
नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इन दिनों मंगोलिया के दौरे पर हैं। जो कि चीन का पड़ोसी देश है। राजनाथ सिंह के मंगोलिया दौरे पर चीन की पैनी नजर है। क्योंकि चीन अपने किसी भी पड़ोसी देश की भारत के साथ नजदीकी से आशंकित रहता है।
राजनाथ सिंह की कोशिशों से भारत के नजदीक आया मंगोलिया
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की कोशिशों की वजह से भारत और मंगोलिया बेहद नजदीक आ गए हैं। यह नजदीकी चीन को चुभ रही है। 6 सितंबर को मंगोलिया की राजधानी उलान बतोर पहुंचे राजनाथ सिंह ने यहां पर मंगोलियन राष्ट्रपति उखनागीं खुरेलसुखो से मुलाकात की। मंगोलियन राष्ट्रपति ने राजनाथ सिंह के सम्मान में एक डिनर का आयोजन भी किया।
तेल पर हुई चर्चा
राजनाथ सिंह के इस दौरे के तहत बातचीत का मुख्य एजेंडा 1.2 अरब डॉलर से बनने वाली आयल रिफाइनरी से संबंधित रहा। यह मंगोलिया की सबसे बड़ी ऑयल रिफाइनरी होगी जो डोर्नोगोबि प्रांत में तैयार होगी। जो कि भारत के सहयोग से साल 2025 में यह बनकर तैयार हो जाएगी और इससे देश की 75 फीसदी उर्जा जरूरतें पूरी हो सकेंगी। लेकिन चीन इस प्रोजेक्ट में भारत की हिस्सेदारी से चिंतित है। उसे परेशानी इस बात की है कि आखिर भारत और मंगोलिया के रिश्ते क्यों मजबूत हो रहे हैं। साल 2016 में भारत से नजदीकी बढ़ाने पर चीन ने मंगोलिया को चेतावनी तक दे दी थी।
मंगोलिया का दौरा करने वाले पहले रक्षा मंत्री
राजनाथ सिंह भारत के पहले ऐसे रक्षा मंत्री हैं जो मंगोलिया की यात्रा पर गए हैं। मंगोलिया ने हमेशा से ही भारत को अपना ‘तीसरा’ और ‘आध्यात्मिक पड़ोसी’ कहता आया है। क्योंकि मंगोलिया एक बौद्ध देश है और भारत बौद्ध धर्म का जनक है। भारत पूर्वी ब्लॉक के बाहर दुनिया का पहला देश था जिसने मंगोलिया के साथ राजनयिक रिश्ते कायम किए थे। दिसंबर 1955 में भारत ने मंगोलिया के साथ राजनयिक रिश्तों की शुरुआत की थी। उसके बाद से दोनों देशों के बाद आपसी मित्रता और सहयोग को लेकर साल 1973, 1994, 2001 और 2004 में कई अहम संधियां हुईं।
मंगोलिया के भारत के साथ आने पर चीन इसलिए आशंकित है। क्योंकि चीन और मंगोलिया के बीच लंबी सीमा लगी हुई है। ऐसे में अगर चीन भारत पर आक्रमण करता है तो मंगोलिया उसके लिए मुश्किल पैदा कर सकता है।