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पंजाब का अजनाला कांड- आम आदमी पार्टी की सरकार कटघरे में

पंजाब का अजनाला कांड- आम आदमी पार्टी की सरकार कटघरे में

अजनाला हिंसा के बाद पंजाब पुलिस में बड़े स्तर पर अफसरों का फेरबदल हुआ है। अमृतसर के कमिश्नर जसकरन सिंह समेत 18 अधिकारियों का तबादला किया गया है। इसकी बडी वजह है कि पंजाब में आए दिन खालिस्तान समर्थकों द्वारा कानून तोड़ा जा रहा है। पुलिस पर हमले हो रहे हैं। बड़े नेताओं को हमले की धमकी मिल रही है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इन  वारदातों के मद्देनजर राज्‍य की भगवंत मान सरकार को कडे एहतियाती कदम उठाने की नसीहत दी है।

आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद एक बार फिर पंजाब को खालिस्‍तान बनाने के षडयंत्र बडे सुनियोजित तरीके से रचे जा रहे हैं। 23 फरवरी 2023 को पंजाब के अजनाला में पुलिस और खालिस्तान समर्थक संगठन वारिस पंजाब दे के लोगों के बीच हिंसक झड़प हुई जिसमे बंदूक और तलवार से लैस बडी संख्‍या में लोगों ने अमृतसर के अजनाला थाने पर न केवल धावा बोला बल्कि उसे अपने कब्‍जे में ले लिया था। हमलावर इस संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह के साथी लवप्रीत सिंह तूफान की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे थे।

पंजाब पुलिस ने हमलावर भीड के आगे घुटने टेक दिये और दबाब में आकर अपहरण और मारपीट करने के आरोपी लवप्रीत सिंह को रिहा करने का एलान कर दिया। इस घटना ने खतरे की घंटी बजा दी है और शंका व्‍यक्‍त की जा रही है कि पंजाब शासन प्रशासन की ढिलाई राज्‍य को 1980 के दशक के उग्रवाद के दौर में ढकेल सकती है। खालिस्तान की मांग को पड़ोसी मुल्क पाकिस्‍तान से तो समर्थन मिल ही रहा है लेकिन उससे ज्‍यादा चिंता की बात यह है कि अपने ही देश में भी उनके मददगार होने के प्रमाण मिल रहे हैं।

पिछले कुछ वर्षों से पंजाब में खालिस्तान समर्थक अपना विस्तार कर रहे हैं और कई जिलों में इसके सहयोगी संगठन खड़े हो गए हैं। खालिस्तान समर्थक गतिविधियों को राजनीतिक समर्थन भी मिल रहा है। पंजाब में पाकिस्तान सीमा से हथियार और मादक पदाथों की खेप आ रही है। मोहाली स्थित पुलिस के इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर पर रॉकेट लांचर से हमला किया गया। उसके बाद भारत-पाकिस्तान सीमा से 40 किलोमीटर दूर सरहाली थाने पर राकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड का हमला हुआ। पुलिस की जांच शुरू भी नहीं हो पाई कि खालिस्तान संगठन हमले की जिम्मेदारी ले लेते हैं। पंजाब में खालिस्तान के पोस्टर बैनर दिखना आम बात हो चली है।

खालिस्‍तान की मांग की आड में उग्रवाद को बढावा देने और ब्‍लू स्‍टार आपरेशन में सुरक्षा बलों की कार्रवाई में मारा गया कुख्‍यात उग्रवादी जरनैल सिंह भिंडरांवाले का समर्थक अमृपाल सिंह संधू खुलेआम खालिस्तान का प्रचार कर रहा है। कनाडा और अमरीका से अपनी गतिविधियां चला रहे खालिस्तानी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ इंटरपोल द्वारा रेड कॉर्नर नोटिस जारी नहीं हो सका है। पंजाब पुलिस अमृतपाल सिंह पर हाथ डालने का साहस नहीं जुटा पा रही है। खालिस्तान का समर्थन करने वाले सिमरनजीत सिंह मान पंजाब के संगरूर से लोकसभा सांसद चुने गये। ये सारे घटनाक्रम इस तथ्‍य के प्रमाण हैं कि खालिस्तान समर्थक गतिविधियों को बडे सुनियोजित तरीके से लंबे समय से चलाया जा रहा है।

अब अजनाला की घटना को लेकर पुलिस जांच कर रही है। पुलिस ने इस हमले से जुड़े 30 आरोपियों की तस्वीरों के साथ-साथ घटना से जुड़ी करीब डेढ सौ वीडियो की जांच पूरी कर ली है और उसे कई ठोस सबूत हाथ लगे हैं। पुलिस थाने पर दिनदहाडे हुये हमले के हर पहलू को संज्ञान में लेकर अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दे रही है। अजनाला में वरिंदर सिंह की शिकायत पर अमृतपाल सिंह और उसके साथियों के खिलाफ रिपोर्ट की गई थी और शिकायत पर कार्रवाई के बाद भी लवप्रीत सिंह उर्फ तूफान को गिरफ्तार किया गया था। लवप्रीत की गिरफ्तारी के विरोध में अजनाला थाने के बाहर प्रदर्शन हुआ जिसमें छह पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। अमृतपाल सिंह पर श्री गुरु ग्रंथ साहिब को ढाल बनाकर थाने पर हमला करने के आरोप हैं।

वारिस पंजाब दे संगठन का प्रमुख अमृतपाल सिंह पहले से विवादों में है। उसने मोगा में दीप सिद्धू की बरसी पर कार्यक्रम में भड़काऊ बयान दिए और इसके बाद अजनाला थाने में घुसकर अपने समर्थकों के साथ हिंसक प्रदर्शन किये। वारिस पंजाब दे की स्थापना दीप सिद्धू ने की थी जिस पर लाल किला हिंसा में भी आरोप लगे थे। दीप सिद्धू की पिछले साल फरवरी में मौत के बाद अमृतपाल वारिस पंजाब दे का कर्ता-धर्ता बन गया। वह पिछले साल सितंबर में खालिस्तान के नाम पर पंजाब को उग्रवाद की आग में झोंकने वाले कुख्‍यात सरगना जरनैल सिंह भिंडरावाले के मोगा स्थित गांव रोडे गया था। जून 1984 में सुरक्षा बलों की कार्रवाई ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान भिंडरावाले और सैकड़ों खालिस्तानी उग्रवादी मारे गए थे। 1993 में अमृतसर के जल्लूपुर खेड़ा गांव में पैदा हुआ अमृतपाल कई साल तक दुबई में भी रहा। वहां से लौटने के बाद वह कुछ अरसे से खालिस्तान के समर्थन में भड़काऊ बयानबाजी कर रहा है।

दीप सिद्धू की बरसी पर मोगा के बुधसिंहवाला गांव में एक कार्यक्रम के दौरान उसने दावा किया था कि पंजाब का बच्चा-बच्चा खालिस्तान की बात करता है। चाहे केंद्रीय मंत्री अमित शाह हों, चाहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों, चाहे पंजाब के मुख्‍यमंत्री भगवंत मान, इससे उन्‍हें कोई पीछे नहीं हटा सकता है। यह धरती हमारी है और इस पर हमने राज किया है। सारी दुनिया की फौज भी आ जाए तो हम अपना दावा नहीं छोड़ेंगे।

अमृतपाल का दावा एक स्‍वयंभू नेता जैसा है जिसका पंजाब के अमन चैन से कोई सरोकार नहीं हैं। वह उग्रवादी भिंडरावाले के नाम पर भोलेभाले युवकों को भडका कर हिंसा की राजनीति करना चाहता है। वह खालिस्‍तान की बात करता है लेकिन इसको लेकर पनपे उग्रवाद के संरक्षकों के कुत्सित इरादों के बारे में कुछ भी कहने से कतराता रहा है। वह धन के स्रोत पर बात करने को तैयार नही है। वह खलिस्‍तान की दुहाई देकर पंजाब में अशांति फैला रहा है लेकिन लाहौर और देश के बंटवारे में पाकिस्‍तान में गये पंजाब के हिस्‍से के लिये न कुछ बोलने को तैयार है और न ही वहां पर उसका कोई वजूद दिखाई देता है।

पंजाब के विपक्षी दलों और सिख धार्मिक निकायों ने कट्टरपंथी अमृतपाल सिंह और उसके लोगों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं करने के लिए अमृतसर पुलिस को कटघरे में खड़ा किया है। खुफिया एजेंसियों ने अमृतपाल सिंह द्वारा हमले की साजिश रचने की चेतावनी दी गई है जिसमे कहा गया है कि ऐसे हमले  देश विरोधी तत्वों द्वारा रचे जा रहे हैं और यह पंजाब की कानून व्यवस्था बिगाड़ने की गहरी साजिश का हिस्‍सा हो सकते हैं। खुफिया एजेंसियों ने पुलिस से वारिस पंजाब दे के जिलाध्यक्षों को मिलने वाले धन पर नजर रखने को कहा है। सुरक्षा एजेंसियों को संदेह है कि अमृतपाल सिंह को सोशल मीडिया पर दूसरा भिंडरावाले के रूप में प्रचारित करने के लिए पाकिस्तान की गुप्‍तचर संस्‍था इंटर-सर्विस इंटेलिजेंस, आईएसआई से धन मुहैया करा रहा है।

बिगड रही कानून व्‍यवस्‍था के बीच पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 2 मार्च 2023 को दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस मुलाकात में पंजाब के हालात और पाकिस्तान से आने वाले ड्रोन और ड्रग तस्करी सहित कई मुद्दों पर चर्चा हुई। साथ ही पाकिस्‍तान से लगती पंजाब की सीमा पर सुरक्षा व्‍यवस्‍था को पुख्ता करने के लिए केंद्र और राज्य की सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय पर भी बात हुई जिसके बाद केंद्र ने राज्य में अतिरिक्‍त सुरक्षा बल तैनात करने का फैसला लिया।

पंजाब के अमृतसर में 15 से 17 मार्च,2023 तक जी-20 शिखर सम्मेलन से जुडा एक कार्यक्रम होने जा रहा है। उससे पहले पंजाब में कानून एवं व्यवस्था से जुड़ी घटनाओं के कारण भगवंत मान सरकार के अनुरोध पर केंद्र अर्धसैनिक बलों की 50 टुकड़ियां वहां भेजी गई हैं।  सीआरपीएफ की 10, आरपीएफ की 8, बीएसएफ की 12, आईटीबीपी की 10 और एसएसबी की 10 टुकड़ियां पंजाब भेजी गई हैं। ये टुकड़ियां 6 मार्च को पंजाब पहुंच गईं और जी-20 शिखर सम्‍मेलन से जुडे कार्यक्रमों के बाद ही वापस लौटेंगी।

पंजाब में खालिस्‍तानी समर्थकों के फिर से सिर उठाने के बाद कानून एवं व्‍यवस्‍था बनाये रखना राज्‍य की आम आदमी पार्टी सरकार की जिम्‍मेदारी है। दरअसल अजनाला की घटना से उसके शासन के तौर तरीकों पर सवालिया निशान लग गया है। आप पर यह भी आरोप है कि उसने पंजाब विधानसभा चुनाव जीतने के लिये खालिस्‍तान समर्थक संगठनों का सहारा लिया और उन्‍हें वहां पर पनपने का मौका दे रही है। उसने जिस तरह से अजनाला थाने पर हुई हिंसक घटनाओं के आगे घुटने टेके वह उसके लिये ही ताबूत में आखिरी कील जैसा है।

भगवंत मान सरकार भलीभांति जानती है कि वारिस पंजाब दे एक खालिस्‍तान समर्थक संगठन है जिसका मकसद भारत की संप्रभुता को चुनौती देकर अपने मंतव्‍य को हासिल करना है। ऐसी गतिविधियों को पूरी तरह खत्म करने के लिए सारे राजनीतिक दलों को एक मंच पर आना होगा। अगर वहां  कोई राजनीतिक दल ईमानदार नहीं है तो खालिस्तान समर्थक गतिविधियों को बढ़ने से रोकना बड़ी चुनौती बन जाएगी।

 

 

अशोक उपाध्‍याय
पूर्व संपादक,यूनीवार्ता

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