
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी,2023 को उम्मीद से कहीं अधिक अच्छा बजट पेश किया। अमृतकाल के इस प्रथम केंद्रीय बजट की लगभग सभी ने प्रशंसा की है जिसकी बडी वजह यह है कि उसमें हर क्षेत्र का ख्याल रखते हुए आवंटन किया गया है। गरीबों और वंचित वर्ग पर केंद्रित बजट में उन्हें लाभ पहुंचाने के लिए अनेक घोषणाएं की गई हैं। उद्योग जगत भी इससे संतुष्ट दिखाई दिया और कृषि, रक्षा, रेलवे सहित तमाम महत्वपूर्ण क्षेत्र के लिये बजटीय प्रावधान से नई उम्मीदें जगी हैं।
निराशाजनक वैश्विक आर्थिक पृष्ठभूमि में यह बजट भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूती और सकारात्मक भविष्य के लिये उम्मीदों पर खरा उतरने का भरोसा पैदा करनेवाला है। वित्तमंत्री ने बजट भाषण में इस बात को ज़ोर देकर कहा कि मौज़ूदा वर्ष की आर्थिक वृद्धि 7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। उल्लेखनीय है कि यह विश्व की सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है इसलिए भारतीय अर्थव्यवस्था सही रास्ते पर है और चुनौतियों के दौर में भी उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ रही है। ज़ाहिर है कि इस सच्चाई से कोई भी इनकार नहीं कर सकता है।
बजट एक वार्षिक प्रक्रिया है लेकिन इसका दीर्घकालिक महत्त्व इस तथ्य में निहित है कि यह हमेशा उस समग्र दिशा को इशारा करता है जिस तरफ कोई भी सरकार अर्थव्यवस्था को ले जाने का इरादा रखती है। यह बजट केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के दीर्घकालिक नज़रिए को भी सामने लाता है। बजट ज़मीनी हक़ीक़त, मौज़ूदा वैश्विक पृष्ठभूमि, भारतीय लोकनीति और महत्वाकांक्षाओं एवं अभूतपूर्व विकासपरक सोच पर आधारित प्रतीत होता है।
नरेंद्र मोदी ने बजट 2023 के बारे में कहा कि अमृतकाल के इस पहले बजट ने विकसित भारत का संकल्प पूरा करने का आधार दिया है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने वित्तमंत्री को वित्त वर्ष 2023-24 के लिए विकासोन्मुखी केंद्रीय बजट पेश करने के लिए बधाई दी और कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में किसानों, महिलाओं, हाशिये पर पड़े वर्गों और मध्यम वर्ग को सहायता प्रदान करने को प्राथमिकता दी गई है। बजट आकांक्षाओं से भरे समाज, किसानों, मध्यम वर्गों के सपनों को पूरा करेगा। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने कहा कि केंद्र ने मित्रकाल बजट पेश किया है। इसमे नई नौकरियों के सृजन के लिये कोई योजना नहीं है।
इसमें कोई दो राय नहीं कि मोदी सरकार ने अगले साल होनेवाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर लोकलुभावन चुनावी बजट पेश नहीं किया है जैसा इससे पहले की सरकारे करती आईं हैं। इस बार के बजट में स्पष्ट संकेत मिले हैं कि मोदी सरकार देश को विकसित पश्चिमी देशों की तर्ज पर आगे ले जा रही है। समाज कल्याण के कार्यों में सरकार का रूख वैसा ही है जैसा ये विकसित देश अपनाते हैं। यह अच्छा है लेकिन पश्चिमी देशों में आबादी कम और संसाधन अधिक हैं इसलिये वहां पर यह काम आसान है। भारत एक विशाल आबादी वाला देश है ऐसे में वह इस लक्ष्य को कैसे हासिल करेगा अपनेआप में बडी चुनौती है।
देश के करोड़ों विश्वकर्मा इस देश के निर्माता हैं। मूर्तिकार, शिल्पकार यह सभी देश के लिए मेहनत करते हैं। इस बजट में पहली बार अनेक प्रोत्साहन योजनाएं हैं। ऐसे लोगों के लिए टेक्नोलॉजी, क्रेडिट और मार्केट की योजना की गई है। उम्मीद है कि ‘पीएम विश्वकर्मा योजना’ इन विश्वकर्माओं के विकास लिए बड़ा बदलाव लाएगा।
गांव में रहने वाली महिलाओं से लेकर शहरी महिलाओं के लिए सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। महिलाओं के ‘सेल्फ हेल्प ग्रुप’ भारत में बड़ी जगह अपने लिए ले चुका है। इन्हें संबल देने के लिए नई पहल बजट में शामिल की गई है। महिलाओं के लिए एक विशेष बजट योजना भी शुरू की जा रही है। जन धन खातों के बाद यह विशेष बचत योजना सामान्य परिवार की मां को बड़ा फायदा देनेवाली है।
सरकार ने भंडारण क्षमता को बढ़ाने के लिए सबसे बड़ी ‘अन्न भंडारण योजना’ बनाई है। कृषि क्षेत्र में डिजिटल पेमेंट की सफलता को निरंतर दोहराने की जरूरत है। युवा उद्यमी ग्रामीण क्षेत्रों में एग्री स्टार्ट अप खोल सकें इसके लिये कृषि वर्धक निधि स्थापित की जायेगी। इसके तहत स्टार्ट अप शुरू करनेवालों को प्रोत्साहन मिलेगा। इसका मकसद देश के छोटे किसानों के सामने आ रही चुनौतियों का नया और किफायती समाधान उपलब्ध कराना है।
इस साल रक्षा बजट 5.94 लाख करोड़ रुपये तय किया गया है जो कि 2022-23 के 5.25 लाख करोड़ रुपये के बजट से 12.95 फीसदी ज्यादा है। इसमें पूंजीगत व्यय के लिए कुल 1.62 लाख करोड़ रुपये अलग रखे गए हैं। इनमें नए हथियार, विमान, युद्धपोत और अन्य सैन्य साजोसामान की खरीद शामिल है।
बजट में तकनीक और न्यू इकोनॉमी पर बहुत जोर दिया गया है। ‘डिजिटल भारत’ आज रेल, मेट्रो, वॉटरवेज आदि जगहों पर है। 2014 की तुलना में आज इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश में 400 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई है जिसमे रोजगार की अच्छी संभावनायें हैं। वर्ष 2014 की तुलना में इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश पर 400 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई है। इस बार इंफ्रास्ट्रक्चर पर 10 लाख करोड़ रुपये का अभूतपूर्व निवेश होगा। यह निवेश युवाओं के लिए रोजगार और एक बड़ी आबादी के लिए आय के नए अवसर पैदा करेगा।
10 लाख करोड़ रुपए का पूंजीगत व्यय का बजट, 22 लाख करोड़ रुपए का कृषि लोन, 7,900 करोड़ रुपया की आवास योजना, दो लाख 40 हजार करोड़ रुपए रेलवे के लिए और हजारों करोड़ रुपए की सामाजिक क्षेत्र की योजनाएं एक मजबूत अर्थव्यवस्था के बजट की गारंटी हैं। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत के भविष्य को संवारने वाले कई प्रयोजनों की घोषणा की है जिससे आने वाले वक्त में भारत की तस्वीर बदल सकती है।
बजट में जो सबसे आकर्षित करने वाली बात है, वो है प्रत्यक्ष कर से जुड़े प्रस्ताव। बजट में पुरानी कर व्यवस्था की तुलना में नई कर व्यवस्था के पक्ष में माहौल बनाने का पुरज़ोर प्रयास किया गया है। वर्तमान में पुरानी और नई कर व्यवस्था दोनों में ही 5 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले लोगों को आयकर का भुगतान करने से छूट दी गई है। इस बार के बजट में अब नई कर व्यवस्था के तहत छूट या छूट की सीमा को बढ़ाकर 7 लाख रुपये सालाना करने का प्रस्ताव किया गया है। नई कर व्यवस्था के तहत आयकर का बोझ कम होगा और ख़र्च योग्य आय में वृद्धि होगी।
बजट में इस बात को स्पष्ट तौर पर स्वीकार किया गया है कि केवल वृद्धि हासिल करना पर्याप्त नहीं है इसीलिए वित्त मंत्री ने साफ संदेश दिया कि ‘अमृत काल में मज़बूत पब्लिक फाइनेंस और एक ठोस रूप से निर्मित वित्तीय सेक्टर के साथ प्रौद्योगिकी संचालित और ज्ञान या जानकारी आधारित अर्थव्यवस्था शामिल है”। बजट तीन सिद्धांतों पर आधारित है: पहला, नागरिकों, विशेषकर युवाओं को उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त मौक़ा उपलब्ध कराना दूसरा, विकास और रोज़गार सृजन को तेज़ गति प्रदान करना और तीसरा, मैक्रो-इकोनॉमिक स्थिरता को मज़बूत करना। इन तीन उद्देश्यों को सात प्राथमिकताओं पर निर्भर बताया गया है अर्थात समावेशी विकास, अंतिम लक्ष्य तक पहुंचना, बुनियादी ढांचा और निवेश, क्षमता विस्तार, हरित विकास, युवा शक्ति और वित्तीय क्षेत्र। यही वजह है कि इस वर्ष का बजट उन मुद्दों को गहराई से समायोजित करने का प्रयास करता है।
इस बजट में “ग्रीन ग्रोथ” यानी हरित विकास शब्द का उल्लेख किया जाना दिल को सुकून देने वाला है। हालांकि इसके दूसरे पहलू पर भी विचार करने की ज़रूरत है। इसी प्रकार से बजट में भौतिक पूंजी का निर्माण करने के लिए बुनियादी ढांचे और पूंजीगत व्यय की भूमिका को भी स्वीकार किया गया है जो आगे बढ़ने की आकांक्षा रखने वाले एक देश के लिए आवश्यक है।
बजट में श्रीअन्न (मोटा अनाज) को हर घर का भोजन बनाने की तैयार की गई है। भारत दुनिया भर में मोटे अनाज का सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत को इसका वैश्विक केंद्र बनाने के लिये हेदराबाद के भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान को उत्कृष्ट केंद्र के रूप में विकसित करने के रूप में विकसित करने का फैसला लिया गया है।
पिछले साढे़ आठ साल में भारत की तस्वीर तेजी से बदली है। मोदी सरकार के कार्यकाल में भारत में प्रति व्यक्ति की आय बढ़कर दोगुनी हो गई है। वित्तमंत्री ने बजट भाषण में बताया कि इस समय भारत में प्रति व्यक्ति आय एक लाख 97 हजार रुपए है जो कि अब तक का सबसे अधिक है। आज भारत में कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं सोता। सरकार ने मुफ्त खाद्यान्न योजना कोविड के दौरान प्रारंभ की थी। इसे सरकार ने एक साल के लिए और बढ़ा दिया है और उसके लिए बजट में दो लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
आम गरीब का जीवन सरल और सुविधायुक्त बनाने के प्रयास किये गये। सरकार ने इस अवधि में देश में 11 करोड़ 70 लाख घरों में शौचालय का निर्माण कराया है, नौ करोड़ घरों को मुफ्त रसोई गैस सिलेंडर उपलब्ध कराये हैं, वैक्सीन की 220 करोड़ डोज मुफ्त उपलब्ध कराई है। पीएम जनधन योजना के तहत 47 करोड़ 80 लाख लोगों के खाते खुलवाए हैं और दो लाख 20 हजार करोड़ रुपए पीएम किसान निधि योजना के तहत देश के किसानों को सीधे लाभ पहुंचाया है।
बजट भविष्यपरक है। आने वाले दिनों में न केवल भारत दुनिया का सबसे अधिक तेजी से बढ़ रही अर्थव्यस्था बना रहेगा बल्कि पांच ट्रिलियन की इकोनोमी बनने की दिशा में तेजी से बढ़ेगा और जर्मनी एवं जापान को पीछे छोड़कर चीन और अमेरिका के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
कुल मिलाकर देखा जाए तो इस बजट में विकासात्मक अनुमान जहां सही दिशा में हैं वहीं बजट में राजकोषीय मज़बूती के पहलू को भी पूरी तरह से ध्यान में रखा गया है। इसलिए अनुमानित राजकोषीय घाटे में पिछले साल की तुलना में गिरावट दर्ज़ की गई है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है और ऐसा प्रतीत होता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अमृत काल का स्वागत करने के लिए अच्छी तरह से तैयार है।
अशोक उपाध्याय
पूर्व संपादक, यूनीवार्ता