली द्वारा नेशनल एजुकेशन पॉलिसी को लागू करने के तरीके पर भी अध्ययन किया जाएगा। पॉलिसी लागू होने के बाद मूल्यांकन किया जाएगा।
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी उच्चतर शिक्षा के कुछ घटक
गुणवत्तापूर्ण विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय
नेशनल एजुकेशन पालिसी देश के विकास के लिए एवं बेरोजगारी दर को घटाने के लिए उच्चतर शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उच्चतर शिक्षा विश्वविद्यालयों के माध्यम से प्रदान की जाती है। ऐसे में विश्वविद्यालयों कि शिक्षा में सुधार करने के लिए एवं शिक्षा की गुणवत्तापूर्ण बढ़ने के लिए नेशनल एजुकेशन पालिसी के माध्यम से विभिन्न प्रकार के प्रयास किए जाएंगे। जिससे कि देश के युवा सक्षम बन सके एवं उनका समग्र विकास हो सके। इस योजना के माध्यम से ऐसी उच्चतर शिक्षा बच्चों को प्रदान की जाएगी जिसमें बहु विषयक विश्वविद्यालय और महाविद्यालय होंगे।
संस्थागत पुनगठन और समेकन
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के माध्यम से उच्चतर शिक्षा संस्थानों को बड़े एवं बहू विषक विश्वविद्यालय, कॉलेज आदि में स्थानांतरित करना है। जिससे कि उच्च शिक्षा की विखंडता को समाप्त किया जा सके। प्रत्येक उच्च शिक्षा संस्थान का लक्ष्य लगभग 3000 या फिर उससे अधिक छात्रों का उत्थान करना होगा। इन संस्थानों के माध्यम से छात्रों का सामाजिक एवं मानसिक विकास किया जाएगा। इस पॉलिसी के माध्यम से सार्वजनिक एवं निजी दोनों संस्थानों का विकास किया जाएगा। यह विकास करने के लिए एक निष्पक्ष प्रणाली का उपयोग किया जाएगा।
समग्र एवं बहू विषयक शिक्षा
समग्र एवं बहू विषयक शिक्षा का तात्पर्य है मनुष्य की सभी क्षमता जैसे कि समाजिक, शारीरिक, भावनात्मक, नैतिक आदि को एकत्रित करके विकसित करना। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में छात्रों को सामग्र एवं बहू विषयक शिक्षा प्रदान करने का भी प्रावधान रखा गया है। जिससे कि बच्चों का संपूर्ण विकास हो सके। इसके लिए लचीले पाठ्यक्रम को विकसित किया जाएगा। उच्चतर शिक्षा में कई प्रवेश और निकास बिंदुओ का विकल्प होगा। जिससे कि बच्चे अपने रुचि के अनुसार शिक्षा प्राप्त कर सकें। एग्री कार्यक्रम की अवधि मैं भी आवश्यकता अनुसार बदलाव किए जा सकते हैं।
सीखने के लिए सर्वोत्तम वातावरण एवं छात्रों का सहयोग
छात्रों को प्रभावी ढंग से शिक्षा प्राप्त करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण होना आवश्यक है। जिसमें उपायुक्त पाठ्यक्रम, आकर्षक शिक्षण, निरंतर रचनात्मक मूल्यांकन, छात्रों का पर्याप्त सहयोग शामिल होता है। इसके अलावा नेशनल एजुकेशन पालिसी छात्रों की बेहतरी के लिए कुछ अन्य क्षमताएं जैसे कि फिटनेस, अच्छा स्वास्थ्य, नैतिक मूल्य का आधार आदि भी छात्रों को सीखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह सभी चीजें नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में शामिल की गई है। जिससे कि छात्र अपनी पढ़ाई गुणवत्ता पूर्ण ढंग से कर सकें। इसके अलावा इस पॉलिसी के अंतर्गत शिक्षा का अंतरराष्ट्रीयकरण भी किया जाएगा। जिससे कि भारत में पढ़ने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या बढ़े और भारत के छात्रों को विदेशी संस्थानों में शोध करने का मौका मिल सके। इस पॉलिसी के माध्यम से छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करने का भी प्रावधान रखा गया है।
अध्यापक शिक्षा
छात्रों को शिक्षा प्रदान करने के लिए शिक्षकों की सक्षम टीम का निर्माण करना बहुत महत्वपूर्ण है। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में इस बात पर भी बहुत जोर दिया जा रहा है। बुनियादी शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक शिक्षकों को तैयार किया जा रहा है। जिसमें उन्हें बहू विषयक दृष्टिकोण और ज्ञान की आवश्यकता के साथ-साथ अभ्यास भी करवाया जाएगा। इसके अलावा यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि शिक्षक शिक्षण प्रक्रियाओं के साथ-साथ भारतीय मूल्य, भाषा, ज्ञान, लोकाचार, परंपराओं आदि के प्रति भी जागरूक हों। वह संस्थान जो अध्यापक शिक्षा प्रदान करेंगे वे शिक्षण से संबंधित विषयों के साथ-साथ विशेष विषय में विशेषज्ञों की उपलब्धता भी सुनिश्चित करेंगे।
व्यवसायिक शिक्षा
हमारे देश में व्यवसायिक शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों की संख्या बहुत कम है। उनमें से 18-24 आयु वर्ग के लगभग 5% से भी कम छात्र औपचारिक व्यवसायिक शिक्षा प्राप्त करते हैं। जबकि अन्य देशों में यह संख्या 50% से 75% तक है। व्यवसायिक शिक्षा को भी नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के अंतर्गत बढ़ावा देने का प्रावधान है। जिससे कि बच्चों का संपूर्ण विकास हो सके। व्यवसायिक शिक्षा को हमारे देश में कम महत्व की शिक्षा माना जाता है। इस नीति के माध्यम से व्यवसायिक शिक्षा से जुड़ी सामाजिक धारणा को दूर करना है और अधिक से अधिक छात्रों तक व्यवसायिक शिक्षा का ज्ञान पहुंचाना है। इस योजना के माध्यम से वर्ष 2025 तक स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली के माध्यम से कम से कम 50% विद्यार्थियों को व्यवसायिक शिक्षा प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के तहत दी जाने वाली सुविधाएं
विद्यालयों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि मिड डे मील की गुणवत्ता ठीक हो। जिससे कि बच्चों को लंचबॉक्स ना लाना पड़े और विद्यालयों में पानी की सुविधा भी ठीक तरीके से उपलब्ध होनी चाहिए। जिससे कि बच्चों को वाटर बोतल ना लानी पड़े। इन सुविधाओं की वजह से स्कूल के बैग का साइज कम हो सकेगा।
विद्यालयों में क्लास का टाइम टेबल भी ऐसा बनाया जाएगा जिससे कि बच्चों के बैग का वजन कम हो। स्कूलों में लगाई गई सभी किताबों का वजन उनके ऊपर पब्लिशर्स के द्वारा प्रिंट करा जाएगा। स्कूलों द्वारा किताबों का चयन करते समय उनके वजन का भी ध्यान रखा जाएगा।
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के अंतर्गत बच्चों के होमवर्क पर भी ध्यान दिया गया है। इस योजना के अंतर्गत दूसरी कक्षा तक बच्चों को कोई भी होमवर्क नहीं दिया जाएगा। क्योंकि पहली और दूसरी कक्षा के छात्र बहुत छोटे होते हैं और उन्हें इतनी देर तक बैठने की आदत नहीं होती है। कक्षा तीसरी, चौथी तथा पांचवी के बच्चों को प्रत्येक हफ्ते में सिर्फ 2 घंटे का होमवर्क दिया जाएगा। कक्षा छठी से लेकर आठवीं के बच्चों को प्रतिदिन 1 घंटे का होमवर्क दिया जाएगा। और 9वी से 12वीं क्लास के बच्चों को प्रतिदिन 2 घंटे का होमवर्क दिया जाएगा। ’
नीलाभ कृष्ण