
तुलसी मात्र एक पौधा नहीं बल्कि भारतीय सनातनी हिंदू परंपरा के पूर्ण रुप से वैज्ञानिक होने का प्रमाण भी है। आधुनिक विज्ञान ने अब स्वीकार किया है। कि तुलसी का पौधा बेहद खास है। क्योंकि इससे हर समय जीवनदायी ऑक्सीजन निकलती है। इसके साथ ही तुलसी से कई बीमारियों का इलाज भी होता है। लेकिन हम भारतीय आदिकाल से तुलसी की महिमा को जानते हैं। इसलिए हर धर्मपरायण भारतीय के घर में मां तुलसी के लिए स्थान जरुर पाया जाता है।
हमारे प्राचीन वैज्ञानिक यानी ऋषि-मुनि, संत-महात्मा ने तुलसी माता के महत्व को काफी पहले समझ लिया था। इसलिए उन्होंने प्रतिदिन सुबह और शाम के समय माता तुलसी के संपर्क में आने और उनके नजदीक बैठने की परंपरा बनाई, जिससे कि हम सभी को तुलसी के फायदे प्राप्त हो सकें। आज भी हर भारतीय के घर में सुबह और संध्याकाल में माता तुलसी की पूजा करने का विधान पाया जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि जहां माता तुलसी विराजमान होती हैं वहां ब्रह्मा-विष्णु-महेश तीनों निवास करते है। तुलसी की पूजा करने वालों को श्री, ऐश्वर्य और समृद्धि प्राप्त होती है, यदि आपके घर में मां तुलसी विराजमान हैं। तो उन्हें ईशान यानी उत्तर-पूर्व कोण में स्थान दें। सूर्यास्त के बाद मां तुलसी का स्पर्श वर्जित है। इसलिए सूरज डूबने के बाद तुलसी को न छुएं। सूर्योदय और संध्याकाल में तुलसी के नीचे घी का दीपक जलाएं और उनकी 7 बार परिक्रमा करें। तुलसी पूजन का आधार विशुद्ध वैज्ञानिक है। क्योंकि तुलसी के जरिए 10 से ज्यादा रोगों का इलाज होता है। इसीलिए आयुर्वेद में तुलसी को जड़ी बूटियों की महारानी कहा जाता है। तुलसी के सेवन से कोलेस्ट्रोल की समस्या का निदान होता है। अस्थमा, कफ जैसी सांस से संबंधित सभी बीमारियों में तुलसी का सेवन रामबाण माना जाता है। तुलसी के पौधे से चर्मरोगों की चिकित्सा की जाती है। इससे कुष्ठ जैसा असाध्य रोग भी ठीक हो जाता है। किडनी और गॉल ब्लैडर की पथरी में तुलसी का सेवन किया जाता है। तुलसी के पत्ते में प्राकृतिक एंटीबायोटिक होते हैं। तुलसी के सेवन से मानसिक तनाव में राहत मिलती है। एलर्जी की समस्या भी तुलसी के सेवन से दूर होती है। मां तुलसी के इसी औषधीय और आध्यात्मिक महत्व के कारण तीनो लोकों के स्वामी भगवान विष्णु को तुलसी बेहद प्रिय है। पद्म पुराण में स्पष्ट लिखा है कि जिस घर में तुलसी का पौधा लगा हो। वहां भगवान विष्णु जरुर निवास करते हैं। इसके कारण उस परिवार में कभी भी दरिद्रता, बीमारी और अकाल मृत्यु नहीं होती है।
(उदय इंडिया ब्यूरो)