
राष्ट्र के लिए गौरवशाली वर्ष ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ 75 वर्ष की यह यात्रा सभी के लिए सुगम नहीं थी ना ही सभी के लिए कठिन। लेकिन फिर भी कुछ लोग अपनी सुगमता छोड़ दूसरों के दुर्गम मार्गों को अपनाते रहे…. स्वयं को सार्थकता प्रदान करते ऐसे मानुष वास्तव में समाज विश्व व सृष्टि के नायक कहलाने योग्य हैं। कितने लोग इन नायकों का अनुसरण करते स्वयं को अपग्रेड या उन्नत करने का विचार करते हैं। और तो और इन नायकों के कृत्यों पर कभी-कभी मद्दिम सी ताली भी नहीं सुनाई पड़ती…। वास्तव में देखा जाए तो समाज में एक शून्यता आई है… हम भलाई के विस्तार में ना तो सहयात्री बनना चाहते हैं और ना ही मुख्य ड्राइविंग सीट पर बैठकर औरों के लिए जतन करते हैं। समाज के सरोकारों में रूखापन सामाजिक दायित्वों के प्रति गैर संवेदनशीलता ने हमें अंर्तमुखी ही नहीं अपितु स्वजीवी बना दिया है। मैं और केवल मेरा कंसेप्ट समाज को लील रहा है…. लेकिन भोजन निंद्रा परिवार से परे एक बृहद दुनिया है… जिसमें बेहतर होने का बड़ा स्कोप है… और इस स्कोप के कैनवास पर थोड़ा सा मानवता का ब्रश चला तो बड़ी कलाकृति बन कर उभरेगी। यकीन ना हो तो पिछले कुछ वर्षों में पदम श्री व अन्य पुरस्कार पाने वाली विभूतियों में जिस प्रकार के लोग शामिल हैं… उन पर नजर डालिए वह मनुष्य और श्रेष्ठ मनुष्य होने के फर्क को परिभाषित करते हुए तमाम हाशिये और बाधाओं को लांघ नई इबारतें लिखते राष्ट्रपति भवन तक आन पहुंचे… वंदन है उन बिना चप्पल-जूते के नील पदमों का जिन्होंने महर्षि दधीचि की तरह खुद के हाड मांस समाज सेवा में समर्पित किए हैं अभिनंदन है।
कुछ और उदाहरण है मुंबई में ऑटो चालक दामलेजी अपनी ऑटो में पीने का पानी, फर्स्ट ऐड का समान… साफ-सुथरे पर्दे…. यानी ओरो से कुछ अलग दिव्यांग सवारी से पैसा ना लेने, वरिष्ठ नागरिकों को अपनी तरफ से कुछ विशेष छूट…। मुंबई में ही पहाड़ी खारगार इलाके के दुर्दशा के विरुद्ध पांच युवक मिलकर आवाज उठाते हैं, अवैध निर्माण गैर सामाजिक गतिविधियां अवैध कब्जे। चेतना जागी जोखिमों से जूझते कई संगठन साथ आन में खड़े होते हैं। प्रशासन भी सुनवाई करता है आज खारगार मुंबई के पर्यटन स्थलों में से है। मंगलौर बस अड्डे पर फल बेचते हजब्बा ने फल कारोबार के साथ शिक्षा के प्रसार का जिम्मा उठा लिया….. छोटा सा विद्यालय फिर ढेर से छात्र… वह ‘अक्षर संत’ के रूप में चेतना रथ सवार हो पदम श्री से सम्मानित होते हैं। दिल्ली में एक बड़े अखबार समूह की मालिक अपनी संवेदनशीलता के चलते लगभग 3000 वरिष्ठ नागरिकों के राशन पानी एवं जरूरत के सामान सहित उनके मासिक जेब खर्च की व्यवस्था करती है। यह व्यवस्था कभी-कभी जेब से भी करनी पड़ती है लेकिन उसमें भी दिल का योगदान सर्वाधिक है। फिर सहायता सामग्री वितरण के समय बेहतरीन बुफे लगाकर समाज के उपेक्षित लोगों के साथ बैठकर भोजन करना…। यह सब दिल का तो ही सौदा है।
महाराष्ट्र में एक सज्जन बेटे की सडक़ दुर्घटना में मृत्यु के बाद गड्ढे भरने का कार्य करते हैं…. जो काम म्युनसीपलटी और लोक निर्माण विभाग का है एक सिंगल व्यक्ति विभाग द्वारा किया जा रहा है। दिल्ली का मेडिसिन बाबा बिना किसी सरकारी सहायता के गली-गली घूम घरों से प्रयोग में ना आने वाली दवाई मांगते हैं फिर उनका वर्गीकरण ठीक गलत उपयुक्त प्रयुक्त की छांट फिर जरूरतमंदों तक पहुंचाने का ऋषि कार्य…. दिल्ली आई.टी.ओ. के पास चाय बेचते-बेचते पढऩे लिखने की लत लगी तो चाय वाला दर्जनों किताबों का लेखक बन जाता है। आजादपुर मंडी में पांच उत्साही युवकों ने भूख की वेदना को दृष्टि से नहीं दृष्टिकोण से देखा। संवेदना से परिपूर्ण दृष्टिकोण। हमारे प्रयास से कुछ भूखे और जरूरतमंदों को सम्मान सहित भोजन मिले। बस रोटी बैंक की स्थापना…सात साल के लंबे सफर में बिना सरकारी अनुदान और बिना चंदे के 21 लाख लोगों को भोजन उपलब्ध करवाते रोटी बैंक के सिपाही आज भी कैमरे से दूर अपने अन्नपूर्णा रूप का निर्वहन कर रहे हैं।
कुछ दिन पूर्व प्रमा ज्योति फाउंडेशन के संस्थापक रवि शर्मा से नजदीकियां हुई। आई.आई.टी. से शिक्षित और लंबे कॉरपोरेट कैरियर के बाद अचानक रवि शर्मा को देश भर में कार्यरत सज्जन शक्तियों को एकसूत्र करने की सूझ आई। बस नौकरी छोड़ समाज सेवा में जुटे अनेक लोगों को एक सूत्र में बांधने का महती कार्य अंजाम दे डाला। सामाजिक नायकों को चेतना हीरोज के रूप में सम्मानित करना उनके कार्यों को उल्लेखित करते वीडियो बनाना… फिर चेतना हीरो की एक पुस्तक प्रकाशित कर समाज के सम्मुख प्रस्तुत करना। गत 22 मई को इस बुक का लोकार्पण जम्मू-कश्मीर के महामहिम उपराज्यपाल महोदय ने दिल्ली में एक सादे समारोह में किया। इस समारोह में प्रतिष्ठित वक्ताओं के उद्बोधन में समाज के प्रश्नों और हल को समर्पित नायकों के प्रति जो सम्मान था… सभागार में उपस्थित लोगों की आंखों को नम कर गया। रवि शर्मा इसके लिए कोई फीस नहीं लेते….ब्रांडिंग भी नहीं करते बस जीवन उद्देश्य निश्चित है। भलाई का विस्तार ‘स्प्रेडिंग गुडनेस’ नायकों को उनके ईश्वरीय कार्यों के लिए सम्मानित करते रवि शर्मा और उनकी संस्था के लिए समाज कृतज्ञ भाव रखे …. यह तो बनता ही है। क्योंकि कोविड की विनाशलीला के दौरान इन 70 से अधिक चेतना नायकों ने देश के 11 राज्यों में अपने कार्यों से 1 करोड़ से ज्यादा लोगों के जीवन की जरूरतों को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित किया है।
चेतना नायकों में हिमाचल के पोंटा साहब, क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण में कार्यरत पियूषा अब्बी, दिल्ली में कैंसर से जूझकर अंचल शर्मा वर्तमान में कैंसर मरीजों के लिए जूझती है और मील्स ऑफ हैप्पीनेस का संचालन करती है। मूक जीवों पर कार्य करती हैदराबाद की एन. प्रवालिका, दिल्ली में भूखे और जरूरतमंदों के रोटी बैंक डाकिए…. अक्षरधाम पुल के नीचे स्कूल चलाते नायक, देश की पीडि़त निर्भायाओ के अधिकारों को लड़ती योद्धा, योगिता भ्याना। समाज में चेंजमेकर्स को दिशा देते अमित टुटेजा, कलकत्ता की अन्नया चयचुरिया, नोएडा में मूक जीवो की सेवा करती अनुराधा मिश्रा, स्वावलंबन और जागरूकता की ज्योति पुंज मंदसौर की अनुरेखा जैन, मुंबई के सी टांक संस्थापक आशीष अम्बस्थ, मुंबई के रक्त प्लेटलेट मानव मेहुल दोषी, दिल्ली के दिव्य मनोचा, बिहार की मेरी एडमिन, पर्यावरणविद मीता वाधवा, गाजियाबाद की सेवानिवृत्त डॉक्टर वंदना गोयल, बाल विकास पुरोधा सिमरनप्रीत कौर, दिल्ली के हरिओम साहू, वृक्षशाला टीम की जैस्मिन भाटिया, मुंबई अग्निकांड में देवदूत गार्ड महेश साबले, शिक्षाविद मेघा आहूजा, दिव्यांग लेकिन समर्थ कानूनविद मिलन मित्तल, कश्मीर की नाजिया हुरा, नीरज बाल्मीकि, रंजू मिन्हास, आर के शर्मा, रूपाली गायकवाड,शैल माथुर,सोनिया कपिल, हरियाली देवदूत, सुशील कुमार, खिलाडी तरुणों के मसीहा तरुण बलेचा,जननी कृष्णमूर्ति…। यह सब निस्वार्थ भाव से समाज को सशक्त करने का कार्य कर रहे हैं। चेतना टीम ने इन्हें सम्मानित कर स्वयं को गौरवान्वित किया ऐसा रवि शर्मा और उनकी सहयोगी टीम का मानना है। चेतना टीम ऐसे नायकों को निरंतर मार्गदर्शन सहयोग और उनके कार्य को सुदृढ़ीकरण प्रदान करने का कार्य कर रही है।
देश के हर नगर, हर कस्बे, हर गांव में ऐसे खामोश नेक देवदूत कार्य कर रहे हैं… कोरोना काल में जब सरकारी अमला, स्वयंसेवी संस्थाएं सब कुछ नहीं कर पा रही थी तो इन सब देवदूतो ने मिलकर कुछ-कुछ करते हुए अपनी भूमिका का बेहतरीन मंचन किया। इन्हें किसी ने आमंत्रित नहीं किया था… इनके काम के लिए ना ही किसी पुरस्कार और सम्मान की लालसा थी…. बस दायित्व बोध है। यह तो अपने साधु कार्यों पर कभी-कभी बजती ताली के स्वरों को भी ठीक से नहीं समझ पाते हैं…. इन सब को दान, चंदे, विदेशी फंडिंग की दरकार भी नहीं बस सामाजिक यज्ञ में इनकी आहूत का प्रवाह अविरल रहे…। रोज सैकड़ों सामाजिक बुनियादी समस्याओं से जूझते देश में यह लोग कितना योगदान कर पाएंगे इसकी गणना सोचने का समय भी शायद यह निकाल पाए…..यात्रा लंबी है शेष है। समाज का काम करते-करते यह लोग कितने सफल हो पायें इस प्रशन का उत्तर शायद ही किसी के पास हो परन्तु निश्चित रूप से यह लोग महानता के पथ पर अग्रसर है और इनके द्वारा भलाई का विस्तार इनके मार्ग को प्रशस्त भी कर रहा है। लोगों के जीवन को प्रभावित करते हुए उनके जीवन में अनुभूत परिवर्तन आया है…कठिन मार्गों की यात्रा से प्रतिदिन जूझते लेकिन जीवन में आनंद और आत्मविश्वास का प्रतिशत अनुपात एकाएक बढ़ गया है। यही तो परमानुभुती है। मिलकर कदम बढ़ाने होंगे… 130 करोड़ कदम मिलकर बढ़ेंगे तो एक बार में यात्रा का एक हिस्सा पूर्ण होगा। यह प्रेरणा कथन भारत के यशस्वी और चक्रवर्ती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हैं… जो सुशासन की नई इबारते लिखते सामाजिक ताने-बाने को मजबूती प्रदान कर रहे हैं… योग्यता और अनुशंसा के बीच की खाई को खत्म करते नए भारत की तस्वीर बदल रही है।
बदलते भारत और आजादी के अमृत महोत्सव में कुछ संकल्प हर नागरिक करें देश के लिए लेने होंगे…. हम अपने सामाजिक दायित्वों को अपनी रूचि अपने समर्थ और क्षमता के साथ राष्ट्र को आहूत करेंगे……..। केवल समाज में अच्छे लोगों के लिए 2द्गद्यद्यस्रशठ्ठद्ग कहने से कुछ नहीं होगा….हमें 2द्गद्यद्यस्रशठ्ठद्ग का हिस्सा बनना होगा।
हमारे सामूहिक प्रयास से हमारा लोकतंत्र विश्व में सच्चे लोकतंत्र के रूप में प्रतिष्ठित हो… जनभागीदारी, जन संकल्प, जन समर्पण इसके सार सत्व बने। छोटी-छोटी समिधायो से यज्ञ आहुति हो, श्रेष्ठ कार्य, श्रेष्ठ उपलब्धियों की भारत सुगंध से समस्त विश्व में सुभाषित रहे…। अमृत महोत्सव में देश की यह सबसे बड़ी सेवा है। भलाई का कार्य विस्तार और प्रसार मुक्त भाव से करते चले… रामराज्य… श्रेष्ठ राष्ट्र और विश्व गुरु…‘भारत’ यही तो हमारी खुली आंखों के सपने हैं।’
राजकुमार भाटिया