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अफ्रीका से आयेंगे और 12 चीते, स्पेशल बुमर की व्यवस्था

अफ्रीका से आयेंगे और 12 चीते, स्पेशल बुमर की व्यवस्था

भारत में वन्यजीव संरक्षण का एक लंबा इतिहास रहा है। सबसे सफल वन्यजीव संरक्षण उपक्रमों में से एक ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ जिसे 1972 में बहुत पहले शुरू किया गया था, ने न केवल बाघों के संरक्षण में बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र में भी योगदान दिया है। भारत में वन्य जीवों की सुरक्षा और देखभाल के लिए सरकार काफी बड़े पैमाने पर काम कर रही है। ऐसे में भारत से चीता की प्रजाती लुप्त हो जाने के बाद पीछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के जन्म दिन के अवसर पर उनके अगुवाई में विषेश रूप से 8 चीता को फिर से भारत लाया गया। जो कि मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में विषेश कोरेंटाइन सुविधा में रखा गया था। ठीक कुछ ही महीने बाद एक बार फ़िर से भारत ने दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते 18 फरवरी को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में लाए जाएंगे। पिछले महीने दक्षिण अफ्रीका ने भारत में एक चीता घनत्व आबादी स्थापित करने के लिए भारत में चीता के दोबारा परिचय में सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया।

चीते को कूनो में लाने के बाद पिछले बार की तरह ही और कड़ी व्यवस्था के साथ दक्षिण अफ्रीका के नेशनल पार्क से उनके सभी स्वास्थ्य का परीक्षण किया जाएगा। जिससे किसी भी प्रकार की कोई समस्या न हो सके। अफ्रिका से लाए जा रहे इन चीतों को एक महीने के लिए कोरेंटाइन में रखा जाएगा। इसके लिए विषेश व्यवस्ता का इंतजाम किया गया है। चीतों के लिए करीब 10 क्वारंटाइन बूमर बनाए गए हैं। इन बूमर की खास बात यह है कि दो-दो चीते दो बाड़ों में रहते हैं और बाकी चीते अलग अलग बूमर में रहेंगे।

कैसे आएंगे ये चीते: 

अफ्रिका से 17 फरवरी को रात करीब 8 बजे भारतीय वायु सेना का सी-17 ग्लोबमास्टर कार्गो विमान अफ्रिका के ओआर टांबो इंटरनेशनल एयरपोर्ट जोहान्सबर्ग से उड़ान भरेगा और 18 फरवरी को सुबह 10:00 बजे मध्य प्रदेश के ग्वालियर एयरपोर्ट पर उतरेगा। यह दूरी कार्गो विमान लगभग 10 घंटे में कवर करेगा। चीतों को अफ्रिका से लाने के लिए भारतीय वायु सेना के विमान 16 फरवरी को सुबह 6.00 बजे गाजियाबाद हिंडन हवाई अड्डे से रवाना हुए।

भारतीय वायुसेना के कार्गो प्लेन में 11 क्रू मेंबर हैं जो IAF के हैं, इसके अलावा एडवांस पार्टी के तौर पर नेशनल टाइगर से हमारे आईजी, डीआईजी , कंजर्वेशन अथॉरिटी, वेटरनरी डॉक्टर, कस्टम ऑफिसर को विषेश निगरानी और किसी भी समस्या से निपटने के लिए भेजा गया है। ताकि यहां आने पर कस्टम में किसी तरह की असुविधा न हो। ग्वालियर आने वालों के साथ दक्षिण अफ्रीका के चीता विशेषज्ञ भी विमान में सवार होंगे। बता दें कि इस बार यहां के कर्मचारियों को नामीबिया से चीतों को लाने का अनुभव बहुत मदद करेगा। इसलिए पूरी कवायद बहुत सुचारू रूप से चल रही है।

नामीबिया और अफ्रीकी चीतों में अंतर: 

नामीबियाई चीता और दक्षिण अफ्रीकी चीता के बीच के अंतर की बात की जाए तो नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के चीतों की प्रजातियों में कोई अंतर नहीं है, लेकिन दक्षिण अफ्रीका के चीते पूरी तरह से जंगली चीते हैं, जिनका चरित्र जंगली है। वहीं नामीबिया के चीतों को विशेष ट्रेनिंग दी गई है। जिससे वे घातक तो हैं पर सरल भी हैं।

ग्वालियर में चीतों के आने के बाद, सभी औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी और उसके बाद सभी चीतों को लोड किया जाएगा। वायु सेना के MI-17 हेलीकॉप्टर में जो उन्हें कूनो नेशनल पार्क ले जाएगा।

चीतों के लिए व्यवस्ता: 

“यहां लाए जा रहे 12 चीतों को तकनीकी आधार पर चुना गया है। उन सभी को रेडियो कॉलर लगाया गया है और उन्हें 30 दिनों के कोरेंटाइन में रखा जाएगा। इन सभी चीतों को उपग्रह के माध्यम से ट्रैक किया जाएगा। बता दें कि चीतों का उचित टीकाकरण पहले ही हो चुका है।” इसके अलावा प्रत्येक चीते के पीछे एक समर्पित निगरानी टीम 24 घंटे स्थान की निगरानी करती रहती है।

बता दें कि इस विशेष मौके पर कूनो नेशनल पार्क में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मौजूद रहेंगे।

भारत में चीता के पुन: परिचय पर समझौता ज्ञापन पार्टियों के बीच भारत में व्यवहार्य और सुरक्षित चीता आबादी स्थापित करने के लिए सहयोग की सुविधा प्रदान करता है। भारत सरकार की महत्त्वाकांक्षी परियोजना-चीता परियोजना के अंतर्गत वन्य प्रजातियों विशेषकर चीतों का पुनःप्रवेश इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) के दिशा-निर्देशों के अनुसार किया जा रहा है।

लेखक सात्विक उपाध्याय 

 

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