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केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने परमार्थ निकेतन पहुंचकर लिया जल संरक्षण संकल्प

केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने परमार्थ निकेतन पहुंचकर लिया जल संरक्षण संकल्प

ऋषिकेश: केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और नमामि गंगे प्रोजेक्ट के निदेशक अशोक कुमार ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन पहुंचे। जहां पर उन्होंने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट की तथा जल संरक्षण के क्षेत्र में किये जा रहे कार्यों पर चर्चा की।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि प्राचीन काल से ही न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अधिकांश सभ्यताओं का उदय नदियों के तट पर हुआ है अर्थात जल, जीवन की सभी जरूरतों को पूर्ण करने के लिये अनिवार्य ही नहीं, बल्कि अत्यंत आवश्यक भी है। बढती जनसंख्या और औद्योगिक गतिविधियों के विस्तार के कारण नदियों और जल-संसाधनों पर अत्यधिक दबाव बढ़ा है।
स्वामी जी ने कहा कि देश की प्रमुख नदियों विशेष रूप से गंगा, यमुना, गोदावरी, कावेरी, नर्मदा एवं कृष्णा को प्रदूषित हो रही है अगर नदियां प्रदूषित होती रही तो हमारे पर्व, त्यौहार और परम्परायें सुरक्षित नहीं रह सकती। हमारे पर्वो और परम्पराओं को जीवंत बनाये रखने के लिये नदियों को अविरल और निर्मल बनाये रखना होगा।
इस मुलाकात के बाद केन्द्रीय मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत जी ने कहा कि परमार्थ निकेतन गंगा आरती के माध्यम से स्वामी जी वैश्विक स्तर पर जल संरक्षण के क्षेत्र में अद्भुत कार्य कर रहे हैं।
छठ पूजा एक लोक त्योहार है, जो चार दिनों तक चलता है। यह कार्तिक शुक्ल की चतुर्थी से शुरू हो कर सप्तमी को समाप्त होता है। छठ पूजा सूर्य देवता और षष्ठी देवी को समर्पित है। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिसमें न केवल उगते सूर्य की पूजा की जाती है बल्कि सूर्यास्त यानी उषा एवं प्रत्यूषा की भी पूजा की जाती है।
प्रथम दिन नहाय खाय से शुरू होता है, इसका अर्थ यह है कि स्नान के बाद घर को साफ किया जाता है और भगवान को भोग लगाने के बाद भोजन को ग्रहण किया जाता है ताकि मन को तामसिक प्रवृत्ति से बचाया जा सके। दूसरे दिन खरना अर्थात ‘पूरे दिन का उपवास’। इस दिन श्रद्धालु एक बूँद पानी भी नहीं पीते हैं। शाम को वे घी और गुड़ से बनी खीर, फल व चपाती खाते हैं। तीसरे दिन संध्या अर्घ्य दिया जाता है, भगवान सूर्य को अर्घ्य में जल एवं दूध चढ़ाया जाता है और छठी मैया की पूजा की जाती है तथा चौथे दिन उषा अर्घ्य दिया जाता है, यह छठ पूजा का अंतिम दिन होता है और सुबह सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है। पूजा के बाद भक्त शरबत एवं कच्चा दूध पीते हैं और व्रत तोड़ने के लिये थोड़ा सा प्रसाद खाते हैं जिसे पारण कहते है।
परमार्थ निकेतन पहुंचकर केन्द्रीय मंत्री जी ने सपरिवार विश्व शान्ति हवन में सहभागिता की। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने गजेन्द्र सिहं शेखावत जी और अशोक कुमार को रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर अभिनन्दन किया। स्वामी जी ने सभी को जल संरक्षण का संकल्प भी कराया।

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