
दीपक कुमार रथ
(editor@udayindia.in)
इस बार की दीपावली पर भारतीय लोगों को जश्न मनाने का दोहरा मौका मिला। पहला तो मेलबर्न में हुए क्रिकेट मैच में भारत की पाकिस्तान पर धमाकेदार जीत, दूसरा मात्र 42 साल के भारतीय हिंदू ऋषि सुनक का इंग्लैण्ड का प्रधानमंत्री चुना जाना। इंग्लैण्ड के गोरे लोगों ने ऋषि सुनक के रुप में एक युवा और दूरदर्शी भारतीय पर अपना भरोसा जताया है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ऋषि के बारे में यह आकलन है कि उनके पास ब्रिटेन में बड़े राजनीतिक और आर्थिक बदलाव करने के लिए दो साल का बहुत कम समय है। ऋषि सुनक के सामने अपनी पार्टी की छवि बचाते हुए अगले आम चुनाव तक प्रधानमंत्री की कुर्सी पर जमे रहने और ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में गिरावट को रोकने की की दोहरी चुनौती है। ऋषि सुनक ने कोरोना महामारी के दौरान जबरदस्त तरीके से काम किया था, यही वजह है कि इंग्लैण्ड जैसे ईसाई देश ने एक हिंदू नेता पर अपना भरोसा जताया। ऋषि ना केवल अमीर हैं, बल्कि बेहद पढ़े लिखे भी हैं। उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी की और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री हासिल की। यहीं पर उनकी मुलाकात इंफोसिस के संस्थापक नारायणमूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति से हुई, बाद में दोनों ने शादी कर ली। अक्षता कर्नाटक के हुबली में पैदा हुईं और बेहद सीधी-सादी लेकिन विदुषी महिला हैं। लेकिन कौन जानता था कि वह अपने पति के लिए इतनी भाग्यशाली साबित होंगी कि उन्हें ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद तक पहुंचा देंगी।
ऋषि सुनक में कोई ऐब नहीं हैं, वह चाय-सिगरेट तक से परहेज करते हैं। वह हिंदू परंपराओं का पूरा सम्मान करते हैं। अपने चुनाव प्रचार के दौरान ऋषि और अक्षता भगवा दुपट्टा ओढ़कर गोमाता का पूजन करते हुए देखे गए थे। हालांकि ऋषि द्वारा हिंदू प्रतीकों को धारण करने से भारत के कथित सेक्यूलर नेता जल उठे थे और भारत के वामपंथी विचारों वाले मीडिया ने ऋषि सुनक के खिलाफ दुष्प्रचार भी किया था। जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती आज शोर मचा रही हैं कि भारत को इंग्लैण्ड से सीखना चाहिए कि कैसे एक अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले ऋषि सुनक को ब्रिटेन ने प्रधानमंत्री की कुर्सी सौंप दी। जिसपर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने उनसे उल्टा सवाल पूछ लिया कि क्या वो जम्मू कश्मीर में किसी हिंदू मुख्यमंत्री को बर्दाश्त कर पाएंगी।
भारत ऐतिहासिक और आध्यात्मिक रुप से सामाजिक सद्भाव में भरोसा रखता है और पूरे विश्व को एक परिवार के रुप में स्वीकार करता है। दुनिया के किसी भी दूसरे देश की तुलना में भारत में अलग अलग धर्मों को लोग पूरी तरह शांति और सद्भाव के साथ निवास करते हैं। इसलिए हमें किसी और से यह सीख लेने की जरुरत नहीं है कि कैसे देश के सभी लोगों को उच्च पदों पर मौका देना है। हमारे राजनीतिक इतिहास और पार्टियों में हर समुदाय के लोगों को मौका देने के असंख्य मौके दिखाई देते हैं।
दरअसल ब्रिटेन ऐतिहासिक रुप से जबरदस्त आर्थिक संकट से गुजर रहा है, यही वजह है कि वहां के लोग अपना प्रधानमंत्री बदलने के लिए मजबूर हुए हैं। सबकी उम्मीदें ऋषि सुनक पर टिकी हुई हैं। वह भी अपनी जिम्मेदारियों को बेहद अच्छी तरह समझ रहे हैं। इसलिए प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद उन्होंने बयान दिया कि ‘मैं अपने देश की एकता बनाए रखूंगा, केवल शब्दों से नहीं बल्कि अपने कार्यों के जरिए। मैं आपके(ब्रिटिश जनता) प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के लिए दिन-रात काम करुंगा।’ ऋषि ने अपने पहले की प्रधानमंत्री लिज ट्रस की तारीफ करते हुए उन्हें बदलाव के लिए आतुर बताया, लेकिन साथ ही ये कहा कि उन्होंने कुछ गलतियां की थीं। ऋषि सुनक ने पद संभालते ही बड़ा दिल दिखाया और ब्रिटेन की स्थिरता बनाए रखने को अपनी प्राथमिकता बताया। उन्होंने इशारा किया कि जल्दी ही कुछ कड़े फैसले किए जा सकते हैं। ऋषि सुनक ब्रिटेन के व्यापार और आम लोगों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने वादा किया है कि उनकी सरकार हर स्तर पर ईमानदारी, जवाबदेही और कार्यकुशलता से अपना काम करेगी। ऋषि का यह भी वादा है कि वह अपने घोषणापत्र में अच्छे स्कूल, सुरक्षित सड़कें, सीमाओं की सुरक्षा, पर्यावरण का संरक्षण, सैन्य बलों की मदद, अर्थव्यवस्था में मजबूती जैसे किए हुए हर वादे को पूरा करेंगे। ऋषि सुनक के तेवर देखकर लगता है कि वह अपनी जिम्मेदारियों से भागने वाले नहीं हैं।
यहां पर मैं अपने पाठकों को याद दिलाना चाहूंगा कि ऋषि सुनक को ब्रिटेन का प्रधानमंत्री पद बिल्कुल ऐसी ही परिस्थितियों में मिला है, जैसा कि आज से 8 साल पहले मनमोहिन सिंह का कार्यकाल समाप्त होने के बाद परिस्थितियां थीं। भ्रष्टाचार से ऊब चुकी जनता में राजनीतिक दलों से किसी तरह की उम्मीद नहीं बची थी, देश का हर महकमा दिशाहीन था। संक्षेप में कहा जाए तो उस समय भारत को नरेन्द्र मोदी जैसे सशक्त नेतृत्व की बेहद सख्त जरुरत थी। ऐसे समय में मोदी जनता की उम्मीदों पर पूरी तरह खरे उतरे। उन्होंने देश की आर्थिक स्थिति को संभाला, सरकारी विभागों के लिए लक्ष्य तय किया, जरुरत पड़ने पर नोटबंदी और सर्जिकल स्ट्राइक जैसे कड़े फैसले भी किए। जिसके बाद भारत की जनता में एक विश्वास का भाव पैदा हुआ और प्रशासनिक व्यवस्था दुरुस्त होने से चारो तरफ बदलाव दिखाई देने लगा। यही वजह है कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के करीब पहुंच रहा है।
ठीक उसी तरह एक युवा और उर्जावान हिंदू ऋषि सुनक के सामने चुनौतियां तो हैं। लेकिन यह एक मौका भी है, जिसके जरिए वह पूरी दुनिया के सामने यह साबित कर सकते हैं कि एक सनातनी भारतीय कड़ी से कड़ी चुनौती का सामना कर सकता है और विजेता बनकर उभर सकता है। एक भारतीय ऋषि सुनक ने गोरे अंग्रेजों के देश इंग्लैण्ड की मुश्किलों का समाधान करने का बीड़ा उठाया है। जिससे कि रंगभेदी मानसिकता वाले यूरोपीय यह समझ जाएं कि दुनिया के सभी लोग एक जैसे होते हैं, चाहे उनकी चमड़ी का रंग जैसा भी हो। भारत विविधता में एकता पर भरोसा करता है। यही हमारे भारत और भारतीयों की खासियत भी है।