
हालहि में झारखंड के दमोह में हुई एक घटना ने इस्लामिक आतंकवाद का जिहादी रूप लव जिहाद अर्थात धार्मिक जिहाद देखने को मिला जहां शाहरूख नाम के मुस्लिम व्यक्ति ने पहले तो एक हिन्दू लड़की को प्रताडि़त किया लेकिन वह हिन्दू लड़की उससे नही डरी वह अपने धर्म और संस्कृति को लेकर अडिग थी उसे मुस्लिम जिहादियों की मानसिकता का भान था लेकिन वह जिहादी मुस्लिम लड़का जो जिहादी मानसिकता लेकर चल रहा उसने उस हिन्दू लड़की पर पेट्रोल डाल कर आग लगा दी जो अपने आप में भयावह है। हिंसा का इतना कू्ररतम रूप देख कर रूह ही कांप जाती है। आज सवाल यही उठता है कि एक सभ्य समाज में ऐसी घटना को कब तक बर्दाश किया जाता रहेगा?
आखिर कब तक देश में हिन्दुओं के साथ ऐसी घटनाए होती रहेगी ?
आखिर कब तक लव-जिहाद के नाम पर हिन्दू लड़कियों की बलि यूही दी जाती रहेगी ?
देश का हिन्दू कब तक यूही मौन रहेगा ?
बहरहाल अब कोई छदम बुद्धिजीवी नहीं आएगा ऐसी घटनाओं के लिए आगे और तो और अब कोई अपना अवॉर्ड वापस नहीं करेगा ! कभी -कभी तो ऐसे छंदम बुद्धिजीवियों पर मुझे बड़ा गुस्सा आता है, क्युकी वह हर घटना को सिर्फ मुस्लिम नजरिये से देखने की कोशिश करते है!
(लव जिहाद: सिर्फ दों शब्दों का मेल नही है बल्कि अपने अदंर हैवानियत के क्रूर रूप कों समाए हुए है।)
लव जिहाद मसलन जब एक मुस्लिम पुरूष अपनी व्यक्तिगत पहचान छुपा कर किसी हिन्दू लड़की को अपने झूठे प्रेम प्रसंग में फसा कर शादी कर लेता है। तो ऐसी घटना को ही लव जिहाद कहते है ! अमूनन ऐसी स्थिति में मुस्लिम पुरूष द्वारा अपनी व्यक्तिगत पहचान छुपाई जाती है अर्थात् वह अपने वास्तविक नाम युसूफ खान की जगह राहुल कुमार बता कर हिन्दू लड़की को अपने प्रेम के जाल में फसा लेता है। और उससे शादी कर लेता है कितुं जब उस हिन्दू लड़की को उस व्यक्ति (मुस्लिम पुरुष) की सच्चाई पता चलती है तब तक बहुत देर हो जाती है। और हिन्दू लड़की लव-जिहाद के चक्कर में फंस जाती है।
मुस्लिम लड़को से शादी के बाद हिन्दू लड़की के नाम को परिवर्तित कर मुस्लिम कर दिया जाता। मसलन सिर्फ उसका धर्म ही नही बदलता बल्कि उसकी व्यक्तिगत पहचान ही समाप्त हो जाती है। हिन्दू लड़की लव जिहाद के जाल में फंस कर सिर्फ मुस्लिम बच्चों को पैदा करने वाली मशीन बन कर रह जाती है।
लव जिहाद का सिर्फ यही एक रूप नही है। बल्कि इसके अन्य रूप तों इससे भी ज्यादा डरावने और भयावह है। मसलन जों मुस्लिम पुरूष बहला फुसला कर हिन्दू लड़की से शादी कर उसका धर्म परिवर्तन कर उसे मुस्लिम बना देता है, इस्लाम के धर्मावलम्बियों द्वारा उस मुस्लिम पुरूष को सम्मानित किया जाता है। लव जिहाद के जाल में लड़की ऐसी फसती है कि धीरे-धीरे वह अपने धर्म, घर-परिवार, और समाज से बिलकुल अलग हो जाती है। अर्थात वह राखी से कब रुकसाना बन जाती है उसे भी पता नहीं चलता !इसलिए अब समय आ गया है कि हम लव जिहाद और धर्म परिवर्तन को अलग-अलग नही बल्कि एक ही रूप में देखें। क्योंकि लव जिहाद का मूल सार धर्म परिवर्तन में ही छुपा हुआ है। इसलिए हमें घर-घर जाकर लव जिहाद के क्रूर रूप से हिन्दू परिवारों को सावधान करने की जरुरत है ताकि फिर कोई हिन्दू बेटी लव-जिहाद के जाल में ना फ़स जाये! मसलन यह पुरे प्रकरण कों देखकर एक ही बात जहन में आती है की पुरे विश्व में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहाँ जनसंख्या में ज्यादा होना ही हिन्दुओं के लिए नुकसान का कारण बन गया है। क्योंकि जब कभी हिन्दुओं के साथ सोची समझी रणनीति के तहत कोई घटना अर्थात् (मॉब लिचिंग) घटित होती है तो ये घटना तथाकथित बुद्विजीवियों के लिये कोई सामान्य सी घटना बन जाती है द्य मसलन सेकुलरिज्म के नाम पर ऐसी घटनाओं को होने दिया जाता है। लेकिन वही यदि कोई सामान्य सी घटना भी मुसलमानों के साथ घटित होती है तो यह तथाकथित बुद्विजीवी पुरे भारत में सेकुलरिज्म को लेकर ढोल पीटने लगते है कि भारत में मुसलमान सुरक्षित नही है, सामान्य सी घटना को मॉब लीचिंग के रूप में परिभाषित करके विश्व में भारत को लेकर यह प्रचार करते है कि भारत में अल्पसंख्यक सुरक्षित नही है।
आजकल पुरे भारत में बहस छिड़ी है सहनशीलता को लेकर, लेकिन सहनशीलता क्या होती है, अगर यह समझना है तो एक बार हिन्दुओ का इतिहास पढि़ए द्य जहाँ 15 अगस्त 1947 को जब भारत आज़ाद हुआ तब हम भी चाहते तो पाकिस्तान की तरह भारत को भी हिन्दू राष्ट्र घोषित कर देते, क्योंकि उस समय भारत की अधिकांश जनसंख्या हिन्दू थी और मुस्लिम समाज का अनुयाई जिन्ना मुस्लिम समुदाय के लिये अलग राष्ट्र की मांग पाकिस्तान के रूप मे कर चुका था द्य लेकिन हमने ऐसा नहीं किया क्योंकि हम शुरुआत से ही सर्व धर्म समभाव की अवधारणा को मानते आये है और इस भावना का ही परिणाम था की हमने यह हक़ पूरी तरह से मुस्लिम समुदाय पर छोड़ दिया की वे चाहे तो पाकिस्तान जा सकते है और चाहे तो भारत मे ही रह सकते है द्य मसलन परिणाम यह निकला की उस समय पाकिस्तान जाने वाले मुसलमानो की तुलना में भारत रुकने वाले मुसलमानो की संख्या ज्यादा थी द्य लेकिन आज ये बुद्धिजीवी इतने भ्रष्ट हो गये है की यह अब भारत मे धर्मनिरपेक्षता की आड़ मे भारत मे जहर घोलने का प्रयास कर रहे है।
डॉ प्रीती
(लेखिका असिस्टेंट प्रोफेसर, शिवाजी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, हैं)