
नई दिल्ली: पिछले कुछ समय से चले आ रहे हल्द्वानी बेदखली केस को लेकर बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट ने हल्द्वानी में 4,000 से अधिक परिवारों को बड़ी राहत देते हुए उत्तराखंड हाई कोर्ट के बेदखली के आदेश पर रोक लगा दी।
बता दें कि आज शीर्ष अदालत ने कहा कि कब्जा करने वालों के अधिकारों की जांच किए बिना बड़ी संख्या में लोगों को बल प्रयोग से हटाया नहीं जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे मानवीय समस्या करार देते हुए कहा कि अतिक्रमणकारियों को हटाने और उनका पुनर्वास करने के लिए कोई उपाय खोजा जाना चाहिए। जिससे ऐसी बड़ी समस्या सामने ना आ सके।
स्थानीय निवासियों का दावा है कि 78 एकड़ क्षेत्र में लगभग 25,000 मतदाता हैं, जिनमें कई बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं, साथ ही 15,000 बच्चे भी शामिल हैं।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने 20 दिसंबर को फैसला सुनाते हुए कहा था कि, अतिक्रमण की गई रेलवे की भूमि पर निर्माण को ध्वस्त करने का आदेश दिया था। इसमें निर्देश दिया गया कि अतिक्रमणकारियों को एक सप्ताह का नोटिस दिया जाए। जिसके संदर्भ में प्रशासन ने समाचार पत्र में एक नोटिस भी प्रकासित की थी। जिसके बाद ही अतिक्रमणों को तोड़ा जाना चाहिए।
निवासियों ने दावा किया कि उनके पास जो जमीन है वो उन्ही की है। प्रासंगिक दस्तावेजों के मध्यनजर आशा व्यक्त की कि शीर्ष अदालत इस तथ्य पर विचार करेगी कि वे 100 वर्षों से जमीन पर रह रहे थे और उनके पक्ष में फैसला सुनाएंगे।
नैनीताल के जिलाधिकारी डीएस गर्ब्याल ने कहा कि अतिक्रमण हटाने की तैयारी की जा रही है। “यह उच्च न्यायालय का आदेश है, इसका पालन करना होगा।” हल्द्वानी के एसडीएम मनीष कुमार ने कहा कि क्षेत्र के निवासियों को अदालत के आदेश के बारे में सूचित कर दिया गया है और अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया 10 जनवरी से शुरू होने की संभावना है।
हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास अतिक्रमण के खिलाफ उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अधिकारी निरीक्षण कर रहे हैं। इस बीच, बनभूलपुरा के निवासियों ने अपना विरोध दर्ज कराने और अपनी मांगों को लेकर मंगलवार को कैंडल मार्च निकाला।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश के बाद बनभूलपुरा में अतिक्रमण हटाने की योजना के खिलाफ देहरादून में अपने घर पर एक घंटे का मौन विरोध प्रदर्शन किया।
Written by – Satvik Upadhyay