तीर्थस्थल नैमिषारण्य में एकत्र आर्यावर्त के अऋासी हजार ऋषियों ने श्रीसूतजी से कलियुग में मनुष्य के कल्याण से जुड़ा सवाल पूछा था। सत्यनारायण व्रत कथा के इस प्रारम्भिक प्रसंग से महामण्डलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद ने जब अपनी बात शुरू की तो अखिल भारतीय वंशावली संरक्षण एवं संवद्र्धन संस्थान की वंशावली गौरव रथ यात्रा के समागम समारोह के अवसर पर खचाखच भरा जयपुर का बिड़ला सभागार करतल ध्वनि से गूंज उठा। स्वामी अखिलेश्वरानंद ने कहा कि वहीं ऋषि मुनि वंशावली लेखन की आदि परम्परा को जीवित रख अपने दायित्व को निष्ठापूर्वक निभा रहे है। वंशावली पोथियों से हमारी पहचान है और इसी से भारतीय इतिहास का सही वर्णन मिलता है।
राजस्थान के मारवाड़, मेवाड़, हाड़ौती ब्रज, डांग और शेखावटी अंचल में 11 अप्रैल से आरम्भ गौरव रथ यात्रा 30 जिलों 168 उपनगर कस्बो तथा 612 गांवों से 5718 किण्मीण् लम्बा सफर पूरा करके 20 अप्रेल को जयपुर में सम्पन्न हुई। अपने प्रवचन से पूर्व स्वामी जी ने 108 वर्षीय वंशावली लेखक कल्याण जी का अभिनंदन किया और वंशावली गाथा शीर्षक पुस्तिका एवं सीडी का लोकार्पण किया। |