
नई दिल्ली: देश के जवानों को दुश्मन को गोलियों से बचाने के लिए अत्याधुनिक भाभा कवच तैयार है। इसका मुख्य मेटेरियल भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) ने तैयार किया था। जिसके बाद कानपुर की ऑर्डिनेंस इक्विपमेंट फैक्ट्री ने इसका सैन्य बलों के लिए इसका प्रोडक्शन शुरु कर दिया है।
भाभा कवच की खासियत
भाभा कवच पहनने के बाद गले से लेकर घुटने के ऊपर तक दुश्मन की कोई भी गोली हमारे जांबाजों के शरीर को नहीं भेद पाएगी। यह हमारे जवानों के लिए वरदान साबित होगा। इस जैकेट को एके-47 जैसे अत्याधुनिक बंदूकों की गोलियां भी भेद नहीं पाएंगी।
– भाभा कवच कई अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी से लैस है। यह एक साथ एके-47 की 18 गोलियां सहने में यह समर्थ है। इसी तरह 9mm पिस्टल से 10 मीटर की दूरी से चली गोली भी इस से टकराकर बेअसर हो जाएगी।
– भाभा कवच जवानों को यह गर्म और सर्द दोनों मौसम से भी बचाएगा। यह खास बुलेटप्रूफ जैकेट सामने ,पीछे और साइड से भी जवानों की रक्षा करेगा. इसके अलावा गर्दन और कंधे तक बचाव करेगा.
– यह जैकेट वजह में बेहद हल्का यानी मात्र 9.3 किलोग्राम है। जबकि पुराने जमाने के जैकेट बेहद भारी हुआ करते थे।
– भाभा कवच के पूरे किट में 2 पॉकेट मैगज़ीन रखने की हैं तो 2 ग्रेनेड पॉकेट भी बनी हुई हैं।
– इस जैकेट को धोया भी जा सकता है और इसका इस्तेमाल 5 साल तक किया जा सकता है।
शुरु हो चुकी है सप्लाई
भाभा कवच का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरु हो चुका है। असम पुलिस को इसकी पहली खेप सौंपी गई है। इसके अलावा बिहार पुलिस ने भी इस कवच का ऑर्डर दिया है।
भाभा कवच के अंदर की मूल बुलेटप्रूफ धातु को हैदराबाद में मिश्र धातु निगम लिमिटेड (मिधानी) ने तैयार किया है। यह बेहद हल्का और मजबूत है। जिसकी वजह से जवानों को इसे पहनने में कोई मुश्किल नहीं आएगी। इस मेटेरियल से बुलेट प्रूफ गाड़ियां भी तैयार की जा रही हैं।
इस खास मेटेरिलय को तैयार करने के लिए आवश्यक रिसर्च भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) में किया गया है। इसी वजह से इस खास बुलेट प्रूफ जैकेट को ‘भाभा कवच’ का नाम दिया गया है।
डॉ. होमी जहांगीर भाभा हमारे देश के बेहद महान वैज्ञानिक थे। जिनके नाम पर भाभा रिसर्च इंस्टीट्यूट का नाम रखा गया है।