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डूब रहा पंजाब

डूब रहा पंजाब

 

 

 

 

दीपक कुमार रथ
(editor@udayindia.in)

पंजाब में जब से आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है, कानून और व्यवस्था बद से बदतर होती जा रही है। जिसका सबूत है- प्रसिद्ध पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या, राज्य के दो पुलिस थानों पर रॉकेट हमले और हाल ही में अमृतपाल सिंह और उनके समर्थकों द्वारा अजनाला थाने पर किया गया हमला।  पंजाब, जो अपनी जीवंत संस्कृति, समृद्ध इतिहास और कृषि अर्थव्यवस्था के लिए जाना जाता रहा है, वहां आपराधिक गतिविधियों में तेजी आ रही है, गैंगवार बढ़ते जा रहे हैं, नशीले पदार्थों की तस्करी हो रही है और दिनदहाड़े हत्या हो जाती है । पंजाब इन दिनों कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहा है। जिसमें नशीले पदार्थों के व्यापार में वृद्धि, राजनीतिक हिंसा और सांप्रदायिक तनाव सहित कई तरह की समस्याएं हैं। हाल की रिपोर्टों के अनुसार पंजाब में नशीली दवाओं की बढ़ती हुई तस्करी की वजह से राज्य में कानून व्यवस्था और बिगड़ती जा रही है। नशीले पदार्थों के तस्कर अफगानिस्तान और पाकिस्तान से भारत के अन्य हिस्सों में नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए पंजाब का इस्तेमाल एक मुख्य ठिकाने के तौर पर करते हैं। यही नहीं पंजाब में पिछले कुछ वर्षों में हिंदू संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं या नेताओं पर घातक हमले भी बढ़ते जा रहे हैं। जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के रवींद्र गोसाई और सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर जगदीश गगनेजा, डेरा सच्चा सौदा के सतपाल और उनके बेटे रमेश कुमार, हिंदू तख्त के अमित शर्मा और शिवसेना के दुर्गा प्रसाद गुप्ता जैसे लोगों के नाम शामिल हैं, जिनकी हत्या की जा चुकी है। इसके अलावा सिख उपदेशक रणजीत सिंह धडरियावाले के काफिले पर भी फायरिंग की गई, हालांकि वह बचने में सफल  रहे, लेकिन उनका एक सहयोगी इस गोलीबारी में मारा गया था। संघ कार्यकर्ता नरेश कुमार भी फायरिंग की एक घटना में बाल बाल बचे थे। पंजाब सरकार ने इन घटनाओं की अनदेखी की। कुछ एक गिरफ्तारियां तो हुईं लेकिन मुख्य आरोपी पकड़ से बाहर ही रहे। इसकी वजह से पंजाब में अलगाववादी तत्वों को बढ़ावा मिला और अलगाववादी तत्व भारत राष्ट्र को चुनौती देने का साहस करने लगे और अलग देश का सपना देखने लगे हैं।

यहां यह उल्लेखनीय है कि 20वीं शताब्दी में पंजाब में फैली खालिस्तान की समस्या भू-राजनीतिक थी, इसलिए इसे पाकिस्तान का समर्थन प्राप्त था। लेकिन 21वीं सदी में यह आगे बढ़कर भू-अर्थशास्त्र के जरिए विस्तार कर रहा है और इसे कनाडा से समर्थन मिल रहा है। खास बात यह  है कि कनाडा भारत को भारी मात्रा में खाद्य उत्पादों का निर्यात करता है। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार आने के बाद अलगाववादियों का मनोबल बढ़ा है। लवप्रीत की रिहाई की मांग पहली बात नहीं है।  एक अन्य खालिस्तानी संगठन कौमी इंसाफ मोर्चा के मुखिया गुरचरण सिंह हवारा जनवरी से अपने बेटे की रिहाई की मांग कर रहे हैं। आपके लिए यह जानना जरुरी है कि गुरुचरण सिंह हवारा पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के आरोप में सजा पा चुके जगतार सिंह हवारा के पिता हैं। गुरचरण सिंह का कहना है कि बेअंत की हत्या के दोषी को भी रिहा किया जाना चाहिए।  इस साल फरवरी में कौमी इंसाफ मोर्चा के समर्थकों ने चंडीगढ़ में भगवंत मान के सरकारी आवास का घेराव करने की कोशिश की थी, जिसमें 30 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। इन अलगाववादियों को कनाडा में रहने वाले भारत विरोधी संगठनों का समर्थन मिल रहा है। इसलिए पंजाब पुलिस की चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। अंत में, मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि खालिस्तान का मुद्दा भारत की एकता और अखंडता के लिए एक गंभीर खतरा है। इसलिए, यह सही समय है जब भारत सरकार इसका सामना कश्मीरी आतंकवाद की तरह ही करे। देश के खिलाफ हथियार उठाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी। साथ ही वोट बैंक की राजनीति के नाम पर भारत को ‘हजारों घाव’ से लहूलुहान करने वालों को बख्शा नहीं जाना चाहिए।

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