ब्रेकिंग न्यूज़ 

रहस्यों से भरा कैलाश पर्वत

रहस्यों से भरा कैलाश पर्वत

निया में कोई भूमि ऐसी नहीं जहां ईश्वर    स्वयं निवास करते हों। यह सिर्फ और सिर्फ भारत है। यहां के कण-कण में ईश्वरीय चेतना व्याप्त है। सनातन धर्म का भौगोलिक स्वरुप हमारा देश हिंदुस्तान है। जिसके माथे पर हिमालय पर्वत श्रृंखला मुकुट की तरह सजी हुई है और इस मुकुट की मणि है कैलाश पर्वत। कैलाश के नाम से कोई भी सनातनी हिंदू अनजाना नहीं होगा। यह हमारे देवाधिदेव महादेव का पवित्र निवास स्थान है। आज भले ही यह चीन के कब्जे में चला गया है। लेकिन सदियों तक यह भारत का हिस्सा रहा और हम भारतीय बेरोकटोक कैलाश मानसरोवर की यात्रा करते रहे। भविष्य में भी ऐसा ही होगा, यह मेरा दृढ़ विश्वास है। कैलाश पर्वत, हिमालय पर्वतमाला की असंख्य चोटियों में से एक है। इस स्थान को को भगवान शिव का पवित्र निवास माना जाता है।  सनातनी हिंदुओं का दृढ़ विश्वास है कि इसी कैलाश पर्वत पर भगवान शिव और माता पार्वती अपने पूरे परिवार और गणों समेत निवास करते हैं। इस मान्यता के पीछे कई ठोस कारण हैं। जैसे कि दुनिया का कोई भी शख्स आज तक कैलाश पर्वत पर नहीं चढ़ पाया है। क्योंकि शिव के निवास तक कोई मर्त्य प्राणी जा ही नहीं सकता। यहां तक कि आधुनिक युग के हवाई जहाज और हेलीकॉप्टर भी कैलाश की चोटी पर लैंड करने में सक्षम नहीं होते। चीन, रूस और दूसरे यूरोपीय देशों के वैज्ञानिकों ने कैलाश पर चढ़ने की कई बार कोशिश की, लेकिन वो सब विफल रहे। भारतीय हमेशा कैलाश मानसरोवर की यात्रा करते हैं और कैलाश पर्वत का दर्शन करके लौट आते हैं। क्योंकि हमारे प्राचीन वेदों में साफ तौर पर कहा गया है कि ‘किसी भी नश्वर प्राणी को कैलाश पर्वत के ऊपर चढ़ने की अनुमति नहीं है। जहां बादलों के बीच देवताओं का घर है। वह जो देवताओं के चेहरे को देखने के लिए पर्वत की चोटी पर जाने की हिम्मत करता है, उसकी मृत्यु निश्चित है’।

कैलाश पर्वत अपने अंदर कई रहस्यों को छिपाए हुए है। कुछ साल पहले इंटरनेट पर एक वीडियो वायरल हुआ। जिसमें नासा के सैटेलाइट्स और गूगल अर्थ के फोटोज ने दिखाया कि कैलाश पर्वत पर एक खास छाया दिखाई देती है। जो कि बिल्कुल भगवान शिव की तरह है। इस आलेख के साथ जो चित्र संलग्न है, उसे आप ध्यान से देखिए। आप इसे देखकर आश्चर्यचकित रह जाएंगे। यह आकृति भगवान शिव के विशाल चेहरे की तरह है। जैसे उस पर्वत पर भगवान शिव स्वयं दर्शन दे रहे हैं। कैलाश पर्वत पर भगवान शिव की छवि सनातन धर्म की शाश्वत यात्रा का साक्षात प्रतीक है। जिसकी पुष्टि आधुनिक विज्ञान के सैटेलाइट ने एक बार फिर कर दी है।

लोग कितनी भी आलोचना कर लें, लेकिन सच यही है यह सम्पूर्ण विश्व हिंदुत्व की रोशनी ही जगमगाता रहा है।  हाल ही में नासा ने भी आकाशगंगा की एक फोटो रिलीज़ की थी। यह फोटो क्षीरसागर में शेषशैया पर लेटे भगवान विष्णु की याद दिला रही थी। नासा ने इस तस्वीर को  स्लीपिंग माउंटेन का नाम दिया था। गूगल अर्थ और नासा की यह तस्वीरें देवी देवताओं के अस्तित्व पर सवाल उठाने वाले लोगों के मुंह पर करारा तमाचा है। साइंस को मानने वाले लोग भी अब सनातन धर्म की महानता को समझने लगे हैं।

अब फिर से कैलाश के रहस्यों पर लौटते हैं। कैलाश पर रिसर्च करने वाले एक रूसी वैज्ञानिक एर्नस्ट मुल्दाशिफ़ ने कैलाश पर चढ़ने की कोशिश करने वाले लोगों के अनुभवों के बारे में बताया कि जब वह लोग कैलाश पर्वत के आधार तक पहुंचे, तो उन्हें लगा कि जैसे समय की गति तेज हो गई है। उनका दिल बेहद तेजी से धड़कने लगा है। उनका शरीर तेजी से बूढ़ा होने लगा क्योंकि उनके नाखून और बाल अचानक बढ़ने लगे। सामान्य परिस्थितियों में बाल और नाखून महीनों में जितना बढ़ते हैं, उतना कुछ ही घंटों में बढ़ गए। यह सब देखकर पर्वतारोहियों को बड़ी घबराहट हुई और वो सब वापस लौट गए। लेकिन लौटने के एक साल के अंदर की सबकी रहस्यमय तरीके से मौत हो गई। वह सभी लोग साल भर में ही बूढ़े हो गए थे।

एर्नस्ट मुल्दाशिफ़ ने कैलाश और उसके आस पास के क्षेत्रों पर गहन शोध किया। जिसके नतीजों को उन्होंने एक किताब की शक्ल दी है। इस किताब का नाम है- Where do we come from। कैलाश पर्वत को नजदीक से देखने वाले लोगों का यह मानना है कि कैलाश पर्वत एक विशाल पिरामिड की तरह है। जो कि शायद अंदर से खोखला है और उसके अंदर एक रहस्यमय दुनिया बसी हुई है। किसी को भी उसके पास जाने की इजाजत नहीं है क्योंकि कैलाश के आस पास रहस्य शक्तियां पहरा देती हैं। जो कि किसी को उसके नजदीक नहीं फटकने देती हैं। डॉ. मुल्दाशिफ ने कैलाश पर्वत से संबंधित अपने अनुभवों के बारे में लिखा है कि रात की गहन खामोशी में कैलाश पर्वत के अंदर से फुसफुसाने की आवाजें आती हैं। जैसे कोई आपस में बातचीत रहा हो।

एक दूसरे रूसी वैज्ञानिक निकोलाई रोमोनोव ने कैलाश पर्वत के बारे में तिब्बत के कई भिक्षुओं से बात की।  जिन्होंने बताया कि बिना आध्यात्मिक शक्तियों की कृपा के कैलाश नहीं जाया जा सकता। वहां बेहद उच्च स्तर के साधक और योगी ही जा सकते हैं। भिक्षुओं के मुताबिक 11वीं शताब्दी में एक भिक्षु मिलारेपा कैलाश पर्वत पर चढ़े थे। उनके अलावा कोई भी कैलाश पर्वत तक नहीं चढ़ पाया। क्योंकि मिलारेपा स्वयं उच्च स्तर के योगी थे और शरीर को हल्का करके वायुगमन भी कर सकते थे। बौद्ध भिक्षुओं ने बताया कि कैलाश पर्वत जीवंत है। यह अपनी दिशा और पगडंडियां बदल लेता है। जिसकी वजह से इसका कोई स्थायी नक्शा भी नहीं बनाया जा सका है। यही वजह है कि कैलाश पर जाने की कोशिश करने वाले पर्वतारोही रास्ता भटक जाते हैं।  कैलाश पर्वत पर रूस, चीन और अमेरिका के वैज्ञानिकों ने कई अध्ययन किये हैं। जिससे पता चला है कि यह पवित्र शिखर दुनिया का केंद्र है। इसे एक्सिस मुंडी के नाम से जाना जाता है। इसे दुनिया भर के कई अन्य स्मारकों से भी जुड़ा हुआ कहा जाता है। जैसे स्टोनहेंज, जो कि यहां से ठीक 6666 किमी दूर है। उत्तरी ध्रुव भी यहां से 6666 किमी और दक्षिणी ध्रुव 13332 किमी दूर है। वेदों में भी कैलाश पर्वत को ब्रह्मांडीय अक्ष या विश्व वृक्ष कहा गया है। रामायण में भी इस बारे में दृष्टांत मिलते हैं।

कैलाश पर्वत के चारों मुख कम्पास की चारों दिशाओं की ओर हैं। वेदों के अनुसार, पर्वत स्वर्ग और पृथ्वी के बीच की कड़ी है। हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म के अनुयायी मानते हैं कि कैलाश का शिखर स्वर्ग का प्रवेश द्वार है। मान्यता है कि पांडवों ने द्रौपदी के साथ इस शिखर की यात्रा की थी। लेकिन द्रौपदी समेत चार पांडव रास्ते में ही गिर गए थे। सिर्फ युधिष्ठिर ही स्वर्ग तक पहुंच पाए थे।

कैलाश पर्वत की एक और खासियत है। जब सूर्य अस्त हो रहा होता है, उस समय पहाड़ पर जो छाया पड़ती है। वह पवित्र स्वास्तिक चिन्ह की तरह दिखाई देती है। इसके अलावा जब इस पर्वत पर बर्फबारी होती है, तो साफ तौर पर ऊँ का अक्षर दिखाई देता है। कैलाश ही नहीं इसके आस पास का इलाका भी बेहद रहस्यमय है। कैलाश पर्वत की तलहटी में दो झीलें मौजूद हैं। जिन्हें मानसरोवर और राक्षस ताल कहते हैं। मानसरोवर का आकार सूर्य की तरह गोल है। यह धरती पर सबसे ऊंची मीठे पानी की झील है। मानसरोवर सकारात्मक शक्तियों की प्रतीक है। लेकिन राक्षस ताल का आकार आधे चंद्रमा की तरह है। यह धरती की सबसे ऊंची खारे पानी की झील है। राक्षस ताल को यह नकारात्मक शक्तियों का निवास माना जाता है। यह दोनों झीलें आस पास मौजूद हैं। विज्ञान ने अपने आधुनिक यंत्रों के जरिए कैलाश और उसके आस पास के क्षेत्र के रहस्यों को सुलझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह विफल रहा है। परंतु हम भारतीय हमेशा से जानते हैं कि कैलाश पर्वत भगवान शिव का निवास स्थान है। इसलिए हमने कभी इसकी मर्यादा के उल्लंघन की कोशिश नहीं की। कैलाश पर्वत अपने अंदर अनंत रहस्य छिपाए हुए है। मनुष्य सिर्फ सच्ची श्रद्धा और भक्ति से प्राप्त शिव की कृपा से ही कैलाश के दर्शन कर सकता है। कलियुग में मनुष्यों के लिए इतना ही पर्याप्त है।

(विशेष प्रतिनिधि)

Leave a Reply

Your email address will not be published.