
गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने 182 सीटों में प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं और नामांकन का काम लगभग पूरा हो चुका है। अब चुनावी रण जीतने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह अपनी रणनीति को धरातल पर उतारना शुरू कर दिया है। 27 साल के भाजपा के शासन को आगे भी जारी रखने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है।
देश में वर्ष 2024 में मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनने के लिए गुजरात का रण जीतना बेहद जरूरी है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह गुजरात में भाजपा के पक्ष को मजबूत बनाने के लिए हर कोशिश में जुटे हैं। दोनों की जोड़ी निश्चित तौर पर गुजरात का शासन भाजपा का ही रहे इसके लिए वे दिन रात एक किए हुए है। गुजरात कि हर विधानसभा सीट पर सीधी निगाहें और जीतने वाले उम्मीदवार को टिकट देने का प्रयास किया है। चाहे भले किसी भी पार्टी का व्यक्ति भाजपा में आया हो और जीत की संभावना तलाशते हुए उन्हें टिकट देने का काम किया है। इसके लिए अपने विधायकों के 50 प्रतिशत से अधिक टिकट काटने का काम भी किया है। पटेल समाज को अपने पक्ष में रखने के लिए मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल को फिर से सीएम बनाने की घोषणा खुले रूप में कर दी गई है। चुनाव की रणनीति पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हाथ में भले ही है लेकिन चुनाव भूपेंद्र भाई पटेल को आगे रखकर लड़ा जा रहा है ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निश्चित तौर पर जीतने के लिए नए चेहरों पर दांव लगाने का कामयाब फॉर्मूला कायम रखा है। इस बार 38 मौजूदा विधायकों के टिकट काटकर नए चेहरों को मौका दिया है। वर्ष 2017 के 50 प्रतिशत चेहरों (85) को घर बैठाकर मिशन-2022 के अवरोधों से पार पाने की कोशिश की है। 75 विधायकों को वापस टिकट दिया है।
गुजरात की भाजपा की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाले देश के गृह मंत्री अमित शाह खुले रूप से दावा करते हैं कि गुजरात की जनता का स्वभाव है वह नए को जल्दी से अपनाने का काम नहीं करती है। यह बात भी सही है कि भाजपा को वर्ष 1990 से लगातार 27 सालों से यहां की जनता का प्यार और समर्थन मिलता रहा है और आगे भी इसी प्रकार मिलता रहेगा। वह कहते हैं कि कांग्रेस के शासन में तो गुजरात में कर्फ्यू ही लगा रहता था। अब भाजपा के राज में नजारा बदला हुआ है नई पीढ़ी को कर्फ्यू का मतलब पता नहीं है कानून व्यवस्था कांग्रेस के शासन में पूरी तरह चरमराई हुई थी। यह बात कहना गलत है कि गुजरात में आप पार्टी से पहले कोई अन्य पार्टी चुनाव लड़ने नहीं आई। उनका कहना है कि भाजपा से बागी होकर पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय केशुभाई पटेल ने सबसे पहले भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ा था और वे सफल नहीं हो पाए थे । इसके बाद शंकर सिंह बघेल और चिमन भाई पटेल ने भी नई पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा लेकिन गुजरात की जनता ने विश्वास नहीं किया। उनका स्पष्ट तौर पर दावा है कि आप पार्टी को भी गुजरात की जनता स्वीकार नहीं करेगी और प्रचंड बहुमत के साथ भाजपा फिर से शासन में आएगी । भाजपा का मुकाबला कांग्रेस से है लेकिन कांग्रेस की स्थिति जिस तरह से बनी हुई है वह चुनाव लड़ने की स्थिति में नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी सोची समझी रणनीति के तहत ही पूर्व मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, नितिन पटेल सहित छह बड़े नेताओं के लड़ने से इनकार करने के बीच पांच मंत्रियों के टिकट काटे गए हैं। 160 प्रत्याशियों में से सबसे ज्यादा 49 टिकट ओबीसी समुदाय के प्रत्याशियों को दिए गए हैं। इसके बाद पाटीदार समुदाय का दबदबा काम आया है। इस समुदाय के 40 प्रत्याशी मैदान में होंगे। इनके अतिरिक्त 24 प्रत्याशी एसटी, 19 क्षत्रिय, 13 एससी, 13 ब्राह्मण और 2 जैन समुदाय से हैं। 35 प्रत्याशियों की उम्र 50 वर्ष से कम है। पहली सूची में 14 महिलाओं को भी टिकट दिए गए हैं। कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले 20 नेताओं को टिकट दिया गया है। इनमें पाटीदार आंदोलन का चेहरा रहे हार्दिक पटेल और छोटा उदयपुर क्षेत्र के दिग्गज आदिवासी मोहन सिंह राठवा के बेटे राजेंद्र राठवा शामिल हैं। हार्दिक (विरमगाम सीट) सबसे कम उम्र 29 साल के भाजपा प्रत्याशी हैं।
गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए दो फेज में एक और पांच दिसंबर को मतदान होगा। गुजरात विधानसभा का कार्यकाल 18 फरवरी 2023 को खत्म हो रहा है। 1 दिसंबर को 89 सीटों पर और 5 दिसंबर को 93 सीटों पर मतदान होगा और परिणाम 8 दिसंबर को आएंगे।
भाजपा के मुख्य रणनीतिकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जिस तरह गुजरात में पूरी सरकार बदल डाली थी, वैसे ही टिकटों के बँटवारे में भी भाजपा ने ज़्यादातर पुराने चेहरों को बदल डाला है। पिछली बार चुनाव लड़े 182 में से इस बार 85 के टिकट काट दिए गए हैं। बड़े नेताओं, ज़्यादातर पूर्व और कुछ वर्तमान मंत्रियों की बजाय पटवारियों, छोटे कार्यकर्ताओं और महिलाओं पर भाजपा ने ज़्यादा भरोसा जताया है। वर्षों बाद पाटीदार आंदोलन के अग्रज रहे हार्दिक पटेल उनके अपने इलाक़े विरमगाम से टिकट दिया है।
पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की जोड़ी ने हर बार की तरह पाटीदारों को इस बार 39 पाटीदार नेताओं को भाजपा ने टिकट दिया है। अब तक घोषित हुए 160 टिकटों में पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का नाम भी नहीं है। उनका टिकट भी काटा गया है। जबकि इस बार कांग्रेस और दूसरी पार्टियों से आए 20 से ज़्यादा नेताओं को भाजपा ने टिकट दिया है।
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की जगह डॉ. दर्शिता शाह राजकोट पश्चिम से चुनाव लड़ेगीं। वहीं पार्टी ने 5 मंत्रियों के टिकट काट दिए है। इनमें राजेंद्र त्रिवेदी और प्रदीप परमार जैसे दिग्गज नाम शामिल हैं। मोरबी में भाजपा ने मौजूदा विधायक बृजेश का टिकट कांटा है। उनकी जगह पूर्व विधायक कांतिलाल अमृतिया को टिकट दिया है। मोरबी पुल हादसे के वक्त कांतिलाल लोगों की जान बचाने के लिए मच्छू नदी में कूदे थे। उन्होंने शीघ्र रेस्क्यू के लिए वीडियो भी पोस्ट किया था। रवींद्र जडेजा की पत्नी रीवाबा को जामनगर उत्तर से टिकट दिया है।
कांग्रेस से आने वाले नेता प्रद्युमन सिंह जडेजा (अबडासा), कुवरजी बावड़ियां (जसदन), जवाहर चावडा (मानावदर), हर्षद रिबडीया (विसावदर), भगा बारड ( तालाला), अश्विन कोटवाल (खेडब्रह्मा), जीतू चौधरी (कपराडा) को भाजपा ने टिकट दिया है। ये सभी नेता 2017 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे। अब भाजपा की ओर से चुनाव लड़ाया जा रहा हैं।
गुजरात की आबादी करीब साढ़े छह करोड़ है। जिनमें से करीब एक करोड़ लोग ऐसे हैं, जिनकी पारिवारिक जड़ें राजस्थान से हैं। इनमें भी अधिकांश लोग तो ऐसे हैं, जो विगत 40-50 वर्षों में ही राजस्थान से वहां जाकर बसे हैं।
अहमदाबाद, मेहसाणा, बनासकांठा, वड़ोदरा, आणंद, कच्छ, सुरेन्द्रनगर, राजकोट और सूरत में तो राजस्थान मूल के लोगों की आबादी करीब 25 से 50 प्रतिशत तक है। जोधपुर, बीकानेर, उदयपुर संभाग और शेखावाटी क्षेत्र से वैश्य समुदाय और किसान समुदायों के लाखों परिवार गुजरात में रहते हैं।
मेडिकल और व्यापार के सिलसिले में एक लाख से अधिक राजस्थानी लोग रोजाना गुजरात आते-जाते हैं। ऐसे में यह राजस्थानी समुदाय को लुभाने के लिए हर चुनाव में कांग्रेस और भाजपा राजस्थानी राजनेताओं को गुजरात में प्रचार, दौरे, सभा आदि के लिए भेजती हैं।
वैसे तो भाजपा हमेशा यही दावा करती है कि पार्टी में भाई-भतीजावाद की कोई जगह नहीं है, लेकिन असल में ऐसा है नहीं। अगर गुजरात के विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा की ओर से जारी की गई 182 कैंडिडेट्स की लिस्ट ही देख लें पता चलता है कि इनमें 12 उम्मीदवार पूर्व और वर्तमान में भाजपा नेताओं के रिश्तेदार हैं। राजकोट जिले में सबसे ज्यादा 4 रिश्तेदारों को टिकट दिया गया है, वहीं अहमदाबाद में भी एक बड़े नेता के रिश्तेदार को चुना गया है। इससे साफ है कि गुजरात चुनाव जीतने के लिए भाजपा ने अपनी मूल विचारधारा से समझौता किया है।
पूर्व संघ नेता स्वर्गीय मरकंद एसआई के बेटे चेतन देसाई को अकोटा बड़ौदा से, छोटा उदयपुर के वर्तमान विधायक मोहन सिंह राठवा के बेटे राजेंद्र राठवा को, मौजूदा पार्षद रेशमा कुकराणी की बेटी डॉ. पायल कुकराणी को नरोदा अहमदाबाद से ,संघ के पूर्व नेता डॉ. पीवी दोशी की पोती डॉ. दर्शिता शाह को राजकोट पश्चिम से, पूर्व विधायक मधुभाई बाबरिया की बहू भानुबेन बाबरिया को राजकोट (ग्रामीण) से ,पूर्व विधायक जयराज सिंह की पत्नी गीताबा जडेजा को गोंडल (राजकोट) से ,तलाला के पूर्व विधायक गोविंदभाई के भतीजे मानसिंह परमार को सोमनाथ से,भरूच के पूर्व सांसद चंदू देशमुख की बेटी डॉ. दर्शना देशमुख को नंदोद (भरूच) से ,वर्तमान विधायक राम सिंह परमार के बेटे योगेंद्र परमार को थसरा (खेत) से ,पूर्व मंत्री अशोक भट्ट के बेटे भूषण भट्ट को जमालपुर (अहमदाबाद) से ,पूर्व मंत्री विट्ठल राड्डिया के बेटे जयेश राडाडिया को जेतपुर (राजकोट) से टिकट दिया है ।
कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले 20 नेताओं को टिकट दिया गया है। इनमें पाटीदार आंदोलन का चेहरा रहे हार्दिक पटेल और छोटा उदयपुर क्षेत्र के दिग्गज आदिवासी मोहन सिंह राठवा के बेटे राजेंद्र राठवा शामिल हैं। हार्दिक (विरमगाम सीट) सबसे कम उम्र 29 साल के भाजपा प्रत्याशी हैं।
प्रदेश में विधानसभा की 182 सीटें हैं। इनमें 55 सीटें सिर्फ चार बड़े शहरों में हैं। इनमें अहमदाबाद, सूरत, राजकोट और वडोदरा शामिल हैं, जबकि 127 सीटें सेमी अर्बन हैं। इसमें भी बंटवारा करें तो करीब 100 से अधिक सीटें ग्रामीण हैं। कांग्रेस इन्हीं सीटों पर फोकस कर रही है
2022 के चुनाव में कांग्रेस के सामने दोहरी चुनौती है। पिछली बार भाजपा को 99 पर रोकने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस बार वरिष्ठ पर्यवेक्षक की भूमिका में हैं तो उनके शिष्य कहे जाने वाले डॉ. रघु शर्मा गुजरात के प्रभारी हैं। उन्होंने पिछले महीनों में कांग्रेस को बूथ स्तर पर मजबूत बनाने की कोशिशें की हैं। इसके लिए वे मेरा बूथ-मेरा गौरव कार्यक्रम लेकर आए थे। भारत जोड़ो यात्रा से पहले अहमदाबाद में बूथ इंचार्ज का बड़ा सम्मेलन भी हुआ था। कांग्रेस को खतरा आप से अधिक है। यह सभी मान रहे हैं, लेकिन बीते दिनों में स्थिति बदली है। आप जो कांग्रेस के वोट तोड़ती दिख रही थी अब भाजपा के लिए भी खतरा बन सकती है। इसकी वजह उसका अपना नेचर और प्रचार का पैटर्न है। शहरी क्षेत्र में अगर भाजपा को वोट खिसके तो कांग्रेस की बांछें खिल सकती हैं।
आम आदमी पार्टी ने गुजरात में आक्रामक कैंपेन किया है। इसका फायदा उन्हें मिल सकता। आप की कमजोरी यह है कि उनके पक्ष में कोई जातीय समीकरण नहीं दिख रहा है और सीएम के लिए कोई मजबूत चेहरा नहीं है। अभी की स्थिति में कहा जा सकता है कि कांग्रेस भाजपा के बाद दूसरे नंबर पर रहेगी। आप कुछ सीटें जरूर जीत सकती है।आदिवासी और ग्रामीण बेल्ट में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहेगा।
श्याम सुन्दर शर्मा