
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पश्चिमी महाराष्ट्र प्रांत की ओर से 3 जनवरी 2016 को ‘शिवशक्ति संगम’ महाशिविर का भव्य आयोजन पुणे के पास मारुंजी गांव में किया गया। इस महाशिविर में लगभग 1 लाख 60 हजार गणवेशधारी संघ के स्वयंसेवक शामिल हुए। इस महाशिविर में आरएसएस के सर कार्यवाहक भैयाजी जोशी, सरसंघचालक मोहन भागवत, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सहित उनके मंत्रिमंडल के कई मंत्री भी शामिल हुए। साथ ही शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे, महात्मा फुले के वंशज दत्ता फुले के अलावा राजनीतिक दलों के लगभग सभी बड़े नेता भी मौजूद रहे। इनके अलावा पुणे और आसपास के क्षेत्रों से जुड़े 10 हजार महत्वपूर्ण हस्तियां भी शामिल हुईं, सामाजिक कार्यकर्ता, महंत और साधू भी इस महाशिविर में शामिल हुए। शिवशक्ति संगम में शामिल होने के लिए सतारा, सांगली कोल्हापुर, अहमदनगर, नासिक से आरएसएस कार्यकर्ता पहुंचे। कार्यक्रम के दौरान 2500 स्वयंसेवकों के घोष दस्ते का संचलन भी किया गया।
कार्यक्रम में स्वयंसेवकों को सरसंघचालक मोहन भागवत ने संबोधित करते कहा, कि ”शिवाजी महाराज ने सिर्फ महाराष्ट्र को ही नहीं देश को बचाया है। शिवत्व हमारी पंरपरा है, लेकिन इस शिव को शक्ति का साथ मिलना चाहिए। हमें अपने देश की प्रतिष्ठा को बढ़ाना चाहिए। सामाजिक एकता से शक्ति का निर्माण होता है।’’ साथ ही उन्होंने कहा कि ”सिर्फ सरकार और नेताओं के भरोसे पर देश चलाया नहीं जा सकता। इस देश को चलाने के लिये समाज का जागृत रहना जरूरी है। देश-विदेश के लोगों का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कार्यपद्धति के प्रति आकर्षण है। संघ ने 90 सालों में जो किया उसका ही फल आज सभी के सामने है। अपनी जिम्मेदारियां संभालते हुए राष्ट्र और समाज की सेवा करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना संघ का काम हैं। सिर्फ कानून बनाने से समानता नहीं आएगी। इसके लिए लोगों के मन से विषमता दूर होनी चाहिए। हमारे बीच अलगाव के कारण ही देश पर शत्रुओं ने राज किया। जब तक आर्थिक और सामाजिक एकता का निर्माण नहीं होता, तब तक राजनीतिक समानता का कोई अर्थ नहीं। शीलयुक्त सत्य ही काम आ सकता है। दुर्बल राष्ट्रों की अच्छी बातों का दुनिया में जिक्रहोता है और बड़े राष्ट्रों की बुरी बातों को स्वीकार भी नहीं किया जाता। इसलिए चरित्र संपन्न होना जरूरी है। मातृभूमि के लिए कुछ कर दिखाना आवश्यक है। व्यक्तिगत सुरक्षा के लिये पहले राष्ट्र का सुरक्षित होना जरूरी है और उसे सुरक्षित बनाने की हम सबकी जिम्मेदारी है।’’
भागवत ने कहा कि हमें राजनीतिक स्वतंत्रता भले ही मिल गई है, लेकिन जब तक आर्थिक और सामाजिक लोकतंत्र स्थापित नहीं होता, तब तक देश का उद्धार नही होगा। देश में प्रवाहित सभी तरह के विचारों को एक साथ जोड़ कर देश बनाने का स्वप्न आरएसएस ने देखा है। इस उद्देश्य के लिये ही आरएसएस की स्थापना हुई है।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि ”भारतीय संस्कृति की विश्वभर में प्रशंसा हो रही है। अपना देश शिव को मानने वाला है, इसलिए शिवराया का स्मरण करना ही चाहिए। विविधता में भेदभाव नहीं करना चाहिए, सभी समता का रूप अपनाएं। समता में ही सब कुछ निहित है, क्योंकि जो व्यक्ति सत्यनिष्ठ नहीं होगा, वह शीलसंपन्न हो ही नहीं सकता है आज भारतीय संस्कृति की पूरे विश्व में प्रशंसा हो रही है। हमारी संस्कृति महान है, जिसका अनुसरण विदेशों में हो रहा है। सभी स्वयंसेवक छत्रपति शिवाजी महाराज को अपना आदर्श मानें और उनका स्मरण करें। जब राष्ट्र सशक्त होगा, तो उसकी इज्जत चारों ओर होगी, दुर्बल राष्ट्र की अच्छाइयों को कोई नहीं पूछता है। हिंदू ही भारतीय समाज की पहचान है चाहे विचारधारा कोई भी हो, हम किसी भी क्षेत्र में काम करते हों लेकिन ईमानदारी से नि:स्वार्थ भाव से अगर देश के उत्थान का काम करना है तो राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ ही एकमात्र रास्ता है।’’
यह कार्यक्रम 450 एकड़ जमीन पर आयोजित किया गया। कार्यक्रम में लकड़ी का भव्य मंच तैयार किया गया। लकड़ी से तैयार किया गया ये मंच 200 फीट लंबा, 100 फीट चौड़ा और 80 फीट ऊंचा था। मंच तक पहुंचने के लिए लिफ्ट का भी इंतजाम किया गया था। इस पर शिवाजी महाराज की 35 फीट की प्रतिमा लगाई गई। मुख्य स्टेज पर शिवाजी महाराज के तोरणागढ़ किले और रायगढ़ किले की प्रतिकृति बनाई गर्ई। 100 से ज्यादा मजदूरों ने 3 महीने के अथक प्रयास के बाद इस भव्य मंच को तैयार किया। स्टेज के पास ही 70 फीट ऊंचा ध्वज स्तंभ भी खड़ा किया गया। स्टेज की पहली मंजिल पर महाराष्ट्र के संतों की मूर्तियां रखी गईं थीं। इस पूरे महाशिविर के निर्माण में लगभग डेढ़ से दो करोड़ रुपए का खर्च हुआ। 450 एकड़ जमीन पर आयोजित इस शिविर के कार्यक्रम स्थल में एंट्री के लिये 13 प्रवेश द्वार बनाए गए थे। इन प्रवेश द्वारों पर महाराष्ट्र के विभिन्न किलों की प्रतिकृति बनाई गईं थीं। एमरजेंसी के लिये 13 एम्बुलेंस और 200 डॉक्टरों की टीम भी तैनात रही।
प्रीति ठाकुर