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आरोपी नंबर 1

आरोपी नंबर 1

एक्साइज पॉलिसी को लेकर दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की मुश्किलें अब बढ़ती ही नजर आ रही है। मनीष सिसोदिया के घर सीबीआई की टीम पहुंच गई, उनके घर के अलावा दिल्ली-एनसीआर में 20 और जगहों पर सीबीआई की टीम तलाशी ले चुकी है। गौरतलब है एक्साइज पॉलिसी में गड़बड़ी को लेकर उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने जांच की सिफारिश की थी।  सीबीआई की छापेमारी पर मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा कि वो जांच में पूरा सहयोग देंगे ताकि सच जल्द सामने आ सके।  उन्होंने कहा कि अभी तक मुझ पर कई केस किए गए, लेकिन कुछ नहीं निकला और इसमें भी कुछ नहीं निकलेगा।

मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश एलजी वीके सक्सेना ने मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर की थी।  मनीष सिसोदिया पर नई एक्साइज ड्यूटी में गड़बड़ी करने का आरोप है। एक्साइज डिपार्टमेंट का प्रभार मनीष सिसोदिया के पास ही है। सीबीआई ने 14 घंटे की छापेमारी के बाद मनीष सिसोदिया का मोबाइल फोन और कंप्यूटर जब्त कर लिया। इसके अतिरिक्त कुछ फाइलों को भी जांच अधिकारियों ने अपने कब्जे में ले लिया है। सीबीआई की छापेमारी के बाद मनीष सिसोदिया ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में बताया कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सुबह सीबीआई की टीम पहुंची और पूरे घर की तलाशी ली। मेरे परिवार और मैंने उन्हें पूरा सहयोग दिया। उन्होंने मेरा कंप्यूटर और मोबाइल फोन जब्त कर लिया। वे कुछ फाइल भी ले गए हैं।

सीबीआई ने आबकारी नीति 2021-22 को तैयार करने और इसके क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार पर अपनी एफआईआर में दावा किया कि मनीष सिसोदिया के एक सहयोगी द्वारा संचालित कंपनी को एक शराब कारोबारी ने कथित तौर पर एक करोड़ रुपए का भुगतान किया। सीबीआई ने मनीष सिसोदिया समेत 15 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इस एफआईआर में आबकारी अधिकारियों, शराब कंपनी के अधिकारियों, डीलरों के साथ-साथ अज्ञात लोक सेवकों और निजी व्यक्तियों के नाम दर्ज हैं। जिसमें मनीष सिसोदिया के अलावा तत्कालीन आबकारी आयुक्त आरव गोपी कृष्ण, तत्कालीन उप आबकारी आयुक्त आनंद कुमार तिवारी, सहायक आबकारी आयुक्त पंकज भटनागर, नौ व्यवसायी और दो कंपनियां शामिल हैं। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने अब वापस ले ली गई दिल्ली शराब नीति में कथित अनियमितताओं के संबंध में दर्ज की गई एफआईआर में 15 आरोपियों में से उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आरोपी नंबर 1 के रूप में नामित किया है।

क्या कहती है सीबीआई

द वायर हिंदी डॉट कॉम की मुताबिक ‘दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के एक सहयोगी द्वारा संचालित कंपनी को एक शराब कारोबारी ने कथित तौर पर एक करोड़ रुपये का भुगतान किया। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आबकारी नीति 2021-22 को तैयार करने और इसके क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार पर अपनी एफआईआर में यह दावा किया है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के माध्यम से उपराज्यपाल वीके सक्सेना के कार्यालय को भेजे गए एक संदर्भ पर एफआईआर दर्ज की गई। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि सिसोदिया और अन्य आरोपी लोक सेवकों ने ‘निविदा के बाद लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ देने के इरादे से’ सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना उत्पाद नीति 2021-22 से संबंधित सिफारिश की और निर्णय लिया।

सीबीआई ने कहा कि मनोरंजन और इवेंट मैनेजमेंट कंपनी ‘ओनली मच लाउडर’ के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विजय नायर, पर्नोड रिकार्ड के पूर्व कर्मचारी मनोज राय, ब्रिंडको स्पिरिट्स के मालिक अमनदीप ढल तथा इंडोस्पिरिट्स के मालिक समीर महेंद्रू सक्रिय रूप से नवंबर 2021 में लाई गई आबकारी नीति का निर्धारण और क्रियान्वयन में अनियमितताओं में शामिल थे।

एजेंसी ने आरोप लगाया कि गुडग़ांव में ‘बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड’ के निदेशक अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे, सिसोदिया के ‘करीबी सहयोगी’ हैं और आरोपी लोक सेवकों के लिए ‘शराब लाइसेंसधारियों से एकत्र किए गए अनुचित आर्थिक लाभ के प्रबंधन और स्थानांतरण करने में सक्रिय रूप से शामिल थे।’

सीबीआई ने आरोप लगाया है कि दिनेश अरोड़ा द्वारा प्रबंधित राधा इंडस्ट्रीज को इंडोस्पिरिट्स के समीर महेंद्रू से एक करोड़ रुपये मिले।

सीबीआई ने दावा किया, ‘सूत्र ने आगे खुलासा किया कि अरुण रामचंद्र पिल्लई, विजय नायर के माध्यम से समीर महेंद्रू से आरोपी लोक सेवकों को आगे स्थानांतरित करने के लिए अनुचित धन एकत्र करता था। अर्जुन पांडे नाम के एक व्यक्ति ने विजय नायर की ओर से समीर महेंद्रू से लगभग 2-4 करोड़ रुपये की बड़ी नकद राशि एकत्र की।’

एजेंसी का आरोप है कि सनी मारवाह की ‘महादेव लिकर’ को योजना के तहत एल-1 लाइसेंस दिया गया था। यह भी आरोप लगाया कि दिवंगत शराब कारोबारी पोंटी चड्ढा की कंपनियों के बोर्ड में शामिल मारवाह आरोपी लोक सेवकों के निकट संपर्क में थे और उन्हें नियमित रूप से रिश्वत देता थे।

सीबीआई के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, ‘यह आरोप लगाया गया था कि आबकारी नीति में संशोधन, लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ देने, लाइसेंस शुल्क में छूट/कमी, बिना मंजूरी के एल-1 लाइसेंस के विस्तार में अनियमितताएं की गईं।’

उन्होंने कहा कि यह भी आरोप लगाया गया था कि इन कृत्यों से अवैध लाभ को निजी पक्षों द्वारा संबंधित लोक सेवकों को उनके एकाउंट बुक में गलत प्रविष्टियां देकर बदल दिया गया था।

सीबीआई के प्रवक्ता ने कहा कि शुक्रवार (19 अगस्त को) को दिल्ली, गुडग़ांव, चंडीगढ़, मुंबई, हैदराबाद, लखनऊ और बेंगलुरु सहित 31 स्थानों पर तलाशी ली गई, जिससे अब तक आपत्तिजनक दस्तावेज, विभिन्न कागजात, डिजिटल रिकॉर्ड आदि बरामद हुए हैं।’

लोगों को पता होना चाहिए  कि दिल्ली की  नई एक्साइज पालिसी 2021-2022, 17 नवंबर 2021 से लागू की गई थी, जिसके तहत 32 मंडलों में विभाजित शहर में 849 ठेकों के लिए बोली लगाने वाली निजी संस्थाओं को खुदरा लाइसेंस दिए गए।  कई शराब की दुकानें खुल नहीं पाईं। ऐसे कई ठेके नगर निगम ने सील कर दिए। तब भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने इस नीति का पुरजोर विरोध किया था और इसकी जांच के लिए उपराज्यपाल के साथ केंद्रीय एजेंसियों में शिकायत दर्ज कराई थी।

आरोप है कि मनीष सिसोदिया ने कथित तौर पर कोविड-19 महामारी के बहाने निविदा लाइसेंस शुल्क पर शराब कारोबारियों को 144.36 करोड़ रुपये की छूट की अनुमति दी है। यह भी आरोप लगाया गया है कि आम आदमी पार्टी ने पंजाब चुनाव के दौरान इस पैसे का इस्तेमाल किया होगा।

बहरहाल उपराज्यपाल द्वारा आबकारी नीति में अनियमितताओं की सीबीआई जांच की सिफारिश के बाद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने 30 जुलाई 2022 को जानकारी दी थी कि दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति को फिलहाल वापस लेने का फैसला किया है और सरकार द्वारा संचालित दुकानों के जरिये शराब की बिक्री किए जाने का निर्देश दिया है।

अब जब दिल्ली की राजनीति भी शराब के नशे की तरह झूमती नजर आ  रही है , और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है तो जाहिर है की आरोप-प्रत्यारोपों के दौर चलेंगे।  मनीष सिसोदिया ने तो शुरुआत्त भाजपा पर ‘आप’ पार्टी तोड़ भाजपा में शामिल होने के हास्यास्पद ऑफर के बारे में कह कर ही दिया है, उधर कांग्रेस ने उपमुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग कर डाली है। गुजरात में ‘आप’ की एंट्री ने सत्ता समीकरणों में कुछ संशय के बीज तो बो ही दिए हैं, ऊपर से सीबीआई की कार्यवाही ने भाजपा के गढ़ में सेंध लगने की अफवाहों को और गर्म ही किया है। अब सीबीआई के राजनितिक इस्तेमाल के आरोपों के बीच दिल्ली की जनता की शराब की मुश्किलें भी हल होती दिख नहीं रही। इसलिए यह एक्साइज पालिसी का ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है, फिलहाल इंतजार का मजा लेने के अलावा कुछ कहना बेमानी ही होगी।

नीलाभ कृष्ण

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