
अग्नि रेंज की मिसाइलें भारतीय मिसाइल प्रणाली की मुख्य रीढ़ मानी जाती हैं भारत ने अग्नि – 5 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। इसके साथ भारत दुनिया की 8वीं शक्ति बन चुका है और जिसके पास अग्नि – 5 जैसी परमाणु क्षमता से लैस बैलिस्टिक मिसाइल है। जो कि 5000 किलोमीटर से अधिक दूर स्थित लक्ष्यों को भी भेदने में सक्षम है। 9 दिसंबर को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच अरुणाचल प्रदेश के तवांग में झड़प हुई थी। ऐसे में इस मिसाइल परीक्षण को चीन के लिए सीधे संदेश के तौर पर देखा जा रहा है। अग्नि-5 मिसाइल अपनी मारक क्षमता के कारण चीन के लिए एक चिंता का विषय बन गया है। अभी तक भारतीय मिसाइलों की मारक क्षमता में चीन के प्रमुख शहर शामिल नहीं थे।
अग्नि – 5 मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद अब इसकी पहुंच चीन के प्रमुख शहरों तक हो गई है। डोंगफेंग 31A मिसाइल (चीन की नवीनतम उपलब्धियों में से एक है ) को अग्नि-5 से कड़ी टक्कर मिलेगी क्योंकि अग्नि-5 की रेंज में चीन का सबसे उत्तरी शहर हार्बिन भी आता है जो चीन के डर की सबसे बड़ी वजह है। इसकी मारक क्षमता 5000 किलोमीटर है। खासकर चीन के प्रमुख औद्योगिक शहरों को यह जलाकर राख कर सकती है। यह मिसाइल परमाणु बम गिराने में भी सक्षम है।
अग्नि-5 मिसाइल 29401 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दुश्मन पर हमला करती है इसमें रिंग लेजर गाइरोस्कोप इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम जीपीएसए NAVIC सैटेलाइट गाइडेंस सिस्टम लगा हुआ है अग्नि-5 मिसाइल टारगेट पर सटीकता से हमला करता है अगर टारगेट अपनी जगह से हटकर 10 से 80 मीटर तक भी जाता है तो उसका बचना मुश्किल है इसका निशाना अचूक है। यह अपने लक्ष्य को भेदने में बेहद कारगर है। चीन का कहना है कि अग्नि-5 की मारक क्षमता आठ हजार किलोमीटर तक है और इस मिसाइल की मारक क्षमता में पूरे एशिया और यूरोप के 70 फीसद हिस्से है। अग्नि-5 मिसाइल 1500 किलोग्राम तक के परमाणु हथियार अपने साथ ले जा सकती है। दुश्मन के किसी भी शहर को यह देखते ही देखते नेस्तनाबूद कर सकती है।
इस मिसाइल का वजन करीब 50 हजार किग्रा है। मिसाइल 1.75 मीटर लंबी है। इसका व्यास 2 मीटर है। यह अपने साथ 1.5 टन हथियार ले जाने में समर्थ है। यानी ये भारत की सबसे शक्तिशाली मिसाइलों में से एक है। 25 फरवरी 1988 के दिन भारत ने अपना पहला मिसाइल टेस्ट कर दिया था। यह दुनिया के मानचित्र में भारत की एक दमदार उपस्थिति थी। देश के दुश्मनों को संदेश देते हुए हमारे वैज्ञानिकों ने दिखा दिया कि भारत अब करारा जवाब देने की हैसियत रखता है। इस घटना को 34 साल हो रहे हैं। तब भारत ने सतह से सतह पर मार करने वाली पृथ्वी मिसाइल का सफलतापूर्वक टेस्ट किया था। इसके बाद देश का मिसाइल प्रोग्राम मजबूत होता गया। पृथ्वी की लॉन्चिंग के बाद आगे के भारत ने कई पारंपरिक और सामरिक मिसाइलें विकसित कर ली जो 250 किमी से लेकर 5000 किमी तक के टारगेट को नेस्तनाबूद कर सकने वाली हैं।
भारत ने 1989 में अग्नि श्रंखला की मिसाइलों का परीक्षण शुरू किया था। अग्नि-1 मध्यम दूरी की मिसाइल है जिसकी मारक क्षमता लगभग एक हज़ार किलोमीटर है। उस दौर में सिर्फ़ अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ, चीन और फ्रांस के पास ही बैलिस्टिक मिसाइलें थीं अब तक भारतीय रक्षा बलों के पास 700 किलोमीटर की रेंज वाली अग्नि-1, 2000 किलोमीटर की रेंज वाली अग्नि-2, 2500 किलोमीटर की रेंज वाली अग्नि-3 और 3500 किलोमीटर की रेंज वाली अग्नि-4 मिसाइलें हैं अग्नि-5 की लंबी दूरी और परमाणु क्षमता की वजह से लगता है कि इस मिसाइल को चीन को ध्यान में रखकर बनाया गया है। वहीं पुरानी अग्नि मिसाइलें पाकिस्तान जैसे करीबी ठिकानों के लिए पर्याप्त हैं। अग्नि-5 मिसाइल भारत की सतह से सतह पर मार करने वाली सबसे घातक मिसाइल है। इसे डीआरडीओ और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड ने तैयार किया है। एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से भारत ने इसका सफल परीक्षण किया। डीआरडीओ अग्नि के अलग-अलग वैरियंट को महाविनाशक बनाने की तैयारी में जुटा है। भारत पिछले कुछ वर्षों में लगातार अपनी समग्र सैन्य शक्ति को बढ़ा रहा है। इस अवधि के दौरान देश ने कई मिसाइलों का सफल परीक्षण किया है।
गत मई में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के विस्तारित रेंज संस्करण का सुखोई लड़ाकू विमान से परीक्षण किया गया था। घातक ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल इस मिसाइल को भारत और रूस दोनों देशों ने एक साथ मिलकर विकसित किए हैं। शुरुआत में इस मिसाइल का रेंज मात्र 290 किलोमीटर तक ही था हालांकि अब यह मिसाइल 300-400 किलोमीटर तक आसानी से मार कर सकती है। ब्रह्मोस मिसाइल की अधिकतम गति 3 मैक से भी अधिक है यानी की यह मिसाइल ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना अधिक तेजी से मार करने में सक्षम है।
इस मिसाइल को भूमि-से-भूमि, भूमि-से-समुद्र, समुद्र-भूमि, समुद्र -समुद्र, हवा – समुद्र और हवा – भूमि से भी लांच टेस्ट किया गया है। भारत के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि अिग्न-5 का सफल परीक्षण भारत की ‘क्रिटिकल मिनिमम डिटेरेंस’ यानी ‘विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोधक’ प्रदान करने और पहले इस्तेमाल न करने की नीति के अनुरूप है। भारत हमेशा से कहता रहा है कि उसका परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम रक्षात्मक है और वो ‘फ़र्स्ट स्ट्राइक’ के लिए नहीं है। अब देखना होगा कि भारत अमेिरका तक मार करने वाली मिसाइल का कब तक परीक्षण कर पाता है।
अंकुश मांझू