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ओह, ये ‘आप’!

ओह, ये ‘आप’!

 

 

 

 

दीपक कुमार रथ
(editor@udayindia.in)

दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर सीबीआई के छापों से आम आदमी पार्टी का असली चेहरा सामने आ गया है। वह पार्टी, जो कि देश से भ्रष्टाचार को खत्म करने के वादे और दिल्ली में अच्छी प्रशासनिक व्यवस्था देने के वादे के साथ सत्ता में आई थी। यही वजह है कि दिल्ली की जनता ने उसे अभूतपूर्व समर्थन दिया। आम आदमी के समर्थन के बलबूते सत्ता पाए अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया अब दूसरे राज्यों में आप की सरकार स्थापित करने में व्यस्त हैं। लेकिन इस बीच वह दिल्ली की जनता का हित भूल गए हैं, जो कि दिल्ली की नई आबकारी नीति 2021-22 में साफ दिखाई देता है। यह कोई आश्चर्य नहीं है कि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री से लेकर शिक्षा मंत्री तक भ्रष्टाचार के आरोपों में पकड़े जा रहे हैं। जब सत्येन्द्र जैन सलाखों के पीछे हैं, तब केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने दिल्ली के शिक्षा मंत्री पर छापे डाले। जिस तरह से दिल्ली सरकार के मंत्री भ्रष्टाचार की गिरफ्त में आते जा रहे हैं, उनका ईमानदारी का मुखौटा उतरता जा रहा है। आम आदमी पार्टी की मुसीबत केजरीवाल की अति-महत्वकांक्षा और भाजपा को चुनौती देने की इच्छा की वजह से पैदा हुई है। उत्तर प्रदेश और गोवा में आम आदमी पार्टी की विफलता इसी का नतीजा है। यह कहना गलत होगा कि यह मुसीबत खुद पैदा हुई है। क्योंकि जीत या हार रणनीति की सफलता पर निर्भर करती है। यह एक तरह का राजनीतिक छापामार युद्ध है, जिसमें भारी नुकसान होने का खतरा हमेशा होता है।

सीबीआई जांच के डर से केजरीवाल और सिसोदिया अपने ऊपर पड़ रहे छापों को शिक्षा के क्षेत्र में अपने कामों से जोडऩे की कोशिश कर रहे हैं। यही वजह है कि वह सीबीआई के सही कदमों को भी सवालों के घेरे में खड़ा कर रहे हैं। इस पृष्ठभूमि में यह उल्लेखनीय है कि 17 नवंबर 2021 से लागू दिल्ली की नई आबकारी नीति 2021-2022 के तहत 32 संभागों में विभाजित दिल्ली शहर में 849 ठेकों के लिए बोली लगाने वाली निजी संस्थाओं को खुदरा लाइसेंस दिए। बहुत सी शराब की दुकानें खुली ही नही। जिसमें से कई दुकानों पर नगर निगम ने सील लगा दिया। तब भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने नई आबकारी नीति का विरोध किया और इसकी जांच के लिए उप-राज्यपाल को पत्र लिखकर जांच का अनुरोध किया। हालांकि जिन गंभीर आरोपों के आधार पर सीबीआई के छापे डाले गए, उन्हें दरकिनार करके पूरे विपक्ष ने भाजपा शासित केन्द्र सरकार पर राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगाया। लेकिन इस बात से सभी सहमत है कि यह छापे अनायास नहीं थे और जो भी दिल्ली की नई आबकारी नीति से वाकिफ थे, वह ये जानते थे कि दाल में कुछ काला है। वास्तविकता तो ये है कि लोकलुभावन नीतियों ने आम आदमी पार्टी सरकार के आधार को गंभीर क्षति पहुंचाई है। आम आदमी पार्टी के कथित जमीनी कॉरपोरेट कल्चर ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है। इस नजरिए से प्रधानमंत्री के लाल किले से दिए गए भाषण में केन्द्र सरकार द्वारा भ्रष्टाचार को खत्म करने का संकल्प बेहद प्रासंगिक है। क्योंकि केन्द्र सरकार भ्रष्टाचार के मामलों में ढील देने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं है, चाहे उस पर कितने भी राजनीतिक आरोप चस्पां किए जाएं।

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