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देश के सीमावर्ती गांवों में भी मिलेगा फास्ट इंटरनेट

देश के सीमावर्ती गांवों में भी मिलेगा फास्ट इंटरनेट

नई दिल्ली: आम तौर पर देश के सीमावर्ती इलाके के गांवों में सुरक्षा की दृष्टि के इंटरनेट सही नहीं आता है। जिसकी वजह से इन गांवों में बसे लोग परेशान रहते हैं। लेकिन अब सरकार ने उनकी समस्या का समाधान निकाल लिया है।

सीमावर्ती इलाकों में 4जी नेटवर्क

बुधवार यानी 27 जुलाई को केन्द्रीय कैबिनेट ने यह फैसला लिया है कि अब सीमावर्ती इलाके में 4जी नेटवर्क शुरु किया जाएगा। पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस विषय पर बातचीत करने के बाद फैसला लिया गया है।

इस बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मीडिया को बताया कि बैठक में प्रधानमंत्री ने आदेश दिया है कि जिन गांव में 2जी नेटवर्क है, वहां 4जी सर्विस मिलनी चाहिए। ये आदेश बॉर्डर एरिया के लिए भी दिया गया है। इसके लिए रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय और टेलीकम्युनिकेशन मंत्रालय मिलकर एक प्रपोजल तैयार करेंगे कि इसको किस तरह से क्रियान्वित किया जा सकता है।

चीन सीमा से सटे पूर्वी लद्दाख के गांवों में फास्ट इंटरनेट की मांग वहां के स्थानीय प्रतिनिधि लगातार कर रहे हैं। वो 2जी की जगह 4जी नेटवर्क की मांग कर रहे हैं।

बीएसएनएल के हवाले होगा प्रोजेक्ट

केन्द्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह भी जानकारी दी कि अभी भी देश में 25 हजार 24,680 गांव ऐसे हैं जहां कोई कनेक्टिविटी नहीं है। ऐसे में इन गांवों के लिए कैबिनेट ने 26316 करोड़ के पैकेज की घोषणा की है। ये प्रोजेक्ट बीएसएनएल के हवाले होगा, ये गांव देश के दूरदराज इलाकों और बॉर्डर एरिया में हैं।

अश्विनी वैष्णव ने ये भी बताया कि कैबिनेट मीटिंग में दो अहम फैसले भी लिए गए। पहला ये कि सरकारी टेलीकॉम कंपनी, बीएसएनएल भारत संचार निगम लिमिटेड के रिवाइवल के लिए सरकार ने 1.64 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की गई है। बीएसएनएल का बीबीएनएल यानी भारत ब्रॉडबैंड निगम के साथ मर्जर यानी विलय करने का फैसला भी लिया गया ताकि दोनों सर्विस प्रोवाइडर का करीब 14 लाख किलोमीटर लंबे ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क का अधिकतम उपयोग किया जा सके। इससे पीएम का हर घर में ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी का सपना पूरा होगा। पीएम ने पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से जो हर काम में सैचुरेशन लेवल लाने का वादा किया था वो भी पूरा होगा।

भारतीय सेना को भी जरुरत

चीन से लगी सीमा के उस पार ड्रैगन लगातार अपनी संचार प्रणाली को विकसित कर रहा है। उसका जवाब देने के लिए अब भारतीय सेना (Indian Army) भी 18 हजार फीट पर 4जी और 5जी नेटवर्क स्थापित करने में जुट रहा है। ताकि सुदूर पहाड़ी इलाकों से संदेश प्राप्त करने और देने में आसानी हो सके। चीन पहले ही लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के पास कई स्थानों पर 5G नेटवर्क स्थापित कर चुका है।

चीन ने ये काम साल 2020 में लद्दाख में भारतीय और चीनी सेना के बीच हुए संघर्ष के बाद किया था। सीमावर्ती इलाकों में इंटरनेट के लिए भारतीय सेना ने रिक्वेस्ट फॉर इन्फॉर्मेशन (RFI) जारी किया है। ताकि मोबाइल कम्यूनिकेशन कंपनियां वहां पर हाई स्पीड नेटवर्क वाला मोबाइल प्रणाली स्थापित कर सकें। RFI के मुताबिक बताए गए नेटवर्क का उपयोग भारतीय सेना के वो जवान करेंगे जो पहाड़ी, अर्ध-पहाड़ी या 18 हजार फीट की ऊंचाई पर तैनात है। इसलिए यह नेटवर्क ऐसा होना चाहिए जो बेहद भरोसेमंद और सुरक्षित हो। ताकि सिक्योर वॉयस मैसेज और डेटा सर्विस मिल सके। साथ ही ऑपरेशनल जरूरतों के मुताबिक संदेशों का आदान-प्रदान करने में मदद कर सके।

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