
गुजरात की संस्कृति सबसे सुंदर, सबसे विकसित, धन- धान्य से परिपूर्ण है। सूरत शहर, वैसे तो कपड़ा उद्योग एवं हीरा व्यापार के लिए प्रसिद्ध शहर के रूप में जाना जाता है। गुजरात को देश के सभी क्षेत्रों मे आगे ले जाने के लिए सूरत का विशेष योगदान रहा है। भारत के अलग-अलग राज्यों से लोग यहां आकर विभिन्न उद्योगों में कार्यरत होकर रोजी-रोटी कमा रहे हंै। जहां उद्योग-धंधे होते हैं, वहां प्रदूषण का होना लाजिमी है, इसके लिए गुजरात सरकार एवं भारत सरकार सदैव जागृत है। पर्यावरण की सुरक्षा के साथ-साथ सूरत के जनमानस ने आज सामाजिक समरसता एवं समाज मे खास कर बेटियों की सुरक्षा के लिए एक विशिष्ट पहल की है। पिछले कई सालों से सूरत में ‘बेटी बचाओ आंदोलन’ को विस्तृत रूप देने के लिए एक विशाल साईं जागरण का आयोजन किया जा रहा है। 30,000 से अधिक श्रद्धालु इस विशाल साईं जागरण में भाग लेने आते हैं। शिरडी साईं बाबा के इस विख्यात साईं जागरण का मुख्य उद्देश्य यह भी है कि अधिक-से-अधिक बालिकाएं विद्यालय पहुचें और कन्या भ्रूण हत्या बंद हो। सूरत की कई सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाएं ‘बेटी बचाओ आंदोलन’ को जारी रखे हुए हैं। परन्तु यह आज तक सफल नहीं हो पाया है।
सूरत के कलेक्टर डॉ. राजेंद्र कुमार का कहना है कि देश में सूरत जैसे 100 जिले हैं, जहां पर महिलाओं की संख्या पुरुषों से कम है। डॉ. राजेंद्र कुमार ने इस विषय को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। एवं आगे आने वाले दिनों मे भ्रूण हत्या को रोकने एवं ‘बेटी बचाओ आंदोलन’ को सुदृढ़ करने के लिए अधिक से अधिक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि सूरत के सभी उद्योगों में बाल श्रमिकों को हटाने के लिए प्रशासन पूरी तरह तत्पर हैं। यकीनन यह एक ईश्वरीय कार्य है। क्योंकि हमारे शास्त्रों मे लिखा गया है :
”यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:’’
सूरत से महेन्द्र राउत