
मायानगरी मुंबई को हम फिल्मों की वजह से बॉलीवुड का भी शहर कहते हैं। यहां देश के विभिन्न हिस्सों से आए कलाकार फिल्मों में अपनी किस्मत आजमाते हैं। किसी का सपना अमिताभ बच्चन किसी का सलमान खान, शाहरुख तो कोई नाना पाटेकर बनना चाहता है, लेकिन यहां हर किसी की किस्मत इन फिल्मी सितारों की तरह चमक नहीं पाती। आज के इस लेख में हम उन कलाकारों की जिन्दगी में झांकने की कोशिश करेंगे, जो सलमान खान और शाहरुख खान की तरह बड़े सितारे तो नहीं बन सकें, लेकिन इन कलाकारों ने अपनी एक अलग पहचान जरुर बनाई है। वो पहचान है इन कलाकारों के हमशक्ल बनने की।
इनमे से कुछ कलाकार सुपर स्टार्स की नकल कर खुश हैं, लेकिन कुछ चाहते है कि उनकी खुद की भी एक पहचान बनें। जहां लोग उन्हें सलमान खान या नाना पाटेकर के हमशक्ल या डुप्लीकेट के रूप में नहीं, बल्कि उन्हें खुद के बलबूते पहचानें।
नाना पाटेकर की नकल करने वाले के.टी. आनंदा राव की कहानी
मुंबई में पिछले कई वर्षों से जाने-माने फिल्म कलाकार नाना पाटेकर की नकल करने वाले के.टी. आनंदा राव मूल रूप से दक्षिण भारत के रहने वाले हैं, लेकिन पिछले कई वर्षों से उनका परिवार मुंबई के विरार इलाके में बसा हुआ है। विरार का इलाका फिल्म स्टार गोविंदा को लेकर काफी मशहूर है। के. टी. आनंदा राव ने भी अपनी पढ़ाई उसी स्कूल और कॉलेज से पूरी की थी, जहां से गोविंदा ने पढ़ाई की थी। उनका भी सपना था कि जिस तरह गोविंदा ने बॉलीवुड की दुनिया में अपना मुकाम हासिल कर विरार का नाम रोशन किया है, उसी तरह वे भी विरार का नाम रोशन करेंगें।
उदय इंडिया पत्रिका से बात करते हुए के. टी. आनंदा राव ने बताया कि जब वे कॉलेज की पढ़ाई कर रहे थे, उसी दौरान नाना पाटेकर की फिल्म ‘यशवंत’ और ‘क्रांतिवीर’ रिलीज हुई थी। उसके बाद जब उन्होंने अपनी दाढ़ी बढाई तो लोग उन्हें देखकर कहने लगे की वे नाना पाटेकर की तरह दिखते हैं। शुरू में वे थोड़ा परेशान हुए कि लोग उन्हें जूनियर नाना पाटेकर कहकर बुलाते थे। लेकिन बाद में उन्हें लगा कि यदि लोग कह रहे हैं तो जरुर इसमें कोई बात है। यह बात धीरे-धीरे के.टी. आनंदा राव के दिमाग में भी घर कर गयी और उन्होंने नाना पाटेकर की फिल्म ‘यशवंत’ और ‘क्रांतिवीर’ करीब दस बार देखी। धीरे-धीरे वे नाना पाटेकर की नकल करने लगे। अपने घर में आईने के सामने खड़े होकर नाना पाटेकर द्वारा बोले गए संवाद की कॉपी करने लगे। उन्होंने नाना पाटेकर की नकल सबसे पहले अपने दोस्तों को दिखाई। दोस्तों ने कहा कि तुम्हारा अंदाज और संवाद बोलने का स्टाइल काफी कुछ नाना पाटेकर से मेल खाता है। इसके बाद उनका आत्मविश्वास काफी बढ़ गया।
नाना पाटेकर के हमशक्ल के.टी. आनंदा राव बताते हैं कि उनकी एक्टिंग को देखकर जानी-मानी सिंगर आशा भोंसले ने उन्हें मराठी फिल्म ‘माई’ में पहला ब्रेक दिया। जिसमें वे मुख्य खलनायक थे। इसके बाद उन्हें ‘वन्स अपॉन इन मुंबई’ फिल्म में भी काम करने का मौका मिला। के.टी. आनंदा राव मशहूर कॉमेडी शो ‘कॉमेडी नाईट विद कपिल’ में भी में नाना पाटेकर की नकल उतार चुके हैं। इसके अलावा वे कई चैनलों पर क्राइम शो में भी मुख्य भूमिका निभा चुके हैं।
के.टी. आनंदा राव फिल्म स्टार नाना पाटेकर की नकल तो करते हैं, लेकिन जब एक दिन उनकी मुलाकात खुद नाना पाटेकर से होने वाली थी तो वे काफी नर्वस थे। उन्हें यह समझ में नहीं आ रहा था कि उनके इस नकल को लेकर फिल्म स्टार नाना पाटेकर किस तरह की प्रतिक्रिया देंगे। लेकिन, आनंद राव बताते हैं की नाना पाटेकर बड़ी ही गर्मजोशी के साथ मिले और उनके इस हुनर की काफी तारीफ की। आनंदा राव कहते हैं कि उन्हें अपनी जिन्दगी से कोई मलाल नहीं है। भले ही आज उनकी पहचान नाना पाटेकर के डुप्लीकेट की है, लेकिन वे खुश हैं। उनका कहना है कि लोग उन्हें शो के लिए मुंबई के अलावा देश के दूसरे शहरों मे भी बुलाते हैं। जिनसे उनकी आमदनी हो जाती है और वे अपने परिवार का खर्चा चला लेते हैं। लेकिन उनकी कोशिश ज्यादा-से-ज्यादा चारित्रिक अभिनय करने की रहती है, ताकि उनकी अपनी भी पहचान बन सके।
सलमान के डुप्लीकेट सागर पाण्डेय की कहानी
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के रहने वाले सागर पाण्डेय को मुंबई में अपना मुकाम बनाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। उदय इंडिया से बात करते हुए सागर ने बताया कि उनके पिता आर्मी में थे। लेकिन, उनका परिवार काफी बड़ा था और आमदनी काफी सीमित थी। ऐसे में शुरू से ही उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ा। वही जब वे बड़े हुए उनका डील-डौल एक फिल्मी हीरो की तरह लगने लगा। ऐसे में प्रतापगढ़ में रहने वाले उनके दोस्तों ने उन्हें सुझाव दिया कि क्यों ना वो अपनी किस्मत मुंबई में जाकर फिल्मों में आजमायें, लेकिन सागर के लिए मुंबई आने का फैसला करना आसान नहीं था।
एक दिन हिम्मत कर सागर अपनी किस्मत आजमाने मुंबई के लिए निकल पड़े। इस शहर में उनकी पहचान का एक आदमी था, लेकिन वहां पर जिन्दगी आसान नहीं थी। वे प्रतापगढ़ से सिर्फ सात सौ रूपये लेकर मुंबई के लिए निकले थे, जो सिर्फ चंद दिनों में खत्म हो गए। सागर बताते हैं कि मुंबई आने के बाद वे एक छोटे से कमरे में रहते थे, जिसमें 6 लोग रात में और 6 लोग दिन में सोते थे। यानी सोने के लिए उन्हें पूरी जगह भी नहीं मिलती थी और कई रातें उन्हें जागकर ही गुजारनी पड़ीं।
सागर पाण्डेय बताते हैं कि शुरू में मुंबई में कई लोगों ने उन्हें सलमान का डुप्लीकेट कहा और मजाक उड़ाया, लेकिन वे निराश नहीं हुए। वो दौर 1995 का था। एक दिन सागर पाण्डेय को पता चला कि दिलीप गुलाटी नामक एक निर्माता फिल्म बना रहे हैं। फिल्मों में ब्रेक पाने की उम्मीद लिये अगले दिन वे सुबह 9 बजे जुहू स्थित उनके ऑफिस पहुंच गए। इस पर उस ऑफिस की एक महिला कर्मचारी ने उन्हें ताना मारते हुए कहा, क्या तुम्हें इस ऑफिस में झाड़ू मारनी है जो इतनी सुबह आ टपके हो। उस महिला कर्मचारी ने सागर से कहा कि वो बाहर जाकर इंतजार करे। शाम तक भूखे रहने के बाद बड़ी ही मुश्किल से सागर की मुलाकात फिल्म निर्माता दिलीप गुलाटी से हुई। गुलाटी उन दिनों बड़े फिल्मी सितारों के हमशक्लों को लेकर ‘गंगापुर की गीता’ फिल्म बना रहे थे। सागर पाण्डेय का डील-डौल काफी हद तक सुपर स्टार सलमान खान से मिलता था। दीपक गुलाटी ने उस फिल्म में सागर को सलमान खान के डुप्लीकेट के रोल के लिए चुन लिया।
सलमान खान के डुप्लीकेट के रूप में मशहूर होने के बाद कई निर्माताओं ने सलमान खान के बॉडी डबल के लिए सागर पाण्डेय को बुलाया, इसके दौरान उनकी मुलाकात सलमान खान से भी हुई। सलमान खान ने सागर पाण्डेय की हौसला अफजाई की और उनका मनोबल बढ़ाया। उसके बाद सागर ने कई फिल्मों में सलमान खान के बॉडी डबल का काम किया। हाल ही में रिलीज बजरंगी भाईजान फिल्म में सागर पाण्डेय ने सलमान खान की बॉडी डबल का काम किया है।
आज सागर पाण्डेय की जिंदगी अच्छी चल रही है। कभी दो वक्त के खाने के मोहताज सागर पाण्डेय बताते हैं कि आज उनके पास पैसों की कोई कमी नहीं है। वे अपनी अच्छी जिंदगी बसर कर रहे हैं। वे इस कामयाबी के लिये सुपर स्टार सलमान खान का भी शुक्रिया अदा करते हैं।
शाहरुख खान के डुप्लीकेट राजू रहिकवार की कहानी
बॉलीवुड के सुपर स्टार शाहरुख खान के डुप्लीकेट राजू रहिकवार की कहानी कम रोचक नहीं है। राजू रहिकवार मूल रूप से महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के एक छोटे से तहसील बल्लारशाह के निवासी हैं। वे बताते हैं कि फिल्में देखने का शौक उन्हें बचपन से ही था। उनकी तहसील में कोई सिनेमाघर नहीं था, ऐसे में वे फिल्में देखने के लिए अपने दोस्तों के साथ साईकल चलाकर शहर आते थे। इसी क्रम में साल 1993 वे शाहरुख खान की फिल्म ‘दीवाना’ देखने के लिए सिनेमा हॉल में पहुंचे थे। वहीं फिल्म खत्म होने के बाद जब वे बाहर निकले तो एक लड़की ने कहा कि ‘आप शाहरुख जैसे दिखते हैं।’ फिर क्या था उस लड़की की बात राजू रहिकवार के मन में इस तरह घर कर गयी कि जब भी वे आईना देखत, उन्हें अपने चेहरे में शाहरुख खान का अश्क नजर आने लगा। वहीं कुछ दिनों बाद उनके दोस्तों ने भी फिल्म देखने के बाद राजू रहिकवार को शाहरुख खान कहना शुरू कर दिया। इसके बाद उनके दोस्तों ने राजू को फिल्म में किस्मत आजमाने की सलाह दी। राजू भी दोस्तों की सलाह के बाद शाहरुख की नकल करने लगे। इसी बीच राजू के घरवाले उस पर शादी करने का दवाब बनाने लगे, लेकिन राजू का सपना कुछ और था वो फिल्मों में अपना मुकाम बनाना चाहता था। शादी के डर से राजू पहले तो भागकर अपने बड़े भाई के पास नागपुर आये और बाद में वहां से मुंबई का रुख किया। राजू के बड़े भाई भी एक कलाकार हैं और उन्होंने भी राजू को फिल्मों में काम करने के लिए प्रोत्साहित किया।
राजू रहिकवार मुंबई में अपना मुकाम हासिल करना चाहते थे, लेकिन यहां काफी संघर्ष था। उन्होंने फैसला किया कि वे हारकर घर नहीं लौटेंगे, बल्कि अपना एक मुकाम बनाएंगे। इसी बीच राजू को पता चला कि सोनी चैनल पर आने वाले डांस शो ‘बुगी बुगी’ शो में जाने-माने फिल्म स्टार्स के डुप्लीकेट को लेकर एक स्पेशल एपिसोड बनाया जा रहा है। राजू भी शाहरुख खान के डुप्लीकेट के रूप में अपनी किस्मत आजमाने के लिये वहां पहुंच गए। राजू की मेहनत रंग लाई और उन्हें शाहरुख खान के डुप्लीकेट के रूप में डांस करने के लिए चुन लिया गया। राजू बताते है कि उनकी इस कामयाबी में ‘बुगी-बुगी’ शो के जज जावेद जाफरी, नावेद जाफरी और रवि बहल का एक बड़ा योगदान है। जिन्होंने उन्हें उस शो में भाग लेने का मौका दिया। इस शो में मिली सफलता के बाद राजू रहिकवार को बतौर शाहरुख खान के डुप्लीकेट के रूप में कई फिल्मों में काम करने का मौका मिला। शाहरुख खान के डुप्लीकेट के रूप में अपनी पहचान बनाकर राजू बेहद खुश हैं।
राजू रहिकवार कहते हैं कि बॉलीवुड में अपनी किस्मत आजमाने के लिये कई लोग मुंबई आते हैं, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिलती है। ऐसे में उन्हें भले ही शाहरुख खान के डुप्लीकेट के रूप में पहचान मिली है तो यह कम नहीं है। राजू कहते हैं कि सुपर स्टार शाहरुख खान हर जगह नहीं पहुंच सकते हैं, ऐसे में वे लोगों के बीच शाहरुख खान के डुप्लीकेट के रूप जाते है और उनका मनोरंजन करते हैं। यह भी एक कामयाबी है और उन्हें लोगों का मनोरंजन करने में काफी खुशी मिलती है। राजू के मुताबिक, कोई भी कलाकार मां के पेट से डुप्लीकेट बनकर जन्म नहीं लेता है। भगवान हर इंसान का हमशक्ल बनाता है। वे मानते हैं कि ईश्वर ने उन्हें शाहरुख खान का हमशक्ल बनाकर एक बड़े आशीर्वाद से नवाजा है।
प्रेम चोपड़ा के डुप्लीकेट विश्वजीत सोनी की कहानी
बॉलीवुड के जाने-माने विलेन प्रेम चोपड़ा के हमशक्ल के रूप में मशहूर विश्वजीत सोनी को भी बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़े। मूल रूप से गुजरात के कच्छ इलाके के निवासी विश्वजीत सोनी पहले मुंबई के उल्हास नगर इलाके में रहते थे। इस दौरान वहां रिकॉर्ड डांस पार्टियों का आयोजन किया जाता था। जिसमे वे जीतेन्द्र और संजय दत्त सहित कई बड़े फिल्म स्टार्स के डांस की नकल उतारा करते थे। इसी बीच उन्हें मुंबई के चर्च गेट में आयोजित एक प्रोग्राम में जाने-माने कॉमेडियन जॉनी लीवर के शो को देखने का मौका मिला, जिसमें वे फिल्मी सितारों की नकल उतारते रहे हैं। इसके बाद से सोनी को भी मिमिक्री करने की धुन सवार हो गई। साल 1998 उन्होंने मिमिक्री में अपने हाथ आजमाने शुरू कर दिए। लेकिन सवाल यह था कि विश्वजीत सोनी अपने इस हुनर को पूरे देश तक पहुंचाना चाहते थे और ये उल्हास नगर में रहकर संभव नहीं था। ऐसे में वे मुंबई के विक्रोली इलाके में अपने एक रिश्तेदार के घर पर आकर रहने लगे। यहां दिन में वे सब्जी बेचा करते थे और रात में उसी दुकान में सो जाते थे।
इसी दौरान उनके रिश्तेदार ने उसी इलाके में रहने वाले फिल्म स्टार अनिल कपूर के हमशक्ल आरिफ खान से उनकी मुलाकात करवाई। सोनी ने आरिफ खान को कई कलाकारों की मिमिक्री करके दिखाई, जिसमें प्रेम चोपड़ा की मिमिक्री देखकर आरिफ खान ने उनकी खूब तारीफ की और इसी हुनर में किस्मत आजमाने की सलाह दी।
विश्वजीत सोनी को सफलता पाने के लिए काफी ठोकरें खाईं। इसी दौरान संघर्ष करते हुए उन्हें जी टीवी पर प्रसारित होने वाले ‘फिल्म दिवाने’ कार्यक्रम में पहला ब्रेक मिला। इसके होस्ट जाने-माने फिल्म कलाकार शेखर सुमन थे। इस प्रोग्राम में उन्होंने प्रेम चोपड़ा की नकल उतारी, जिसे लोगों ने काफी पसंद किया। इसके बाद विश्वजीत को सोनी चैनल पर प्रसारित होने वाले डांस शो ‘बुगी-बुगी’ में मौका मिला। इसमें उन्होंने प्रेम चोपड़ा के हमशक्ल के रूप में डांस कर लोगों का खूब मनोरंजन किया। बाद में उन्हें जाने-माने एक्टर सचिन के सीरियल ‘रीमेक एक दो तीन’ मिली। इस दौरान प्रेम चोपड़ा की मिमिक्री कर उन्होंने अपनी अच्छी पहचान बना ली थी।
विश्वजीत सोनी जहां प्रेम चोपड़ा की नकल उतारने के लिए मशहूर हैं, वहीं उन्होंने कई फिल्मों और टीवी सीरियल में चारित्रिक रोल भी अदा किये हैं, और प्रेम चोपड़ा की नकल नहीं की है। विश्वजीत को फिल्म निर्देशक इन्दर कुमार की फिल्म ‘धमाल’ के अलावा रमेश सिप्पी की फिल्म ‘नौटंकी साला’ में भी काम करने का मौका मिला है। उन्होंने कॉमेडी फिल्म ‘हो गया दिमाग का दही’ में भी काम किया है। इस फिल्म को लोग 16 अक्टूबर से देख सकेंगे। इस फिल्म में उनका किरदार एक सरदार का है। इसके अलावा सब टीवी के लोकप्रिय धारावाहिक ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ में भी उन्होंने चारित्रिक रोल अदा किया है। जिसे लोगों ने काफी पसंद भी किया है।
विश्वजीत सोनी के यूं तो कई फैन्स हैं, वहीं जाने-माने फिल्म एक्टर प्रेम चोपड़ा भी विश्वजीत सोनी के बड़े मुरीद हैं। प्रेम चोपड़ा ने भी विश्वजीत के इस हुनर को टीवी पर देखा और एक दिन उन्हें मिलने के लिए अपने घर पर बुलाया। शुरू में विश्वजीत थोड़े डरे हुए थे। उन्हें नहीं पता था कि उनकी मिमिक्री को लेकर प्रेम चोपड़ा की क्या प्रतिक्रिया होगी। लेकिन, प्रेम चोपड़ा ने उनका अपने घर पर बड़ी ही गर्मजोशी से स्वागत किया। वहीं प्रेम चोपड़ा ने उनसे अपने सामने ही अपनी मिमिक्री करने को कहा। जिसे प्रेम चोपड़ा ने काफी पसंद किया।
एक दौर ऐसा भी आया, जब प्रेम चोपड़ा की मिमिक्री करने वाले विश्वजीत सोनी ने यह काम बंद कर दिया। वे एक ही तरह की भूमिका लगातार करके बोर हो गए थे। लेकिन, अब करीब 8 वर्षों बाद विश्वजीत सोनी ने एंड टीवी पर आने वाले लोकप्रिय सीरियल ‘भाभीजी घर पर हैं’ में एक बार फिर प्रेम चोपड़ा की नकल उतारते नजर आ रहे हैं। वे इसके लिए इस सीरियल के निर्देशक शशांक बाली और लेखक मनोज संतोषी का शुक्रिया अदा करते हैं, जिन्होंने एक बार फिर प्रेम चोपड़ा के हमशक्ल के रूप में उन्हें मौका दिया है और यह सीरियल लोगों को काफी पसंद आ रहा हैं।
विश्वजीत सोनी कहते हैं कि उन लोगों की पहचान भले ही एक नकलची की है, लेकिन उनका मानना है कि ‘नकल करने के लिये भी अक्ल की जरुरत होती है।’
मुंबई से लतिकेश शर्मा