
आम आदमी पार्टी भ्रष्टाचार की आंच में झुलसने लगी है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शराब नीति को लेकर बड़ी मुसीबत में फंस गये हैं। कथित शराब घोटाले के आरोप में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को इस्तीफा देना पड़ा और उनके साथ धनशोधन मामले में तिहाड़ जेल में बंद सत्येंद्र जैन का इस्तीफा भी अरविंद केजरीवाल ने स्वीकार कर लिया है। वह अबतक दोनों मंत्रियों का न केवल बचाव कर रहे थे बल्कि उन्हें मसीहा बनाने की कवायद कर रहे थे। वह केंद्र की सत्तारूढ भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर बदले की राजनीति करने का आरोप लगाते रहे हैं। लेकिन सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद भाजपा और कांग्रेस केजरीवाल पर निशाना साध रहे हैं और उन्हें इस घोटाले के लिये मुख्य रूप से जिम्मेदार ठहराते हुये उनके इस्तीफे की मांग की है।
भाजपा ने केजरीवाल और सिसोदिया को चुनौती देते हुये कहा था कि वे आबकारी नीति को लेकर तकनीकी सवालों का सही-सही जवाब दें क्योंकि आबकारी नीति के सवालों पर ‘कट्टर ईमानदारी’ और ‘बिरादरी’ के नाम की ‘मक्कारी’ नहीं चल पायेगी। कांग्रेस भी केजरीवाल सरकार पर हमलावर रही और उसका दावा था कि इस मामले में दुराव-छिपाव की कोई गुंजाईश नहीं है।
नई शराब नीति में कथित अनियमित्ताओं की जांच का काम केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबाआई) देख रहा है और लंबी जद्दोजहद के बाद उसने मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया। दिल्ली की निचली अदालत ने पूछताछ के लिये सिसोदिया को पांच दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया। सिसोदिया ने अपनी जमानत के लिये सीधे उच्चतम न्यायालय का द्वार खटखटाया लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली। उच्चतम न्यायालय ने सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सख्त रूख अपनाया और कहा कि वह गलत परंपरा की शुरुआत नहीं करेगी। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की पीठ ने सिसोदिया को प्राथमिकी रिपोर्ट रद्द कराने के लिए निचली अदालत जाने को कहा।
सिसोदिया के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उनके मुवक्किल की गिरफ्तारी में नियमों का उल्लंघन किया गया। मुख्य न्यायाधीश ने उनकी दलील को खारिज करते हुये कहा कि आप अपने मुवक्किल की जमानत के लिए यहां क्यों आए हैं। उच्च न्यायालय जाइए। जमानत के लिए विकल्प आपके पास है। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले में उच्च न्यायालय जाए बिना कुछ कहना गलत परंपरा की शुरुआत होगी। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर हम ऐसे सभी मामले में दखल देने लगे तो क्या होगा। हम इस मामले में दखल नहीं दे सकते हैं। दिल्ली में ऐसा एक मामला हो गया इसका ये मतलब नहीं है कि सारे मामले उच्चतम न्यायालय ही आएं।
दरअसल, यह मामला दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति 2021-22 से जुड़ा हुआ है। दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 से इस नीति को लागू किया जिसके तहत शराब का कारोबार पूरी तरह से निजी हाथों में सौंप दिया गया। दिल्ली में 32 जोन हैं और एक जोन में अधिकतम 27 दुकानें खुल सकती थीं। दिल्ली में शराब की कुल 849 दुकानें खुलीं। दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति लाने को लेकर माफिया राज खत्म करने का तर्क दिया था और ये भी दावा किया गया था कि इससे सरकार के राजस्व में भी इजाफा होगा लेकिन नतीजे सरकार के दावों के ठीक उलट आए। सरकार का राजस्व बढ़ने के बजाय नुकसान में चला गया। 31 जुलाई 2022 को कैबिनेट नोट में सरकार ने माना की भारी बिक्री के बावजूद राजस्व का भारी नुकसान हुआ।
नोट में इसकी वजह बताते हुए कहा गया कि थोक और खुदरा कारोबारियों ने लाइसेंस लौटा दिए थे जिसकी वजह से राजस्व का नुकसान हुआ। दिल्ली सरकार को वित्तीय वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में 1485 करोड़ रुपये का राजस्व मिला जो बजट अनुमान से 37.51 फीसदी कम था। अप्रैल 2022 के बाद हर महीने राजस्व में लगभग 194 करोड़ रुपये की कमी आई। इसके बाद राजस्व के नुकसान को लेकर दिल्ली सरकार आलोचनाओं के घेरे में आ गई। दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने उपराज्यपाल वी के सक्सेना को रिपोर्ट दी जिसमे उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने का भी आरोप लगाया गया था।
भाजपा की दलील दी थी कि आबकारी नीति को बनाने के लिए गठित समिति ने तय किया था कि किसी एक ब्रांड को बढ़ावा नहीं दिया जाएगा। एक पेटी के साथ एक पेटी मुफ्त शराब का प्रचार करना गलत था। समिति का मत था कि थोक वितरक एक सरकारी उपक्रम होना चाहिए जैसे कि कर्नाटक में है लेकिन ऐसा नहीं किया गया। केजरीवाल सरकार ने थोक वितरक का कमीशन दो प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत क्यों किया इसका कोई उत्तर नहीं है। नीति में 800 दुकानें खोलने एवं एक-एक आदमी को अलग अलग दुकानें देने की बात कही गयी थी लेकिन यहां एक ही आदमी को सौ-सौ दुकानें आवंटित कर दी गयीं। महादेव एवं बड़ी पंजाब जैसी दो कंपनियां हैं जिनको तीनों लाइसेंस मिले हुए हैं। यही नहीं तय नीति की अनदेखी करके थोक वितरक लाइसेंस धारकों को जमानत के 144 करोड़ रुपए वापस कर दिये गये और छोटे व्यापारियों को कुछ नहीं दिया गया।
सीबीआई जांच में दिल्ली के शराब घोटाले के तार तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चन्द्रशेखर राव की पुत्री कविता से जुड़े होने का पता चला है। वह इस घोटाले में एक आरोपी हैं। सीबीआई ने इस मामले में कविता के पूर्व चार्टेड अकाउंटेंट को गिरफ्तार किया था। अटकलें हैं कि सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद अगला नंबर के कविता का हो सकता है क्योंकि भाजपा शराब घोटाले को लेकर आम आदमी पार्टी के साथ-साथ तेलंगाना की सत्तारुढ़ भारत राष्ट्र समिति पर निशाना साधती रही है। माना जा रहा है कि सीबीआई जल्द ही कविता को गिरफ्तार कर सकती है।
अरविंद केजरीवाल नई शराब नीति के कारण आप को होनेवाले संभावित नुकसान को भांप गये थे और यही एक बड़ी वजह है कि उन्होंने इस मुसीबत को टालने के लिये सबसे पहला कदम यह उठाया कि नई आबकारी नीति वापस ले ली और पुरानी आबकारी नीति लागू कर दी। जैसे ही नई नीति को वापस लेने और पुरानी नीति को बहाल करने का एलान किया गया विपक्ष को नया हथियार मिल गया और केजरीवाल सरकार के लिये जबाब देना भारी पडने लगा।
भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन करने वाले समाजसेवी एवं जननेता अन्ना हजारे के आंदोलन से निकले केजरीवाल खुद जान गये कि इस मामले में भ्रष्टाचार के जो आरोप लगे उससे पार पाना आसान नहीं होगा। पंजाब में आप की सरकार बनने का जश्न खत्म भी नही हुआ था कि भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण वहां के स्वास्थय मंत्री को इस्तीफा देना पडा। इसका नतीजा यह हुआ मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के इस्तीफे से रिक्त हुई संगरूर लोकसभा सीट के उपचुनाव में ‘आप” हार गई। पंजाब में नई शराब नीति लाने की तैयारी की गई और शराब के ठेके और आपूर्ति के लिये आनलाइन निविदायें आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। लेकिन सिसोदिया की गिरफ्तारी की भनक लगते ही पंजाब सरकार ने राज्य में नई शराब नीति के क्रियान्वयन को लेकर एन वक्त पर अपने कदम पीछे खींच लिये। आॅनलाइन आवेदन करने के लिये फार्म अपलोड कर दिये गये थे लेकिन एक घंटे में उसे हटा दिया गया। इस बारे में अधिकारियों ने सफाई दी कि भूलवश फार्म अपलोड हो गये थे।
दिल्ली में कथित शराब घोटाले को लेकर समाजसेवी नेता अन्ना हजारे ने पत्र लिखकर केजरीवाल को फटकार लगाई थी और कहा कि आप भी अन्य पार्टियों की तरह रुपये से मिलने वाली सत्ता और सत्ता से मिलने वाले रुपये के दुष्चक्र में फंसते दिख रहे हैं। ये एक बड़े आंदोलन से पैदा हुई राजनीतिक पार्टी को शोभा नहीं देता है। उन्होंने कहा कि आप नई शराब नीति लाए हैं जिससे शराब की खपत बढ़ेगी और हर गली में ठेके खुलेंगे। ये जनता के हित में नहीं था इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। अन्ना ने कहा कि शराब जिस तरह से नशा देती है वैसे ही सत्ता का नशा भी होता है और आप इसमें डूबे हुए दिखते हैं। अन्ना ने लिखा कि वे दिल्ली में शराब घोटालों के बारे में आ रहे समाचार और रिपोर्टों से आहत हुए हैं।
दरअसल सिसोदिया ओर सत्येंद्र जैन का इस्तीफा पहले हो जाना चाहिये था और इसमे हुये विलंब ने केजरीवाल की नैतिकता की राजनीति को जड़ से हिला दिया है। केजरीवाल के तेवर में पहले जो हनक हुआ करती थी वह अब मंद पड गई है। अन्ना की भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का नारा लेकर आप का राजनीति में पदार्पण हुआ था ऐसे में केजरीवाल के लिये नैतिकता की दुहाई देकर पार्टी को आगे ले जाना दुष्कर कार्य हो गया है। इस घोटाले की आंच तेलंगाना तक पहुंच चुकी है जहां इस साल के अंत में चुनाव होने हैं। अभी तक के चंद्रशेखर राव अपनी बेटी कविता को शराब घोटाले में आरोपी बनाये जाने को भाजपा की राजनीति का हिस्सा बताकर पलटवार कर रहे थे लेकिन सिसोदिया की गिरफ्तारी के कविता की गिरफ्तारी शंका ने उन्हें भी अंदर से झकझोर दिया है।
अशोक उपाध्याय
पूर्व संपादक,यूनीवार्ता