
पटना: रेलवे में हुए भर्ती घोटाले के मामले में केन्द्रीय जांच एजेन्सी सीबीआई ने बिहार की राजधानी पटना सहित कई जगहों पर छापेमारी की है। इस मामले में पूर्व रेल मंत्री लालू यादव के पत्नी और बेटियों समेत बिहार में सत्ता संभाल रहे राष्ट्रीय जनता दल के कई नेता फंसे हुए हैं।
तेजस्वी के मामा सुनील सिंह फंसे
लालू यादव की पत्नी और बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की मां राबड़ी देवी के मुंहबोले भाई सुनील सिंह के घर सीबीआई का छापा पड़ा है। पटना में सीबीआई ने रेलवे में नौकरी घोटाले को लेकर रेड डाली है। खबर है कि है कि बिहार और झारखंड के अलावा दिल्ली-एनसीआर और तमिलनाडु में भी 17 जगहों पर एक साथ छापेमारी हुई है।
डॉ. सुनील सिंह लालू प्रसाद यादव परिवार के बेहद करीब हैं। राबड़ी देवी हर साल उन्हें रक्षाबंधन पर राखी बांधती हैं। उनको राजद सुप्रीमो लालू यादव का बेहद करीबी पारिवारिक मित्र माना जाता है। सुनील सिंह सहकारी समिति से भी जुड़े हुए हैं। वे इस समय राजद में कोषाध्यक्ष हैं। सुनील सिंह साल 2003 से बिहार स्टेट मार्केटिंग यूनियन लिमिटेड (बिस्कोमान) के अध्यक्ष के पद काबिज हैं। सुनील कुमार सिंह जून 2020 में आरजेडी के एमएलसी चुने गए थे।
लालू यादव के करीबियों पर सख्ती
रेलवे भर्ती घोटाला के मामले में सीबीआई के छापे राजद सांसद अशफाक करीम, राज्यसभा सांसद फैयाज अहमद, राजद एमएलसी सुनील सिंह, पूर्व एमएलसी सुबोध राय के आवास पर डाले iS हैं। CBI की टीमों ने बिहार में राजद के 4 नेताओं के घर रेड डाली। यह रेड रेलवे में नौकरी के बदले जमीन घोटाले से जुड़ी है।
डॉ. फ़ैयाज़ अहमद: ये बिस्फी से राजद के भूतपूर्व विधायक और वर्तमान में राजद कोटे से राज्यसभा सांसद हैं।
अशफाक करीम: ये भी राज्य सभा सांसद हैं। इनके यहां पहले भी छापेमारी हो चुकी है। तब इनके यहां से अकूत पैसा मिला था।
सुबोध राय: पूर्व MLC सुबोध राय भी आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के बेहद करीबी माने जाते हैं।
सुनील सिंह: राजद के कोषाध्यक्ष और एमएलसी हैं। साथ ही लालू परिवार के बेहद करीबी हैं।
क्या है रेलवे भर्ती घोटाला
लालू यादव साल 2004 से 2009) तक रेल मंत्री रहे। उस दौरान रेलवे में ये नियम था कि चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की बहाली रेलवे महाप्रबंधक अपने स्तर पर कर सकते थे। जिसमें पोर्टर से लेकर कई तरह की नौकरियां आती थीं।
रेलवे में कुल 16 जीएम होते हैं। ऐस में आरोप है कि लालू यादव और उनकी ‘टीम’ ने इस व्यवस्था का फायदा उठाया। पटना सहित बिहार के अलग-अलग जिलों में चतुर्थ श्रेणी की नौकरी के बदले लोगों से जमीनें लिखवाई गई।
उस दौरान रेलमंत्री लालू यादव के ओएसडी भोला यादव थे। आरोप है कि भोला यादव ने ही सबकुछ मैनेज किया। अलग-अलग लोगों के नामों पर जमीनें लिखवाई गई। उसका हिसाब-किताब भी भोला यादव ने ही रखा। बाद में जमीनों को लालू परिवार के नाम पर ट्रांसफर कराने की जिम्मेदारी भी भोला यादव ही अपने स्तर से देख रहे थे।
रेलवे में जीएम की दस्तखत से दर्जनों लोगों की नौकरियां लालू यादव ने जमीन के बदले लगवाई, इसी की पड़ताल सीबीआई कर रही है। अब इस केस में पहली गिरफ्तारी भोला यादव की हुई है। मामले में लालू यादव के अलावा उनकी पत्नी राबड़ी देवी और दोनों बेटियां मीसा और हेमा यादव आरोपी हैं।
आरोप लगा रही है घोटालेबाज पार्टी
रेलवे भर्ती घोटाले में पुख्ता सबूतों के आधार पर कार्रवाई की जा रही है। इस मामले में रिश्वत के रुप में जमीनें ली गईं। जिन्हें छिपाया नहीं जा सकता है। लेकिन राष्ट्रीय जनता दल के नेता जोर शोर से झूठ बोलते हुए इस घोटाले को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं।
जांच एसेंजियों की छापेमारी को लेकर राजद सांसद मनोज झा ने भाजपा पर निशाना साधा है। झा का कहना है कि आज बिहार विधानसभा में फ्लोर टेस्ट है और भाजपा ने डराने के लिए आज का दिन चुना है। आप राजनीतिक रूप से लड़ाई नहीं लड़ सकते हैं। आप इन्हें ईडी, सीबीआई की नहीं आप इन्हें भाजपा की रेड कहिए। ये संगठन भाजपा के लिए काम करते हैं।
मनोज झा ने आगे कहा कि कल ही हमारे उप मुख्यमंत्री ने यह कहा था ये लोग इस स्तर पर जाएंगे। एक दिन वो भी आएगा जब आप नहीं होंगे और आप भी इसी जद में आएंगे। दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र और फिर बिहार आपके पास स्क्रिप्ट वही है। हम बिहारी है टिकाऊ हैं…बिकाऊ नहीं है।